Nitin Srivastava-
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भगवान श्री राम के पुत्र कुश की नगरी में सैकड़ों वर्ष पुराना रामलीला मैदान और मौनी मंदिर की जमीन को बेच डालने की रची गयी साज़िश
साजिश में भाजपा नेता और विश्व हिन्दू परिषद से जुड़े लोगों के शामिल होने का आरोप
आक्रोशित हुए रामभक्त और स्थानीय नागरिक, मौनी मंदिर पर हुआ कोर्ट से स्टे, रामलीला मंचन मैदान बचाओ संघर्ष समिति का हुआ गठन
भाजपा नेता और उनके रिश्तेदार है मौनी मंदिर और रामलीला मैदान बेचने वाले ट्रस्ट के मेम्बर
भूमाफियाओं को संरक्षण देने में उछला डिप्टी सीएम केशव मौर्य के करीबी भाजपा नेता का नाम
सुल्तानपुर- यूँ तो सूबे में भाजपा सरकार आने के बाद सीएम आदित्यनाथ योगी द्वारा सरकारी और धार्मिक स्थलों की जमीन पर कब्जा करने वाले भूमाफियाओं के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाते हुए “एंटी भूमाफिया स्क्वायड टीम” का गठन कर पूरे सूबे में सरकारी (नजूल) और धार्मिक स्थलों की जमीन पर कब्जा करने वालों के खिलाफ एक्शन लेने का काम किया था लेकिन अब जब भाजपा से जुड़े एक नेता के संरक्षण में नजूल भूमि पर स्थित मौनी मंदिर और रामलीला मैदान की जमीन को फर्जी तरीके से उनके और उनके रिश्तेदारों द्वारा भूमाफियाओं से सांठ-गाँठ कर उसे बेच डालने की साजिश रची गयी तो इसपर प्रशासन भी चुप्पी साधे हुए है क्योंकि मामला भाजपा के एक नेता से जुड़ा हुआ है।
ये मामला अयोध्या से सटे भगवान राम के पुत्र कुश की नगरी कुशभवनपुर(सुल्तानपुर) का है.जहाँ रामनगरी अयोध्या से महज 50 किलोमीटर की दूरी पर पर स्थित कुशनगरी (सुल्तानपुर) में एक भाजपा नेता और उनके रिश्तेदारों पर भूमाफियाओं से सांठगांठ कर सैकड़ों वर्ष प्राचीन रामलीला मंचन मैदान और शहर के बीचों बीच सिविल लाइन स्थित मौनी मंदिर की जमीन पर अवैध तरीके से बहुमंजिला शॉपिंग कांप्लेक्स बनाकर उसे बेंच डालने की साजिश रचने का आरोप लग रहे हैं। इस सनसनीखेज मामले का खुलासा सोमवार को हुआ तो आक्रोशित रामभक्त शहरवासियों ने की इस सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के लिए रामलीला मैदान की ओर धावा बोल दिया। भूमाफियाओं से रामभक्तों की सीधे टकराव होने की आशंका को भांप भारी पुलिस बल भी मौके पर आ डटा।
घंटों रामलीला मैदान में गहमागहमी रही और सीधे ‘एक्शन’ के मूड में आए नगरवासियों को किसी तरह शहर कोतवाल भूपेंद्र सिंह ने समझा बुझाकर एक बड़ा बवाल टाला। फिलहाल प्रकरण ने तूल पकड़ लिया है और मामले कि जानकारी लिखित रूप योगी सरकार तक कर दी गयी है । चूंकि मामले में यूपी सरकार के ताकतवर मंत्री व डिप्टी सीएम के करीबी एक स्थानीय भाजपा नेता की भूमाफियाओं से मिलीभगत होने का आरोप लग रहा है। जिसपर नगर पालिकाध्यक्ष के नेतृत्व में ‘रामलीला मंचन मैदान बचाओ संघर्ष समिति’ के गठन के साथ नागरिक भी अब आरपार की लड़ाई लड़ने के मूड में आगे आ गए है ।
क्या है रामलीला मैदान का पूरा मामला….
