ABP न्यूज़ चैनल पर Indrajeet Rai जी ने दिलेरी का परिचय देकर ओम प्रकाश राजभर के निजी सचिव की पोल खोली.. असल में ट्रांसफर, पोस्टिंग का ये धंधा बड़ा आम है.. जानते सभी पत्रकार हैं लेकिन इंद्र ‘जीत’ होना आसान नहीं…
एबीपी न्यूज़ एंकर के सवाल पर ओम प्रकाश राजभर की हंसी और भी पीड़ादायक रही.. एंकर पूछती रह गयी लेकिन राजभर शकुनि हंसी के साथ निजी सचिव से पल्ला झाड़ते रहे.. राजभर का ये कहना समझ से परे है कि सचिव सरकारी आदमी है और अगर वो मेरे दफ्तर में ड्रामा कर रहा है तो मैं कर सकता हूं..
माफ करिए राजभर साहब आप तो मजे हुए खिलाड़ी हैं तो क्या आप बिना परखे ही कश्यप को इतना नजदीक कर लिए कि वो आप के नाम पर ही खेलने लगा.. सोचिए Indrajeet Rai भाई ने उसी की खबर क्यों बनाई.. बदनाम रहा होगा तभी तो थोड़ा सा चारा डालते ही जीभ लपलपाते फंस गया.. अब मंत्री जी आप भी पल्ला झाड़ने की बजाय इस्तीफा दे दीजिए..
वैसे तो ये स्टिंग ऑपरेशन बानगी भर है.. देश के हर कौने में पैसे का लेनदेन जारी है.. हम सभी उस मुल्क के वाशिंदे हैं जहां ईमानदारी शब्द अब डिक्शनरी में ही मिलता है.. सत्ता बदलती है तो जनता को भी लगता है ये वाला पिछले से कम भ्रष्ट होगा लेकिन हकीकत ये है कि जनता का भरोसा टूटता ही जाता है..
सोचिये हमारे यहां जिला अदालतों तक में मुंसिफ, मजिस्ट्रेट के सामने ही केस फाइल की पेशगी के तौर पर दस से पचास रुपये ले लिए जाते हैं.. पैसों की फेर में तारीख पर तारीख दी जाती है.. हालत ये होती है कि फरियादी की जवानी, बुढ़ापा सब कुछ खत्म हो जाता है लेकिन पैसों की हवस की आगे किसी का दिल तक नहीं पसीजता.. कोर्ट की चक्कर लगा कर एक दिन बुजुर्ग फरियादी दुनिया से भी चला जाता है..
हां यदि सेटिंग हो जाती तो सुकून से बुजुर्ग मर पाता लेकिन यही तो हमारे लोकतंत्र की तथा कथित खूबसूरती है कि फरियादी अब बुजुर्ग के बच्चे बन जाते हैं.. वैसे अपनी बात राजभर के पीए के भ्रष्टाचार से शुरू हुई थी सो यही कहूंगा कि अपने देश की सत्ता अगर स्वर्ग से अवतरित होकर हरिश्चंद्र भी संभाल लें तो भी कल्याण मुश्किल है.. हम सभी के अंदर भ्रष्टाचार के दीमक ने घर बना लिया है.. नैतिकता खूब बघारेंगे लेकिन खुद को सुधारेंगे नहीं..
देखेें स्टिंग….
टीवी जर्नलिस्ट अश्विनी शर्मा की एफबी वॉल से.
कुछ प्रतिक्रियाएं….
Tabrez Shams एबीपी न्यूज स्टिंग ऑपरेशन : एबीपी न्यूज़ के अंडरकवर रिपोर्टर ने उत्तर प्रदेश सरकार के तीन मंत्रियों के निजी सचिवों को रिश्वत मामले में खुफिया कैमरे में कैद किया है। योगी जी, हनुमान जी की जाति बताने से फ़ुर्सत मिल गई हो तो कभी यूपी की तरफ़ भी झाँक लो..
Abhishek Shandilya एबीपी न्यूज़ का बड़ा ख़ुलासा। कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर का निजी सचिव ओम प्रकाश कश्यप भाई कितना बड़ा घोटालेबाज़ है। बीएसए को हटाने के लिए 40 लाख रुपये ले रहा है भाई। ना खाऊंगा ना खाने दूंगा।
ambrish.
December 28, 2018 at 3:03 am
Here some eye-catching points are:
a. That the officers and liasoners were idiots, who could not identify Mr. Rai.
b. Is it a sponsored game with motto to fix MR. Rajbhar and to kept this intent veiled OTHERS ministers were included.
c. WHY FIR is being lodged against officers, he can get any work done only if his minister consents for it or does it.
d. If ministers are fair and transparent, they could have resigned.