Om Thanvi : सुषमा स्वराज की इसके लिए दाद देनी चाहिए कि उन्होंने अपनी गलती तुरंत स्वीकार की। लेकिन मोदी गुट के अमित शाह और संघ उनके हक में खड़े दिखाई दे रहे हैं तो क्या यह संदेह नहीं खड़ा होता कि काला दाल में नहीं, दाल ही काली है? क्या सुषमा स्वराज किसी षड्यंत्र का शिकार हुई हैं? क्या सुषमा स्वराज के निर्णय के पीछे सचमुच कोई पारिवारिक कारण हैं या ‘मानवीय आधार’ पर पार्टी या सरकार में वे इस्तेमाल हुई हैं; जिन्होंने उन्हें इस अनाचार इस्तेमाल किया, उन्हें भय है कि स्वराज को इस मामले में किनारे करने पर उनका भांडा फूट जाएगा? वरना मोदी दूसरे मोदी के नाम पर अपनी सरकार को बदनाम क्यों होने देंगे?
ललित मोदी के वकील की प्रेस कांफ्रेंस कुछ टीवी लाइव दिखा रहे हैं! अनवरत। खबर लायक तत्त्व खबरों में दिखाना वाजिब होता है, पर भगोड़े या उसके वकील का सुदीर्घ प्रलाप? नायाब मीडिया मैनेजमेंट? या अपने मीडिया रसूक का सरकारी प्रचार तत्त्वों द्वारा इस्तेमाल? … वकील साहब मोदी सरकार के एक साल ‘भ्रष्टाचार-मुक्त’ शासन का भी गुणगान कर रहे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार और जनसत्ता अखबार के संपादक ओम थानवी के फेसबुक वॉल से.