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माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भ्रष्टाचार और गिरीश उपाध्याय

भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भ्रष्टाचार का गढ़ बनता जा रहा है। इसका सीधा असर यहां पर अध्ययनरत भावी पत्रकारों पर पड़ रहा है। दूसरी बार कुलपति बने प्रो. बीके कुठियाला तांडव के खिलाफ एक युवा पत्रकार ने मोर्चा खोल रखा है। यहां हुई अवैध नियुक्तियों से विवि की छवि धूमिल हुई है। इंदौर घराने के सांध्य दैनिक 6 पीएम समाचार पत्र जिसे अभी-अभी एक साल भोपाल में शुरू हुआ है, में युवा पत्रकार गिरीश उपाध्याय पत्रकारिता विश्वविद्यालय की लगातार कलई खोल रहा है।  हर पांच छह दिन के अंतराल से एकाध खबर दे रहा है। 

भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भ्रष्टाचार का गढ़ बनता जा रहा है। इसका सीधा असर यहां पर अध्ययनरत भावी पत्रकारों पर पड़ रहा है। दूसरी बार कुलपति बने प्रो. बीके कुठियाला तांडव के खिलाफ एक युवा पत्रकार ने मोर्चा खोल रखा है। यहां हुई अवैध नियुक्तियों से विवि की छवि धूमिल हुई है। इंदौर घराने के सांध्य दैनिक 6 पीएम समाचार पत्र जिसे अभी-अभी एक साल भोपाल में शुरू हुआ है, में युवा पत्रकार गिरीश उपाध्याय पत्रकारिता विश्वविद्यालय की लगातार कलई खोल रहा है।  हर पांच छह दिन के अंतराल से एकाध खबर दे रहा है। 

पत्रकारिता विवि का माहौल भयपूर्ण है। यहां पढ़ने वाले भावी पत्रकारों अपनी आवाज नहीं उठा पा रहे हैं। खबर रुकवाने में माहिर कुठियाला का जुगाड़तंत्र भी इस युवा पत्रकार के सामने काम नहीं कर पा रहा है। इस पत्रकार ने कुलपति प्रो. कुठियाला की रातों की नींद उठाकर रख दी है। वहीं उपाध्याय भावी पत्रकारों की आवाज बनकर उभकर सामने आया है। पर गिरीश उपाध्याय नाम के कारण कुछ परेशानी भी है। गिरीश उपाध्याय नाम से भोपाल राजधानी में दो पत्रकार हैं। एक नवदुनिया के पूर्व संपादक गिरीश उपाध्याय जो अब अपनी सेवाएं पत्राकारिता विवि में दे रहे हैं। दूसरा गिरीश उपाध्याय जो अभी-अभी पत्रकारिता जगत में अपनी पहचान बना रहा है। लेकिन शुरुआती दिनों में इस युवा पत्रकार द्वारा दी गई खबरों के कारण वरिष्ठ गिरीश उपाध्याय को परेशानी झेलनी पड़ रही हैं। एक बार तो नवदुनिया के पूर्व संपादक  गिरीश उपाध्याय ने सोशल मीडिया और वाट्स-अप और एसएमएस के माध्यम से खंडन कर चुके हैं कि सांध्य दैनिक 6पीएम मैं जो गिरीश उपाध्याय खबर लिख रहा है वो मैं नहीं हूं। दरअसल, इसके पीछे यह कारण वरिष्ठ पत्रकार को लगातार पहुंच रहे फोन और खबर रुकवाने के लिए हो रही कोशिशों और बधाई भी हैं।

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