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दिल्ली

केजरीवाल विचारशून्य राजनीति का सबसे बड़ा खिलाड़ी है!

पंकज मिश्रा-

वैसे तो फिलहाल चुनावी राजनीति विचारशून्य हो चली है मगर केजरीवाल विचारशून्य राजनीति का सबसे बड़ा खिलाड़ी है | विचार हीन राजनीति सिर्फ populist politics पर भरोसा करती है इसके अलावा उसे कुछ आता ही नही | समाजिक आर्थिक राजनीतिक किसी मुद्दे पर इसकी कोई राय नही होती , यह कभी पक्ष चुनता stand लेता नही दिखेगा | democracy को रौंदते हुए केजरिवाल की पूरी राजनीति majoritarianism पर टिकी है जो अंततः tyranny of majority में तब्दील होती है |

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न किसान बिल पर यह किसानों के साथ था , बल्कि भजपा का ही पिछलग्गू बना हुआ था मगर जैसे ही इसने मूड भांपा तो पीछे हो लिया | CAA NRC PROTEST में इसकी भूमिका सन्दिग्ध थी और दिल्ली दंगो में बिल्कुल दुबका बैठा था कि कही हिन्दू वोट न छिटक जाये | अपने दल में यह पूरी तानाशाही चलाता है , तानाशाही ही इसकी राजनीति का मूल चरित्र है |

चूंकि मूर्ख नही है , ये परले दर्जे का शातिर है लिहाज़ा इसे मालूम है कि नरेटिव कैसे बिल्ड किया जाता है और प्रचार तंत्र की ताकत क्या है | दिल्ली जैसे समृद्ध अर्ध राज्य में कुछ लोककल्याणकारी उपाय आसानी से लागू किये जा सकते है उसका ढिंढोरा जितनी जोर से यह पीटता है उसके आगे BJP फेल है |

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इसने यह भी भांप लिया कि कांग्रेस कमजोर हो रही है तो इसने अपनी राजनीतिक रणनीति ही यह बनाई कि जहां जहां कांग्रेस और भाजपा में सीधी टक्कर है उन क्षेत्रों की शिनाख्त करो और कांग्रेस को वहां से रिप्लेस करो जैसे गुजरात , जैसे गोआ , जैसे राजस्थान , उत्तराखंड आदि | पंजाब , दिल्ली और हरियाणा लगभग सटे हुए है तो यहां पर विस्तार की परियोजना को तब भी नेचुरल माना जा सकता है |

केजरीवाल के छद्म को जानने और समझने की जरूरत है इसके लिए इससे पत्रकारों को इसके आर्थिक सामाजिक सांस्कृतिक राजनीतिक विचारों पर गम्भीर प्रश्न करने चाहिए | बेरोजगारी , आर्थिक असमानता , कम्पोजिट कल्चर का संरक्षण , सोश्लिज़्म , capitalism , neo liberal economic policies , विकास की दिशा , साम्प्रदयिकता , इतिहास पुनरलेखन , कृषि समस्या , लेबर रिफॉर्म्स आदि आदि मुद्दों पर इसके क्या विचार है | यकीन जानिए इन सारे प्रश्नों पर यह बगलें झांकता मिलेगा |

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जनलोकपाल के मुद्दे पर यह राजनीति में आया था , किसी को याद है कि यह शब्द इसके मुंह से पिछली बार कब सुना गया ….. इसने दिल्ली में कोई जनलोकपाल बिल पास भी कराया था उसका outcome , उसकी उपलब्धियों का ब्यौरा इसने एक बार भी मुहैय्या कराया क्या …. यही केजरीवाल का असल रूप है |

इतनी साधारण सी चुनौती केजरीवाल को बगलें झांकने पर मजबूर कर रही है

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कुमार विश्वास का किरदार मुझे कभी भी न रुचा , न जंचा | फिर ऐन चुनाव के वक़्त उसने केजरीवाल के विरुद्ध मोर्चा खोला उसकी timing को देखते हुए यह मुझे पहली नजर में एक पोलिटिकल gimmick ही लगा |

मगर जिस तरह से कुमार विश्वास , अरविंद केजरीवाल को खालिस्तान के विरुद्ध एक स्टेटमेंट भर जारी करने की चुनौती दे रहे है और अरविंद ऐसा करने के बजाय विक्टिम कार्ड खेल रहे है | इससे तो कुमार विश्वास के आरोपों में तथ्य लगता है और यदि ऐसा है तो यह गम्भीर मामला है और अत्यंत खतरनाक भी , पंजाब और देश दोनों के लिए अशुभ है | पंजाब आग से खेलना afford नही कर सकता |

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आपको संबित और कन्हैया कुमार की बहस याद होगी जिसमें संबित को वह गोडसे मुर्दाबाद बोलने की चुनौती दे रहे थे परंतु संबित ने लाख चुनौती के बाद भी गोडसे मुर्दाबाद नही कहा | यह साधारण घटना नही थी , यह इस बात का लिटमस test था कि वैचारिक धरातल पर आप गांधी वादी है या गोडसे वादी और यह तथ्य उंस बहस से प्रमाणित हो गया |

कुमार विश्वास की चुनौती भी बिल्कुल यही है की केजरिवाल खालिस्तान के पक्ष में है या समर्थन में , बस इतना वह साफ कर दे , और इतनी साधारण सी चुनौती भी यदि केजरीवाल को बगलें झांकने पर मजबूर कर रही है तो यह बात कुमार विश्वास के आरोपों को पुख्ता ही करती है |

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निजी तौर पर मैं अरविंद केजरीवाल को विचारशून्य , स्ट्रीट स्मार्ट , अवसरवादी तानाशाह के रूप में ही मानता था परंतु इस हद का अवसरवादी नही की वह खालिस्तान के idea का विरोध तक न कर सके | इस एक तथ्य ने मेरे तो कान खड़े कर दिए है |

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1 Comment

1 Comment

  1. सिंहासन चौहान

    February 18, 2022 at 6:16 am

    पंकज मिश्रा जी केजरीवाल पर इतना भन्नाए हुए क्यों हैं, में दिल्ली में नहीं रहता हूँ मगर आम जनता(निचले तबके), सबको ही मुख्य जरूरते, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क , बिजली ,पानी इसमें केजरीवाल को महारत हाशिल है । दिल्ली के स्कूलों की हालत सभी जानते है आज दिल्ली के सरकारी स्कूल के आगे प्राइवेट स्कूल फेल हैं , 200 यूनिट और 20000 लिटर से कम बिजली , पानी कौन इस्तेमाल करेगा ? एक आम आदमी निचले तबके का ही और दिल्ली में 70% आबादी ऐसे ही लोगों की है , इसलिए केजरीवाल को सत्त्ता से हटाना इतना आसान नहीं है क्योंकि 70% लोग उसके काम से संतुष्ट हैं परेशानी अमीर लोगों को है ।

    दूसरी बात आज यूपी में 300 यूनिट फ्री बिजली देने की बात हो रही है , किसानों को फ्री बिजली देने की घोषणाएं हो रही है । आज पब्लिक का खून चूसने वाली सरकार भी ये घोषणा कर रही है इसे केजरीवाल की ही देन समझिए , सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 केजरीवाल की ही देन है जिसके लिए उन्हें मैग्सेसे अवार्ड मिला था ……

    लिखने के लिए और भी बहुत कुछ है मगर मैं दिल्ली का निवासी नहीं हूँ वहां के लोग ही और ज्यादा बेहतर बात सकते हैं

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