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मध्य प्रदेश

माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय के नियुक्ति घोटाले में फंसे प्रोड्यूसर दीपक चौकसे पर जनसंपर्क विभाग मेहरबान

भोपाल । माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय के नियुक्ति घोटाले में फंसे प्रोडयूसर दीपक चौकसे पर जनसंपर्क विभाग मेहरबानी कर रहा है। चौकसे की सरकारी नौकरी के साथ वेबसाइट भी चल रही है, जिसमें जनसंपर्क से सरकारी विज्ञापन जारी किए जा रहे हैं। पहले ही इस घोटाले में एक दर्जन कर्मचारियों के खिलाफ लोकायुक्त जांच चल रही है। इनमें एक नियुक्ति व्यापमं घोटाले में रिमांड पर गए पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के भांजे की हुई थी, जिसे विवाद के बाद रद्द किया गया है। इन एक दर्जन नियुक्तियों में यूनिवर्सिटी प्रशासन ने 17 सितंबर 2013 को दीपक चौकसे को बतौर प्रोडयूसर मोटी तनख्वाह पर नियुक्ति दी थी।

<p>भोपाल । माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय के नियुक्ति घोटाले में फंसे प्रोडयूसर दीपक चौकसे पर जनसंपर्क विभाग मेहरबानी कर रहा है। चौकसे की सरकारी नौकरी के साथ वेबसाइट भी चल रही है, जिसमें जनसंपर्क से सरकारी विज्ञापन जारी किए जा रहे हैं। पहले ही इस घोटाले में एक दर्जन कर्मचारियों के खिलाफ लोकायुक्त जांच चल रही है। इनमें एक नियुक्ति व्यापमं घोटाले में रिमांड पर गए पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के भांजे की हुई थी, जिसे विवाद के बाद रद्द किया गया है। इन एक दर्जन नियुक्तियों में यूनिवर्सिटी प्रशासन ने 17 सितंबर 2013 को दीपक चौकसे को बतौर प्रोडयूसर मोटी तनख्वाह पर नियुक्ति दी थी।</p>

भोपाल । माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय के नियुक्ति घोटाले में फंसे प्रोडयूसर दीपक चौकसे पर जनसंपर्क विभाग मेहरबानी कर रहा है। चौकसे की सरकारी नौकरी के साथ वेबसाइट भी चल रही है, जिसमें जनसंपर्क से सरकारी विज्ञापन जारी किए जा रहे हैं। पहले ही इस घोटाले में एक दर्जन कर्मचारियों के खिलाफ लोकायुक्त जांच चल रही है। इनमें एक नियुक्ति व्यापमं घोटाले में रिमांड पर गए पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के भांजे की हुई थी, जिसे विवाद के बाद रद्द किया गया है। इन एक दर्जन नियुक्तियों में यूनिवर्सिटी प्रशासन ने 17 सितंबर 2013 को दीपक चौकसे को बतौर प्रोडयूसर मोटी तनख्वाह पर नियुक्ति दी थी।

जनसंपर्क विभाग के अंतर्गत आने वाली यूनिवर्सिटी से वेतन लेने के साथ ही चौकसे एमपी समाचार डॉट काम के नाम से बाकायदा वेबसाइट भी चला रहे हैं। चौकसे ने वेबसाइट में अपना नाम दीपक अग्निमित्र बताया है, जबकि पत्रिका के हाथ लगे दस्तावेज में प्रोड्यूसर की नौकरी के आवेदन और वेबसाइट के मालिकियत में एक ही मोबाइल नंबर (93034-30005) नजर आ रहा है। इसमें दीपक के साथी अखिलेश और नीरज श्रीवास्तव हैं। डोमेन में भी दीपक अग्निमित्र को मालिक दिखाया गया है। एक ही विभाग से दो जगह से आर्थिक फायदा उठा रहे हैं। यह डोमेन नियुक्ति के बाद 30 सितंबर 2013 को अपडेट हुआ है। इस बारे में दीपक चौकसे का कहना है कि यूनिवर्सिटी ज्वाइन करने के बाद बेवसाइट अपडेट नहीं कर पाए हैं। इस वजह से अनलिंक हो गई है। हमने रिन्यू करा लिया है। इसी महीने के अंत में नए कलेवर में नजर आने लगेगी। आप अभी पुराने बेकअप को ही देख पा रहे हैं।  (साभार- पत्रिका)

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