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वेब-सिनेमा

दुनिया में भारत इंटरनेट पर ताला जड़ने वालों में अव्वल है!

ओम थानवी-

इंटरनेट आज के दौर में जानकारी ही नहीं, अभिव्यक्ति का भी ज़रूरी ज़रिया है। बैंकिंग-टिकटिंग की धुरी है। यात्राओं और स्थानीय आवागमन में बुकिंग/मार्गदर्शी काम इंटरनेट के बिना ठप हो जाते हैं। पर्यटक बिना नेट के कहीं आ-जा नहीं सकते। अभी परदेस में क़दम-क़दम पर इंटरनेट का हमको कितना सहारा था। कौनसी मेट्रो पकड़ें, होटल कितना दूर है, संग्रहालय कब तक खुला है, उड़ान कहाँ से है, किसी चीज़ का अन्य जगह क्या दाम है, पीछे बंद घर में सुरक्षा क़ायम है कि नहीं, आदि-इत्यादि।

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लेकिन हमारे यहाँ कोई अधिकारी पलक झपकते, मुख्यतः अपनी प्रशासनिक अक्षमता को ओट देने के लिए, इंटरनेट प्रतिबंधित करवा देता है। किसी स्वतंत्र मुल्क में यह प्रवृति हैरतअंगेज़ है। जानने के अधिकार, अभिव्यक्ति की आज़ादी पर सीधा कुठाराघात। कितने काम ऐसे निर्णय से ख़राब होते हैं, इसका हिसाब कोई लगाए कभी।

इस पर कुछ टिप्पणी करने पर सोच रहा था कि आज इंडियन एक्सप्रेस में यह ख़बर पढ़ी कि दुनिया में भारत इंटरनेट पर ताला जड़ने वालों में अव्वल है। पिछले साल 84 बार नेट बंद किया गया देश में। इसके लिए बने क़ानून पर दूरसंचार और केंद्रीय गृह मंत्रालय को फिर से सोचना चाहिए।

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