मजीठिया मांगने पर मीडियाकर्मियों का कालर पकड़कर धमकी देने का मामला : झारखंड की राजधानी रांची से खबर आ रही है कि यहां हिन्दुस्तान के एचआर हेड हासिर जैदी के खिलाफ पुलिस महकमे में आनलाईन प्राथमिकी कराई गई है। उनके खिलाफ हिन्दुस्तान के दो कर्मियों मुख्य उप संपादक अमित अखौरी और वरीय उप संपादक शिवकुमार सिंह के साथ बदसलूकी और गाली गलौज करने का आरोप है।
बताते हैं कि 17 फरवरी 2017 को दोनों कर्मियों ने उन पर बदसलूकी और गाली गलौज का आरोप लगाते हुए आनलाईन प्राथमिकी कराई। इस मामले में सदर थाना रांची, एसपी, एसएसपी, डीजीपी और मुख्यमंत्री को स्पीड पोस्ट कर घटना की जानकारी देते हुए दोनों ने उनसे जान का खतरा बताते हुए जान-माल की सुरक्षा की गुहार भी लगाई है।
दरअसल मजीठिया वेजबोर्ड के तहत अपना बकाया और वेतन भुगतान के लिए अमित अखौरी और शिवकुमार सिंह ने श्रम आयुक्त रांची के पास गुहार लगाई थी। आरोप है कि यह कदम हिन्दुस्तान प्रबंधन को नागवार गुजरा और उनके कार्यालय आने पर रोक लगा दी थी। लेकिन श्रम आयुक्त के कोर्ट में आठ फरवरी को समझौता वार्ता के दौरान रांची कार्यालय में उनका सर्विस ब्रेक किए बिना वेतन भुगतान करने और ज्वाइन कराने की सहमति बनी थी। पांच दिन तक दोनों कर्मियों को कार्यालय बुलाकर हाजिरी भी बनवाई गई।
अचानक 17 फरवरी को बुलाकर दोनों को ट्रांसफर लेटर थमाया गया। आनलाईन प्रार्थमिकी में दोनो मीडियाकर्मियो ने आरोप लगाया है कि ट्रांसफर लेटर लेने से इंकार कर दिया तो रांची के एचआर हेड हासिर जैदी ने कॉलर पकड़कर गाली देते हुए कहा कि सालों तुमदोनों को छोडेंगे नहीं, और फिर मारपीट का प्रयास किया था। किसी प्रकार अमित अखौरी और शिवकुमार सिंह गेट के बाहर जान बचाकर भागे।
उसके बाद दोनों कर्मियों ने आनलाईन प्राथमिकी के लिए आवेदन दिया और जान-माल की सुरक्षा की गुहार लगाई। फिलहाल इस मामले में हिन्दुस्तान प्रबंधन का या एचआर हेड हासिर जैदी का पक्ष अभी तक सामने नहीं आया है।
संपादकीय विभाग के कुछ अधिकारियों पर भी केस, खुलासा जल्द
इन मीडियाकर्मियों का दावा है कि संपादकीय विभाग के कुछ अधिकारियों के खिलाफ भी प्राथमिकी की गई है, उनके नाम का खुलासा जल्द किया जाएगा। उनका आचरण भी कुछ कर्मियों के प्रति अच्छा नहीं रहा है। बताया तो यहां तक जा रहा है कि हिन्दुस्तान में गबन के प्रयास में उनका डेस्क कई बार बदला जा चुका है और स्टाफर रहते हुए विज्ञापन के कमीशन खाने में भी उनकी भूमिका रही है। दूसरे संस्थानों में भी काम करते रहे हैं और एक मैगजीन के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से विज्ञापन और साक्षात्कार लेने भी गए थे। इसका पुख्ता प्रमाण भी मौजूद है। कई बार होटल का फर्जी बिल भुगतान कर प्रबंधन से पैसा भी हड़पा। अब ऐसे अधिकारी भी जल्द प्राथमिकी की जद में आएंगे।
शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट
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