आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने आज डीआईजी लखनऊ आर के चतुर्वेदी को पत्र लिख कर लखनऊ पुलिस की हकीकत बताई है. पत्र में उन्होंने कहा है कि उनकी पत्नी डॉ नूतन ठाकुर ने स्वयं से सम्बंधित एक शिकायती पत्र थाना गोमतीनगर में भेजा पर थानाध्यक्ष और एसएसआई सहित सभी ने पत्र रिसीव करने तक से मना कर दिया. श्री ठाकुर ने इस सम्बन्ध में एसएसआई से फोन पर बात करना चाहा तो उन्होंने इससे भी मना कर दिया.
इसके बाद श्री ठाकुर ने डीआईजी को फोन कर गहरी नाराजगी जाहिर की जिसके तुरंत बाद डीआईजी ने थानाध्यक्ष को फोन किया जिन्होंने झूठ कह दिया कि पत्र पहले ही रिसीव हो गया है जबकि सच्चाई यह थी कि डीआईजी की डांट के बाद पत्र रिसीव करना शुरू किया गया था. श्री ठाकुर ने डीआईजी को इस सभी बातों से अवगत कराते हुए इस मामले को एक नजीर के रूप में देखते हुए कठोर कार्यवाही के लिए कहा है ताकि लखनऊ पुलिस में वास्तविक सुधार हो और जनता का वास्तविक भला हो.
सेवा में,
श्री आर के चतुर्वेदी,
डीआईजी रेंज,
लखनऊ
विषय- थाना गोमतीनगर में पत्र रिसीव नहीं करने, बात तक करने से इनकार करने, पत्र ले गए व्यक्ति से अनुचित आचरण किये जाने विषयक
महोदय,
कृपया आज समय 01.48 बजे मेरे सीयूजी नंबर 094544-00196 से आपके सीयूजी नंबर 094544-00212 पर किये गए फोन कॉल और इसके उत्तर में आप द्वारा 02.00 बजे किये गए कॉल का सन्दर्भ ग्रहण करें. आपको स्मरण होगा कि मैंने आपको कॉल कर अवगत कराया था कि मेरी पत्नी डॉ नूतन ठाकुर की ओर से एक प्रार्थनापत्र (प्रतिलिपि संलग्न) ले कर एक व्यक्ति थाना गोमतीनगर में रिसीव कराने गए थे जहां उपस्थित सभी लोगों ने पत्र रिसीव करने से साफ़ इनकार कर दिया था. मैंने यह भी बताया था कि जब पत्र ले गए व्यक्ति ने फोन मिला कर थाने के लोगों से मुझसे फोन से बात करने को कहा तो उन्होंने इससे तक इनकार कर दिया था. मैंने आपको निवेदन किया था कि थाने पर थानाध्यक्ष तथा एसएसआई बैठे हैं पर कोई भी व्यक्ति पत्र रिसीव नहीं कर रहा है.
मैंने आपसे निवेदन किया था कि आप और सभी वरिष्ठ अधिकारी लगातार कहते हैं कि थानों पर सभी पत्र तत्काल रिसीव होंगे पर यह उसकी वास्तविक स्थिति है. मैंने आपसे निवेदन किया था कि मैं मात्र अपना पत्र रिसीव करवाने हेतु यह फोन नहीं कर रहा, बल्कि इस मामले को एक नजीर के रूप में देखने के लिए कर रहा हूँ कि थाने पर इस प्रकार खुलेआम प्रार्थनापत्र रिसीव नहीं किये जा रहे हैं, क्या इस पर कोई कार्यवाही भी हुआ करती है और आप जैसा सक्षम अधिकारी क्या इस पर कोई कार्यवाही करेगा.
आपने मुझसे कहा था कि आप अभी मामले को देख रहे हैं और मुझे सूचित करेंगे. आपने कुछ देर बाद मुझे फोन कर बताया था कि वह पत्र तो पूर्व में रिसीव हो गया है जिस पर मैंने आपको बताया था कि मुझे अभी-अभी थाने पर मौजूद व्यक्ति ने बताया कि थानाध्यक्ष अभी-अभी किसी का फोन हाथ में लिए सर-सर करते निकले हैं और पत्र रिसीव करने के आदेश दिए हैं. मैंने यह भी बताया था कि अभी तक पत्र रिसीव नहीं हुआ है, बल्कि आपके फोन के बाद पत्र रिसीव करने की कार्यवाही शुरू हुई है. मैंने आपसे निवेदन किया था कि इस मामले को यूँ ही बीच में छोड़ने की जगह इसमें कोई ठोस कार्यवाही करें ताकि सही सन्देश जाए.
बाद में मेरी पत्नी डॉ नूतन ठाकुर ने भी आपसे फोन कर इस मामले में ठोस कार्यवाही का निवेदन किया था पर अब तक कुछ भी नहीं हुआ दिखता है. निवेदन है कि हमारे लिए यह एक अकेला मामला नहीं, एक उदहारण है कि किसी प्रकार स्वयं लखनऊ जनपद में पुलिस द्वारा थाने पर व्यवहार किया जा रहा है. जैसा मैंने आपको बताया था कि थाने के लोग जानते हैं कि मैं एक आईपीएस अफसर हूँ, तब उन्होंने उस समय तक पत्र रिसीव नहीं किया जबतक मैंने आपके समक्ष अपनी गहरी नाराजगी और भारी कष्ट व्यक्त नहीं किया था और जब तक आपने इसे पुनः थानाध्यक्ष गोमतीनगर को आगे संप्रेषित नहीं किया था.
निवेदन करूँगा कि यदि यह एक उस आदमी के साथ स्थिति हो जो मौजूदा समय में आईपीएस पद पर तैनात है तो आम आदमी की स्थिति का अनुभव स्वयं किया जा सकता है. अतः जैसा आपके विषय में आम शोहरत है और जैसा मैंने आपसे फोन पर भी कहा था कि आप एक सक्षम अधिकारी माने जाते हैं, मैं समझता हूँ यह आपका उत्तरदायित्व बनता है कि मात्र पत्र रिसीव होने को प्रकरण का अंत समझने की जगह इसे प्रकरण की शुरुआत मानते हुए इसे एक उदहारण के रूप में देखने की कृपा करें. तदनुसार यदि आपको मेरी बातों में कोई अर्थ दिख रहा हो तो न सिर्फ इस मामले में
आवश्यक जांच कर आवश्यक कार्यवाही कार्यवाही करने की कृपा करें बल्कि इस सम्बन्ध में भविष्य में किसी घटना की पुनरावृति को रोकने के लिए भी सभी आवश्यक निर्देश निर्गत करने की कृपा करें.
पत्र संख्या-AT/Complaint/85/15
दिनांक- 26/02/2015
(अमिताभ ठाकुर)
5/426, विराम खंड,
गोमती नगर, लखनऊ
# 94155-34526
amitabhthakurlko@gmail.com
प्रतिलिपि- डीजीपी, यूपी, लखनऊ को कृपया आवश्यक कार्यवाही हेतु