भगवान राम के बड़े पुत्र कुश की बसाई गयी प्राचीन नगरी कुशभवनपुर (मौजूदा सुल्तानपुर जिला) के पश्चिमी छोर पर करीब दो सौ वर्ष पुराना रामलीला मैदान स्थित है। जिला गजेटियर के अनुसार , इस मैदान पर सैकड़ों वर्षों से रामलीला का मंचन स्थानीय नागरिक करते आ रहे हैं। आज भी रामलीला व रावण वध आदि का मंचन प्रत्येक वर्ष होता है। जिसके प्रति लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। इसी मैदान पर कलाकारों के रुकने के लिए बने कमरों में अतिरिक्त दिनों में बच्चों के पठन-पाठन के लिए दशकों पुराना विद्यालय भी संचालित है लेकिन उपभोक्तावाद के मौजूदा दौर ने इस स्कूल को कथित तौर पर संचालित करने वालों को ‘बदनीयत’ कर दिया। जिसके बाद चुपके-चुपके उन लोगों ने भूमाफियाओं से मिलकर शहर के बेशकीमती हिस्से में स्थित रामलीला मैदान में बने शिक्षण कक्षों को तोड़कर कोरोनाकाल में उसे कमर्शियल कॉम्प्लेक्स में बदल डालने की साजिश को अमल में लाना शुरू कर दिया। गत दिवस प्रकरण ने तूल तब पकड़ा जब शिक्षण कक्षों को जर्जर बताकर रातोंरात इनकी जगह भीतर से नए निर्माण की शुरुआत हो गई। भाजपा के कतिपय नेताओं के दबाव में सरकारी कागजात में भी हेरफेर की जाने लगी। जब इसकी भनक पालिकाध्यक्ष बबिता जायसवाल व उनके पति जिला पंचायत सदस्य अजय जायसवाल को लगी तो उन्होंने सोशल मीडिया पर नागरिकों से सांस्कृतिक धरोहर रामलीला मैदान को बचाने का खुला आह्वान कर डाला। जिसपर सोमवार को करीब एक हजार लोगों ने रामलीला मैदान में धावा बोल दिया। इस जमात में शहर के तमाम मानिंद लोग पूर्व पालिकाध्यक्ष शिवकुमार अग्रहरि, राजपूताना शौर्य फाउंडेशन के अधिवक्ता अरविंद सिंह राजा, बृजेश सिंह, गोमती मित्र मंडल के रमेश माहेश्वरी, भारत विकास परिषद के प्रांतीय मंत्री अनिल बरनवाल, भाजपा के नगर मंत्री अंकित अग्रहरि, कोषाध्यक्ष रचना अग्रवाल, पूर्व सभासद आशा खेतान व तमाम भाजपाई सभासद आत्मजीत टीटू, विजय सेक्रेटरी, अनुराग श्रीवास्तव, डीपी श्रीवास्तव, मनीष जायसवाल के साथ बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं का हुजूम शामिल था। मौके की नजाकत व जनाक्रोश को भांप भारी पुलिस बल लेकर पहुंचे शहर कोतवाल भूपेंद्र सिंह ने मध्यस्थता की कोशिश की। पालिकाध्यक्ष बबिता जायसवाल व उनके पति अज़य जायसवाल ने भी मोर्चा गठित कर लोगों से मंगलवार को डीएम को ज्ञापन देने की सलाह दी। तब जाकर भूमाफियाओं से सीधे टकराव की स्थिति टाली जा सकी।
क्या है मौनी मंदिर का मामला….
शहर के सिविल लाइन इलाके में स्थित मौनी मंदिर की जमीन को भी कमर्शियल काम्प्लेक्स बनाये जाने की नियत से फर्जी दस्तावेज तैयार कर भूमाफियाओं को बेच डालने की योजना बना ली गयी है,चूंकि मामले में सत्ताधारी भाजपा नेता और विश्व हिन्दू परिषद से जुड़े लोगों का भूमाफियाओं को संरक्षण होने का आरोप लग रहा है तो वहीं खुलेआम भूमाफिया भी अराजकता फैलाते हुए मौनी मंदिर में रहने वाले किरायेदारों को जबरन डरा धमका रहे है । सूत्रों की माने तो मौनी मंदिर की बिल्डिंग को भूमाफियाओं ने गिरा तो दिया है लेकिन वहां कोई निर्माण हो पाना सम्भव नही है,क्योंकि उक्त बिल्डिंग में रहने वाले एक किरायेदार ने कोर्ट की शरण ले ली और कोर्ट ने उक्त बिल्डिंग पर किसी तरह का कोई निर्माण कार्य किये जाने पर रोक(स्टे) लगा दिया है ।
स्थानीय नागरिकों ने डीएम से मिलकर सौंपा ज्ञापन… डीएम के आदेश पर जाँच करने पहुंचे एडीएम एफआर ने नगर पालिका को विवादित रामलीला परिषर पर ताला बंद करने का दिया आदेश
Akash Dwivedi
February 24, 2021 at 12:14 am
Bhu mafiya bjp ek ho gye hai. Lagta hai yeah log yogi ke janne wale hai.