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सुख-दुख

कबूतरों से प्रेम आपकी जान ले सकता है… जानिए कैसे!

प्रो विजय नाथ मिश्रा-

एक छोटी सी बात। कबूतर की टट्टी में, क्रिप्टोकोकोल फफूद बहुतायत में पाया जाता है।

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(बाक़ी चिड़ियों में से तोता, चिकन या काकटू में भी पाया जाता है पर कम मात्रा में!)

ये फफूद, कबूतर के बीट से हवा में आ जाते हैं और मनुष्य के सासों से होते हुए फेफड़े में चले जाते हैं!

अगर, मनुष्य की इम्युनिटी कम हुई (जैसे डायबिटीज में या एड्स में या किडनी / लीवर ट्रांस्पलंट मरीज़ों में) तो ये फफूद फेफड़े से होते हुए, मनुष्य के ब्रेन में पहुँचते हैं और क्रिप्टोकोकॉकल मेनिनजाइटिस कर देते हैं!

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बीमारी काफ़ी गंभीर है और जानलेवा भी!

इससे सावधानी से हो बचा जा सकता है।

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चिड़ियों से प्रेम करें, पर थोड़ा सावधानी से और सफ़ाई के साथ!

(चित्र में क्रिप्टोकोकॉकल फंगस का सूक्ष्म रूप है और उसका जीवन चक्र है)

(चण्डीगढ़ हवाईअड्डे पर बैठा हूँ, और यहाँ हवाईअड्डे के अंदर तमाम कबूतर उड़ रहे हैं, सो सोचा कि बता दूँ)

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