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दैनिक जागरण प्रबंधन ने अपने ब्यूरो चीफों को मृदा परीक्षण मशीन बिकवाने का टारगेट दिया

दैनिक जागरण, बनारस यूनिट से जुड़े जिलों के ब्‍यूरोचीफ परेशान हैं. उन्‍हें अपने मालिकान को पैसा कमवाने के लिए पत्रकारिता छोड़कर उस धंधे में उतरना पड़ रहा है, जो मृदा परीक्षण के नाम पर किया जा रहा है. ब्‍यूरोचीफों पर जबरिया मशीनें बिकवाने का दबाव बनाया जा रहा है. मालूम हो कि दैनिक जागरण, बनारस ने इन दिनों ”आधुनिक अन्‍नदाता महा‍भियान” चला रखा है. इस अभियान में किसानों को मृदा परीक्षण के नाम पर प्रशिक्षण देने की आड़ में दैनिक जागरण वाले लगभग 95 हजार रुपए की मृदा परीक्षण करने वाली मशीनों की बिक्री करवा रहे हैं.

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दैनिक जागरण, बनारस यूनिट से जुड़े जिलों के ब्‍यूरोचीफ परेशान हैं. उन्‍हें अपने मालिकान को पैसा कमवाने के लिए पत्रकारिता छोड़कर उस धंधे में उतरना पड़ रहा है, जो मृदा परीक्षण के नाम पर किया जा रहा है. ब्‍यूरोचीफों पर जबरिया मशीनें बिकवाने का दबाव बनाया जा रहा है. मालूम हो कि दैनिक जागरण, बनारस ने इन दिनों ”आधुनिक अन्‍नदाता महा‍भियान” चला रखा है. इस अभियान में किसानों को मृदा परीक्षण के नाम पर प्रशिक्षण देने की आड़ में दैनिक जागरण वाले लगभग 95 हजार रुपए की मृदा परीक्षण करने वाली मशीनों की बिक्री करवा रहे हैं.

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बताया जा रहा है कि बाजार में इस मशीन की कीमत 35 से 40 हजार रुपए के बीच है. बावजूद इसके इसे ऊंचे दाम पर बिकवाया जा रहा है. ब्‍यूरो चीफ और पत्रकार परेशान हैं कि कहां से इन मशीनों के लिए मोटे आसामी का जुगाड़ किया जाए. प्रबंधन दबाव बनाए हुए है कि खबर भले छूट जाए कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन मशीनें नहीं बिकी तो नौकरी जरूर जा सकती है. जीएम और संपादक का भी दबाव लगातार जिला प्रतिनिधियों पर पड़ रहा है, इसके चलते सभी परेशान हैं. उन्‍हें समझ नहीं आ रहा कि पत्रकारिता करें या दैनिक जागरण का मशीन बिकवाने का धंधा.

सूत्रों का कहना है कि जौनपुर जिला मशीनों की बिक्री करवाने में सबसे आगे है. यहां एक दर्जन से ज्‍यादा मशीनें ब्‍यूरोचीफ ने बिकवा दी है. इसी को नजीर बनाते हुए बनारस बैठे मुखिया दूसरे जिलों के ब्‍यूरोचीफों को भी मशीनें बिकवाने की हिदायत दे रहे हैं. ब्‍यूरो चीफ बेचारे नेताओं को पकड़कर किसी तरह मशीन बिक्री करवाने में अपना पसीना बहा रहे हैं. गौरलतब है कि यह मशीन किसी और कंपनी का है, जिसे बिकवाकर जागरण प्रबंधन भी पैसा बना रहा है. 

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दिचलस्‍प बात यह है कि सभी जिलों में सरकारी मृदा परीक्षण लैब होता है, जहां किसानों के खेतों की मिट्टी की मुफ्त जांच की जाती है. इसके अलावा सरकार ने सचल मृदा परीक्षण लैब की सुविधा भी प्रदान कर रखी है, जिसके तहत सचल वाहन गांव-गांव जाकर मृदा परीक्षण करता है. इसके बावजूद दैनिक जागरण का किसानों को महंगा मशीन खरीदने का दबाव बनाने के पीछे की मंशा समझना कोई राकेट साइंस नहीं है. मात्र कमीशन के पैसे बनाने के चक्‍कर में जागरण मृदा परीक्षण के नाम पर धंधा करने में जुटा हुआ है.  

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शर्मनाक बात यह है कि कम से कम पूर्वी उत्‍तर प्रदेश में किसान सर्वाधिक पीडि़त और शोषित स्थिति में हैं. उन्‍हें अपना उत्‍पादन बेचने से लेकर खाद-बीज पाने में तमाम परेशानियां झेलनी पड़ती हैं, इसके बावजूद दैनिक जागरण प्रबंधन उनकी परेशानियों को उजागर करने और सरकार को किसानों के मुद्दे पर घेरने की बजाय उनसे धोखेबाजी कर वसूली करने में जुटा हुआ है.

पूर्वांचल में सिंचाई, बिजली, खाद-बीज, धान-गेहूं खरीद में धांधली, गंगा कटान जैसे तमाम मुद्दे हैं, जिनसे किसान परेशान हैं. दैनिक जागरण को किसानों से जुड़ी ऐसी खबरों से कोई सरोकार नहीं है, लेकिन मृदा परीक्षण के नाम पर किसानों की आय दुगुनी करने का झांसा देकर मशीनें बिकवायी जा रही हैं. 

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