यशवंत सिंह-
वोडाफोन के आम शेयरधारकों को आज ज़बरदस्त झटका लगा। लगभग बीस परसेंट तक ये शेयर गिर गया। सरकार इस कम्पनी की सबसे बड़ी मालिक बन गई है। इस खबर से शेयर के दाम बढ़ने की बजाय गिर गया। ये सरकार की औक़ात है। किसी सरकारी कम्पनी के निजीकरण की खबर से उस शेयर के दाम बढ़ जाते हैं। निजी कम्पनी के सरकारीकरण की खबर से शेयर धड़ाम हो जाते हैं। ग़ज़ब इक़बाल है सरकार बहादुर का।
Paytm में पैसा लगाने वाले आम निवेशक आजतक शेयर ख़रीद कर रो रहे हैं। इसका शेयर गिरता ही जा रहा है। बताते हैं कि Paytm के ipo के खेल से बड़े बड़ों ने करोड़ों अरबों बना लिए। मारा गया आम निवेशक। मोदी राज में मुनाफ़ा केवल उद्योगपतियों की क़िस्मत में है। आम आदमी तो सदा से अपनी जेब कटवाने के लिए होता है।
अनुपम-
गज्जब! BSNL को बेचने वाली सरकार अब घाटे में चल रही Vodafone Idea को खरीद रही है..
हम पहले दिन से कह रहे हैं कि ‘निजीकरण’ बोलना बंद करिए इस सरकार के लिए। क्योंकि नरेंद्र मोदी ‘मुनाफे का चंद हाथों में निजीकरण और घाटे का राष्ट्रीयकरण’ कर रहे हैं। इसी कारण महँगाई बढ़ रही है और नौकरियां कम हो रही हैं।
इस देश विरोधी नीति के लिए सबसे सही शब्द है ‘मोडानीकरण’!
धीरेंद्र पांडेय-
सब बेच दो क्योंकि गवर्नमेंट का काम बिजनेस करना नही है पैसा मिलेगा । BSNL के कर्मचारियों को VRS देदो उसके असेस्ट्स बेच दो घाटा करती है। बैंक बेचो घाटा करते हैं। और मजा ये कि वोडाफोन को सरकारी बना लेंगे। अब सरकार की हिस्सेदारी 35 प्रतिशत हो सकती है। एक ही तो दिल है।
सौमित्र रॉय-
मितरो, बेचने-बिकने के मौजूदा दौर में एक और बड़ी बिकवाली हुई है। वोडाफोन-आईडिया ने खुद को मोदी सरकार के हवाले कर दिया है। अब मोदी सरकार के पास कंपनी के सबसे ज़्यादा 35.8% शेयर हैं। अगला नंबर एयरटेल का हो सकता है!
मुकेश असीम-
वोडाफोन में 35.8% के साथ सरकार सबसे बड़ी शेयरहोल्डर हो जायेगी। वोडाफोन के पास 28.5% और आदित्य बिडला के पास 17.8% ही रह जायेंगे।
पर कंपनी का प्रोमोटर ये दोनों छोटे शेयरहोल्डर ही रहेंगे। उससे होने वाले ‘लाभों’ का लाभ भी उन्हें ही मिलता रहेगा।
पहले भी कई बार लिखा है, एक बार फिर:
पूंजीवादी व्यवस्था में हम सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण का विरोध करते हैं क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र में जनता के लिए कुछ तात्कालिक राहत के लिए लडाई का रास्ता मिलता है। पर पूंजीवादी व्यवस्था में राष्ट्रीयकरण या सार्वजनिक क्षेत्र समाजवाद नहीं है।
पूंजीवाद में निजीकरण और राष्ट्रीयकरण दोनों ही नीतियां एक साथ चलती हैं और दोनों का मकसद भी एक ही होता है, पूंजीपतियों का मुनाफा बढाना। अगर पूंजीपति वर्ग को राष्ट्रीयकरण से लाभ होता है तो सरकार अर्थात पूंजीपतियों की प्रबंध समिति राष्ट्रीयकरण करती है और निजीकरण से लाभ होता है तो निजीकरण करती है।
समाजवाद का अर्थ पूंजीवादी व्यवस्था में राष्ट्रीयकरण नहीं होता बल्कि उत्पादन के साधनों का निजी मालिकाना समाप्त कर उनका समाजीकरण होता है।
Prashant
January 12, 2022 at 9:02 am
” aap logo ke paas Modi ki kamiyan nikalne ke alawa our koi kaam nahi hai ?”
Mai aisa isliye kah raha hun ki kal shaam ko apani colony me eesi mudde par baat ho rahi thi … jyadatar logo ki jo ray thi ki …ye saari khabre – nizikaran ya sarkarikarn ki- sirf or sirf Modi ko badnam karne ke liye ki jaati hai….
Dhanya hai hum sab.. kya mansikata ho gayee hai hamari. Jitane bhi mobile phone service provider hai unhone apne rate 100 rs. se 200 tak mahnge kar diye hai.. magar public kahti hai aayega to Modi hi. Jai ho janata janardan ki.
Gopal Sureka
January 12, 2022 at 9:17 pm
Regarding Paytm share.Investors are suffering due to their excessive greed.It’s a simple mechanism before investing in any company just look at its valuation. 1 Re face value share is offered at 2150.How far is it justifiable. Because at this valuation it is worthier than SBI & HDFC BANK.Does it deserve this valuation?