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सुख-दुख

आईएएस सूर्य प्रताप को पता ही नहीं, हिंदुस्तान लखनऊ में छप गई चार्जशीट की खबर

सुनो सर जी, मार डालो पर.. डराओ मत,सर जी….! आज एक समाचार छपा …”आईएएस सूर्य प्रताप सिंह को चार्जशीट दी गयी ” बड़ा सामायिक है ..पर भैया है कहाँ ये सब ….क्या डरा डरा कर मार डालोगे, सर जी | कोई भी विभागीय कार्रवाई गोपनीय होती है, यही जारी होने वाली नोटिस/चार्जशीट को जारी करने से पहले ही सम्बंधित विभाग द्वारा ‘लीक’ कर दिया जाता है, तो सम्पूर्ण कार्यवाही पूर्वाग्रह से ग्रसित मानी जाएगी| वह भी, किसी एक अखबार को exclusive खबर क्यों? प्रेस कांफ्रेंस या प्रेस नोट क्यों नहीं जारी कर देते, क्या अन्य अख़बारों से डर लगता है कि वे दोनों पक्ष का मत लेकर सच्चाई लिख देंगें? मैं ये सब सरल मन से पूछ रहा हूँ…कोई अहंकारवश नहीं |

सुनो सर जी, मार डालो पर.. डराओ मत,सर जी….! आज एक समाचार छपा …”आईएएस सूर्य प्रताप सिंह को चार्जशीट दी गयी ” बड़ा सामायिक है ..पर भैया है कहाँ ये सब ….क्या डरा डरा कर मार डालोगे, सर जी | कोई भी विभागीय कार्रवाई गोपनीय होती है, यही जारी होने वाली नोटिस/चार्जशीट को जारी करने से पहले ही सम्बंधित विभाग द्वारा ‘लीक’ कर दिया जाता है, तो सम्पूर्ण कार्यवाही पूर्वाग्रह से ग्रसित मानी जाएगी| वह भी, किसी एक अखबार को exclusive खबर क्यों? प्रेस कांफ्रेंस या प्रेस नोट क्यों नहीं जारी कर देते, क्या अन्य अख़बारों से डर लगता है कि वे दोनों पक्ष का मत लेकर सच्चाई लिख देंगें? मैं ये सब सरल मन से पूछ रहा हूँ…कोई अहंकारवश नहीं |

इस प्रकार के पूर्वाग्रह ग्रस्त प्रचार क्या मानवीय संवेदना को कुचलने, मानसिक उत्पीडन, और कलंकित करने का प्रयास तो नहीं है ? ये सब गंभीर दर्द देता है, सर जी …. पीड़ा देता है…जन भावनाओं से साथ खिलवाड़ होता है …भावनात्मक शोषण होता है | इस सब से कुछ ‘ना-समझ’ लोग (पार्टी कार्यकर्ता आदि ) अपने ‘आकाओं’ को खुश करने लिए ‘जन-वेदना ‘ को उठाने वाली आवाज को नष्ट भी कर सकते हैं, मार भी सकते हैं …इतना तो ख्याल रखते, सर जी.. |

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यह सब किसी व्यक्ति के प्रति जन-विश्वास को कम करने का प्रयास हो सकता है…., फेसबुक पर लिखने वाले किसी लेखक की कलम तोड़ने का प्रयास हो सकता है…….मेरे जैसे…. एक छोटे-मोटे दीगर अधिकारी के व्यक्तित्व व आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने का प्रयास मात्र हो सकता है…. आदि आदि। मैं असली उद्देश्य की परिकल्पना न कर पाने के कारण केवल कयास ही लगा रहा हूँ |

मैं जनमानस की मौन स्वीकृति के वशीभूत उनके वर्तमान में विद्यमान व्यवस्था के डर, दर्द और यातना को एक जन-सेवक के रूप में उठा रहा हूँ, और वह भी जन-हित में | मैंने किसी व्यक्ति या संस्था की आलोचना के उद्देश्य से निम्न मुद्दों को नहीं उठाया है | मैं सामान्यतः व्यक्तिगत आलोचना से बचता हूँ | मैंने अब तक निम्न मुख्य सार्वजनिक मुद्दे ‘जनहित’ में उठाये हैं :

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१. प्रदेश में ‘बोर्ड परीक्षाओं’ में व्याप्त ‘नक़ल’ का मुद्दा: “नकल रोको अभियान’ चलाया|

