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सुख-दुख

भारतीय मोहतरमा को एक पाकिस्तानी के प्यार में पड़ने की ये सजा मिली, न्यूड तस्वीरें आनलाइन हो गईं

Yashwant Singh : एक भारतीय मोहतरमा ने एक पाकिस्तानी से चैट किया और प्यार में पड़कर अपनी कई न्यूड तस्वीरें भेज डालीं. उन परदेसी भाई साहब ने एक रोज सब कुछ आनलाइन कर दिया. साथ ही मोहतरमा के सारे एफबी मित्रों के पास उस आनलाइन फोटोज के लिंक भेज दिए. मेरे पास भी आई हैं कुछ नंगी तस्वीरें लेकिन मैंने एक आंख से देखा और दूसरी आंख से डिलीट का बटन दबा दिया. सुना है वस्त्र विहीन तस्वीरें देख कुछ करीबियों की जुगलबंदियां टूट गईं और दिल इधर उधर छटपटाते बिखरे पाए गए.

<p>Yashwant Singh : एक भारतीय मोहतरमा ने एक पाकिस्तानी से चैट किया और प्यार में पड़कर अपनी कई न्यूड तस्वीरें भेज डालीं. उन परदेसी भाई साहब ने एक रोज सब कुछ आनलाइन कर दिया. साथ ही मोहतरमा के सारे एफबी मित्रों के पास उस आनलाइन फोटोज के लिंक भेज दिए. मेरे पास भी आई हैं कुछ नंगी तस्वीरें लेकिन मैंने एक आंख से देखा और दूसरी आंख से डिलीट का बटन दबा दिया. सुना है वस्त्र विहीन तस्वीरें देख कुछ करीबियों की जुगलबंदियां टूट गईं और दिल इधर उधर छटपटाते बिखरे पाए गए.</p>

Yashwant Singh : एक भारतीय मोहतरमा ने एक पाकिस्तानी से चैट किया और प्यार में पड़कर अपनी कई न्यूड तस्वीरें भेज डालीं. उन परदेसी भाई साहब ने एक रोज सब कुछ आनलाइन कर दिया. साथ ही मोहतरमा के सारे एफबी मित्रों के पास उस आनलाइन फोटोज के लिंक भेज दिए. मेरे पास भी आई हैं कुछ नंगी तस्वीरें लेकिन मैंने एक आंख से देखा और दूसरी आंख से डिलीट का बटन दबा दिया. सुना है वस्त्र विहीन तस्वीरें देख कुछ करीबियों की जुगलबंदियां टूट गईं और दिल इधर उधर छटपटाते बिखरे पाए गए.

पर सवाल वही है कि अगर मर्द की न्यूड फोटो लीक हो तो मर्दों वाली बात, लेकिन औरत की हो तो वो क्यों हो गई बेसवा? प्यार में सारा खेल शरीर का ही क्यों रखते हो, कुछ दिमाग का भी रखा करो. शरीर दागी हो गया (चलो मान लेते हैं) तो दिमाग तो क्रिएटिव है, सेंसेटिव है, कुछ नया रचेगा, फिर से वो छपेगा और फिर चल निकल सकती हैं जुगलबंदियां.

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ये पूरा खारिज और पूरा कुबूल वाला खेल मुझे समझ नहीं आता. जितना अच्छा है, उसे प्यार करो. जो खराब लगे, उसे इगनोर करो. और वैसे भी, पत्थर वो मारे जिसने पाप न किया हो. देह के दायरे में उम्र के आखिरी पड़ाव तक डूबे रहना कहां की होशियारी है. पाप करिए, लेकिन उससे सबक लेकर आगे बढ़िए, रिपीट मत करिए, अटकिए मत.

का कहूं, कछु कहा नहीं जाए. बिन कहे भी रहा नहीं जाए.

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भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से.

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