अभी अभी मुझे ये ट्वीट किसी ने forward किया। भयानक मामला है ये तो। लिखने बोलने पर पाबंदी सिर्फ़ यूपी में ही नहीं है। ये आपातकाल तो देशव्यापी है। एक पत्रकार को इसलिए गिरफ़्तार कर लिया जाता है कि वह लिख देता है कि गोमूत्र गोबर कोविड का इलाज नहीं है।
इस प्रकरण पर विस्तार से लिखा जाना चाहिए। गिरफ़्तार पत्रकार को क़ानूनी मदद मिलनी चाहिए। मुंबई प्रेस क्लब उठ खड़ा हुआ है। बाक़ी संगठन/प्रेस क्लब किसलिए हैं? सबको आगे आना चाहिए।
गिरफ़्तार पत्रकार के सपोर्ट में सब लोग सोशल मीडिया पर लिखो कि — “हां, मैं भी कहता हूँ गोमूत्र गोबर कोविड का इलाज नहीं है। मैं इम्फ़ाल के पत्रकार के. वांगखेम की गिरफ़्तारी की निंदा करता हूँ”
-यशवंत, भड़ास4मीडिया