२. किसानों की इस वर्ष हुई ओलावृष्टि में रु. ७,५०० करोड़ की अवितरित क्षति का मुद्दा, गत वर्ष सूखा राहत का रु. ४५० करोड़ का वितरण नहीं तथा गन्ना किसानों का रु. ११,००० करोड़ का लंबित भुगतान का मुद्दा आदि। सभी मुद्दे ‘किसान-हित’ व ‘जन-हित’ में उठाये गए |

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३. प्रदेश में बिजली मूल्य में ७०% जनविरोधी वृद्धि: बिजली विभाग में भ्रष्टाचार व VIP जनपदों में बिजली चोरी की खुली छूट का मुद्दा उठाया |

४. लोकसेवा आयोग में अध्यक्ष अनिल यादव के भ्रष्टाचार, जातिवाद, कदाचार का मुद्दा तथा अन्य भर्ती आयोगों जैसे अधीनस्थ चयन आयोग, माध्यमिक चयन आयोग में एक ही जाति के अध्यक्ष व हो रही नियम विरुद्ध व्यापक भर्तियों के मुद्दे उठाये |

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५. जगेन्द्र सिंह पत्रकार को सत्ता पक्ष के प्रभावशाली वर्ग द्वारा जलाकर मारने व बाराबंकी में पत्रकार की माँ के साथ दरोगा द्वारा बलात्कार का प्रयास तथा जलाकर मारने का मुद्दा, जिनमें अभी तक कोई गिरफ्तारी/कार्रवाई नहीं हुई |

६. आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे (रु.१५,०००) पर छ: “शक की सुईयां ” उठाईं – जिनमें इस परियोजना में केवल ४-५ जनपदों , एक VIP गाँव व भूमाफिया/रियल एस्टेट एज़ेट्स के लाभार्थ मकसद को उजागार किया |

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इससे पूर्व में भी ५, कालिदास मार्ग पर मेरे जैसे ‘महत्वहीन’ विभाग की समीक्षा के बहाने बुलाकर मेरा अपमान भी किया गया | फ़ोन पर तो मुझे गाली-गलौज लगभग रोज ही दी जाती है | नक़ल रोको अभियान के दौरान एक VIP जनपद तथा एक पूर्वी उ.प्र. के जनपद में मारने पीटने के उद्देश्य से घेरा भी गया था | मेरे घर पर भी लोग भेजे गए| मैं इस सब को यद्यपि अति-गंभीरता से नहीं लेता हूँ। इसलिए नहीं कि मैं बहुत निर्भीक हूँ और न ही अहंकारवश । यह सब कह रहा हूँ मैं अपने मन को समझाने के लिए । नियति पर भरोसा कर लेता हूँ। बस इतना ही मात्र है |

मैंने एक काल्पनिक पात्र विकसित किया है: ‘सर जी’ – यह मेरा स्वयं से बात करने (self-talking) का एक तरीका है …यह पात्र कोई व्यक्ति हो भी सकता और नहीं भी। उपरोक्त ‘गंभीर’ प्रकरण को लिखते हुए माहौल काफी ‘नीरस’ हो गया जान पड़ता है। चलो हम सब मिलकर अपने ‘सर जी’ से पूछते हैं।  क्यों कर रहे हो ये सब……सर जी।  क्या टल्ली हो गए हो ? टल्ली होना अच्छी बात नहीं। जनमानस की भावना पीड़ा…दर्द… को गंभीरता से लेना चाहिए …. यु…..वाह ..वा…वा ….जोश के साथ होश हो तो मजा आ जाये….बलत्कार… भ्रष्टाचार…. जातिवाद ….छेत्रवाद…..झूठा प्रचारवाद….का फल …मीठा नहीं होता…… गरीब..असहाय….निर्बल…को न सताइये जाकी मोटी हाय….. बिना स्वांस की खाल से….लोह भस्म हो जाये…

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मेरे लिखने व कहने का .. उद्देश्य जनमानस की भावनाओं को भड़काना कभी नहीं रहा। हाँ जनमानस को उनकी शक्ति का आभास कराने, जगाने का उद्देश्य अवश्य रहा है। और यह मैं जब तक स्वांस है शायद जरूर करूँगा। ऐसा संकल्प है सर जी। गलती हो तो माफ कर देना |

आईएएस सूर्यप्रताप सिंह के एफबी वाल से

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