Yashwant Singh-
ग़ाज़ीपुर में आज जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा का उत्थान फ़ाउंडेशन के आयोजन में दिया गया भाषण सुना। समारोह के आयोजक भाई संजीव गुप्ता जी के निमंत्रण पर पहुँचा था।
दो दिनों में सिन्हा जी के दर्जनों कार्यक्रम थे ग़ाज़ीपुर में। कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा अगला लोकसभा चुनाव लड़ने-जीतने की ज़बरदस्त तैयारी कर रहे हैं, ऐसी चर्चा है।
पिछला चुनाव अफ़जाल अंसारी जीते लेकिन उनका कोई कामकाज या प्रजेंस मुझे नहीं दिख रहा। कहीं कोई चर्चा भी नहीं उनकी। वे ग़ाज़ीपुर के लिए तन मन धन से कुछ कियें हों तो मुझे अपडेट करें।
मनोज सिन्हा ने केंद्रीय मंत्री रहते ग़ाज़ीपुर के लिए बहुत कुछ किया जिसका फ़ायदा हम सबको मिल रहा है। ग़ाज़ीपुर से दिल्ली कलकत्ता मुंबई आदि जगहों के लिए सीधी ट्रेन शुरू कराना बहुत बड़ा कदम है। इसके अलावा ढेरों विकास के काम कराए, इंफ़्रास्ट्रक्चर के लिए बहुत से प्रोजेक्ट मंज़ूर कराए जिसका काम आज चल रहा है। उत्थान फ़ाउंडेशन ट्रस्ट का प्रोजेक्ट भी उसी वक्त का है जो आज हेल्थ एजुकेशन आदि क्षेत्रों में सक्रिय है और इसका काम ज़मीन पर दिखने लगा है। इसके बावजूद पिछला चुनाव हार जाना उनके लिए, उनके समर्थकों के लिए एक सदमा था।
मैंने भी मनोज सिन्हा के ख़िलाफ़ वोट दिया था। मुझे अब लगता है कि ग़लत आदमी को वोट किया।
मनोज सिन्हा ग़ाज़ीपुर के लिए किसी bjp के नहीं बल्कि ग़ाज़ीपुर वालों के हितों को ध्यान में रख कर काम करने वाले जेनुइन नेता हैं। नेता वही जो अपने संसदीय क्षेत्र / अपने ज़िले के लिए जी जान से काम करे करवाए। बड़े दिल दिमाग़ से सोचे।
आज का उनका भाषण ग़ाज़ीपुर के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने वाला था। उन्होंने अपनी धरती का पूरे मन से आभार जताया। वे साफ़ साफ़ कहे कि वो जो कुछ भी हैं, जहां भी पहुँचे हैं वो इस ग़ाज़ीपुर की मिट्टी, ग़ाज़ीपुर की जनता के पसीने की देन है।
मनोज सिन्हा काफ़ी पढ़े लिखे नेता हैं। दूसरों को गरियाने की बजाय वे अपने दिल की बात, ग़ाज़ीपुर की बात, विकास की बात, देश राज्य की सरकारों की योजनाओं की बात किए। बेहद शालीन और सौम्य तरीक़े से।
पूरे भाषण का video देखें, क्लिक करें-
Manoj Sinha Utthan Foundation Trust Programme speech
उपरोक्त वीडियो में देख सकते हैं-
-मनोज सिन्हा के भाषण के दौरान एक बार बिजली चली गई। इससे हर ओर सन्नाटा छा गया।
-माइक भी गड़बड़ाते रहे. इसे दुरुस्त करने की कोशिश में मनोज जी के हाथ से बार बार माइक लिया दिया जाता रहा।
-भोजन जल्द शुरू कर देने से ढेरों लोग पेट भरने में जुट गए और फिर डकार लेते हुए घर की ओर चल दिए। इसलिए कुर्सियाँ ख़ाली भी दिखीं।
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