मुंबई। सीबीआई कोर्ट के जज बृजगोपाल हरकिशन लोया की संदिग्ध मौत को लेकर न्याय मिलने की राह में फिर आशा की किरण फूट पड़ी है। इस संबंध में बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में इस केस की जांच के लिए पुनर्विचार याचिका (रिव्यू पिटीशन) दाखिल की है। भाजपा के ‘शकुनि’ अमित शाह अब फिर इस मामले में घिरेंगे। ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने जज लोया की मौत की स्वतंत्र जांच (एसआईटी जांच) कराने से मना कर दिया था।
यह फैसला चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने दिया था। गौरतलब है कि जज लोया सोहराबुद्दीन मुठभेड़ केस की सुनवाई कर रहे थे, जिसमें भाजपा के मौजूदा अध्यक्ष अमित शाह अभियुक्त थे। लोया के बाद आने वाले जज ने शाह को बरी कर दिया था।
1 दिसंबर, 2014 को एक सहयोगी की बेटी की शादी में शामिल होने गए जज लोया की नागपुर में मौत हो गई थी, जिसे संदिग्ध माना गया था। इसके बाद इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। यह मामला देश की राजनीति में भी बहुत गरम रहा है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियां जज लोया मौत मामले को लेकर भाजपा और भाजपा अघ्यक्ष अमित शाह पर निशाना साधती रही हैं। हाल ही में कर्नाटक चुनाव प्रकरण के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को ‘मर्डर एक्यूज्ड’ कहते हुए संबोधित किया था। अब ऐसे में देखना होगा कि एसोसिएशन की ओर से दाखिल की गई रिव्यू पिटीशन को सुप्रीम कोर्ट स्वीकार कर सुनवाई करता है या नहीं?
‘कर्नाटक’ में फजीहत के बाद फिर बदनामी
रिव्यू पिटीशन दाखिल होने से अब एक बार फिर जज लोया की संदिग्ध मौत मामले में पहले अभियुक्त रहे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह निशाने पर होंगे। कर्नाटक चुनाव में हुई भाजपा की फजीहत को लेकर भी भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह की खूब आलोचना हो रही है। कर्नाटक में अल्पमत में रहने वाली भाजपा की हॉर्स ट्रेडिंग को लेकर खूब बदनामी हुई है।
क्या है रिव्यू पिटीशन में?
सुप्रीम कोर्ट में दायर रिव्यू पिटीशन में कहा गया है कि जज लोया मामले के तथ्यों को देखते हुए इस फैसले में न्याय नहीं हुआ है। याचिका में यह भी कहा गया है कि इस याचिका का उद्देश्य न तो सनसनीखेज बनाना है और न ही यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता और न्यायिक संस्थाओं की विश्वसनीयता को कमतर करने का कोई प्रयास है। गौरतलब है कि जज लोया की बहन अनुराधा बियानी ने कहा था कि उनके भाई जज लोया से मनचाहा फैसला देने के लिए उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहित शाह द्वारा 100 करोड़ रुपए का प्रस्ताव दिया गया था। इस तरह के कई सवाल हैं, जो अनुत्तरित हैं और गंभीर संदेह पैदा करते हैं।
चाणक्य नीति नहीं, शकुनि नीति
ज्ञात हो कि भाजपाई जिस तरह से अमित शाह को चाणक्य कहते रहे हैं, वह गलत है। चाणक्य ने कूटनीति अपनाई जरूर थी, लेकिन उनका उद्देश्य जुल्मी सत्ता को हटाने के लिए था। उन्होंने स्वतंत्र, आक्रामक और निष्पक्ष राष्ट्र के लिए रणनीति बनाई थी, लेकिन अमित शाह जो कूटनीति का सहारा ले रहे हैं, वह ‘शकुनि नीति’ है।
लेखक उन्मेष गुजराथी दबंग दुनिया अखबार के मुंबई एडिशन के संपादक हैं.