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सियासत

इस्लाम में जब तस्वीर लगाना ही नाजायज़ तो जिन्ना के फ़ोटो पर इतना बवाल क्यों

लखनऊ : हुदैबिया कमेटी  प्रदेश इकाई की लखनऊ में सम्पन्न हुई बैठक के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जिन्ना की तस्वीर को लेकर जो विवाद खड़ा हुआ है उस पर जम कर चर्चा हुई। हुदैबिया कमेटी की प्रदेश कार्यकारिणी को ख़िताब करते हुए नेशनल कन्वेनर हुदैबिया कमेटी डॉ. एस. ई.हुदा ने कहा कि मौजूदा हालात में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के नोवजवां तुलेबा को अपनी सियासी मफाद के लिये मुस्लिम क़ौम के ही कुछ “स्वम-भू” क़ायद उकसाने और उनके जज़्बातों को हवा देने का काम कर रहे हैं।

इस तरह के एहतेजाज से न मुल्क़ का भला होगा और न क़ौम का बल्कि बेहनुलाक़वामी सतह पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की जो साख है उसको ज़बर्दस्त नुक़सान पहुंचेगा। डॉ हुदा ने अपनी तक़रीर में आगे कहा कि अपने ज़ाती मफाद के लिये हमारे मुल्क के दो टुकड़े करवाने का जिम्मेदार जिन्ना दुश्मन मुल्क़ पाकिस्तान के लिये तो क़ायद-आज़म हो सकता है मगर अमन पसंद हिंदुस्तान के मुसलमानों के लिये उसकी हैसियत एक “अंग्रेज़ों के दलाल” से ज़्यादा कुछ भी नहीं।

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डॉ हुदा ने कहा कि कुछ रीजनल सियासी जमाते तुलेबा के बीच अपने नुमाइंदे भेज कर इस विवाद को हवा देने का काम कर रही हैं ताकि 2019 के आम इंतेख़ाबत में मुस्लिम युथ को अपने फायदे के लिये इस्तेमाल किया जा सके और नफ़रत की खेती से उपजी फ़सल को सियासी गलियारों में मुँह मांगे दामो पर बेचा जा सके।

डॉ हुदा ने आगे कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के तुलेबा से मैं ये तवक्को करता हूँ कि इस विवाद में दानिशमंदी और होशमन्दी का मज़ाहिरा करें एवं यूनिवर्सिटी के बानी सर सयैद अहमद खान के उस क़ौल पर गौर करें जिसमे उन्होंने कहाँ था कि हिंदुस्तान की दो आँखे हैं एक हिन्दू है एक मुसलमान, एक दूसरे के बिना दोनों अधूरे हैं।

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डॉ हुदा ने तोलेबा को हिदायत देते हुये कहा कि वक़्त की नज़ाकत को समझिये आपने ही बीच छुपे हुये सियासी भेड़ियों को पहचानिये अगर आपसे इनको पहचानने में चूक हो गयी तो आप को ये मुल्क़ की मुख्य धारा से अलग थलग करने के अपने सियासी एजेंडे में कामयाब हो जाएंगे जिसका असर यूनिवर्सिटी और आने वाली नस्लो के मुस्तक़बिल पर पड़ेगा।

डॉ हुदा ने कहा कि इस्लामी नुक़्ता ए नज़र से जब इस्लाम मे किसी भी तरह की तस्वीर लगाना जायज़ नही चाहे वो जानवर ही कि क्यों न हो फिर जिन्ना की तस्वीर को लेकर इतना बवाल मचाने की क्या ज़रूरत है। एहतेजाज हमेशा उस बात पर किया जाए जहां तोलेबा की हक़ तल्फ़ी का सवाल हो या कोई जायज़ बात हो। डॉ हुदा ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के तोलेबा से अपील की के यूनिवर्सिटी को सियासी अखाड़ा बनने से रोकें और इस एहतेजाज को ख़त्म करें तथा UPSC के एग्जाम में अपनी क़ाबलियत का मज़ाहिरा करें जहां 2018 में सिर्फ 50 बच्चे सेलेक्ट हो पाए हैं। अपनी एनर्जी देश और मिल्लत को मजबूत करने में लगाएं और मुल्क की मुख्य धारा से कटने का प्रयास न करें।

डॉ हुदा के लखनऊ पहुचने पर हुदैबिया कमेटी के सदस्यों ने उनका ज़ोरदार स्वागत किया जिसमें प्रमुख रूप से नूर अली, तंज़ीम खान, बाबर वारसी, ज़ीशान ज़फ़र, दिलशाद सिद्दीक़ी, मुजीब बेग आदि प्रमुख रूप से शामिल रहे। अंत में डॉ हुदा में हुदैबिया कमेटी के अहम रुकुन अहमद उल्लाह वारसी साहब की वालिदा के अचानक इंतेक़ाल पर गहरा दुःख व्यक्त किया और उनकी मग़फ़ेरत की दुआ की।

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