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सुख-दुख

झारखंड वाली IAS को इतनी छोटी सी रकम भी सेटल करना नहीं आया!

विवेक उमराव-

मित्र ने कहा कि आप झारखंड की IAS अधिकारी के यहां पकड़े गए करोड़ों रुपए के मुद्दे पर कुछ बोलेंगे नहीं। मैंने कहा कि इस जैसे छोटे से मुद्दे पर क्यों बोलना जरूरी है। मित्र बोले कि यह छोटा मुद्दा है? मैंने कहा कि बिलकुल छोटा मुद्दा है।

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मित्र को अटपटा लगा तो मैंने कहा कि मुझे झारखंड वाली IAS अधिकारी मूर्ख लगती है या किसी पर विश्वास नहीं करने वाली लगती है।

भारत में अपवाद छोड़ कर शायद ही ऐसा कोई IAS अधिकारी हो जिसके पास सैकड़ों से हजारों करोड़ नहीं हो। लेकिन सब इतना व्यवस्थित तरीके से किया जाता है, नेक्सस के द्वारा किया जाता है कि सब खप जाता है।

बहुत IAS तो अपने आपको इमानदार प्रायोजित किए रहते हैं, कुछ IAS तो लोगों के लिए काम-वाम भी कर देते हैं ताकि महानता की छवि बन जाए जुगाड़ बन जाए तो लगे हाथ कोई राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार झटक लिया जाए, लेकिन कई हजार करोड़ दबाए बैठे होते हैं।

बहुत तो IAS ऐसे होते हैं जो बताते हैं कि उनके पास घर तक नहीं है। आपको टुटहा सा घर दिखाते हैं। लेकिन उन्होंने अपने बच्चों को विदेशों में सेटल कर रखा होता है वहां अपने बच्चों के नाम विदेशों में अरबों की संपत्तियां खरीद रखी होती हैं।

मैंने अपने मित्र से कहा कि ऐसा ही और भी बहुत कुछ होता है।

अपवाद हर बात के होते हैं, इसलिए कुछ अपवाद IAS लोगों की बात नहीं कर रहा हूं। लेकिन यह एक व्यवहारिक तथ्य है कि खुद को महा-इमानदार IAS के रूप में प्रायोजित करने वाले IAS अधिकारियों के पास भी झारखंड वाली IAS से अधिक होता है।

जिन लोगों को भी यह लगता है कि झारखंड वाली IAS के पास पाई गई रकम बहुत बड़ी रकम है या वह IAS बहुत भ्रष्ट है तो ऐसे लोग खुद को भले ही बहुत बड़ा विद्वान, चिंतक, सिस्टम को समझने वाला मानते हों, लेकिन बकैत के अलावा कुछ नहीं हैं जिनको भारत के सिस्टम की धेलाभर भी समझ नहीं है।

मेरी तो झारखंड वाली IAS के साथ सहानुभूति है, जिसे इतनी छोटी सी रकम भी सेटल करना नहीं आया। क्या मालूम यह पूरी घटना ही फर्जी हो क्योंकि मेरी जानकारी के अनुसार नोटबंदी के बाद भारत में भ्रष्टाचार व कालाधन पूरी तरह से खतम हो गया था।

मैं आशा करता हूं कि जल्द ही झारखंड वाली IAS अधिकारी वाला मामला रफा-दफा हो। ताकि लोग-बाग अपने ढर्रों में लौटें, नए चटखारों का इंतजार करें, स्वाद लें, आनंद लें। जीवन का उद्देश्य ही होता है चटखारे लेना, चटखारों का इंतजार करना।

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