Yashwant Singh : मीडिया इंडस्ट्री में जबरदस्त उथल पुथल है. चैनल वालों का कोई इमान धरम नहीं रहा… यानि इन पर कोई भरोसा नहीं करता अब… सब जानते हैं कि ये पैसे लेकर खबरें चलाते हैं… सब जानते हैं कि ये निहित स्वार्थी एजेंडे के तहत कोई खबर या कंपेन चलाते हैं… असली खबरों को दबा देंगे, नकली खबरों को चढ़ा देंगे….
दो लोग सहमति से सेक्स करें तो इससे मीडिया वालों का क्या वास्ता होना चाहिए. पत्रकारिता की पढ़ाई में यह सिखाया जाता है कि परसनल लाइफ पर कभी खबर नहीं बनाई जानी चाहिए.. लेकिन चैनल वाले तो परसनल लाइफ पर न सिर्फ खबर दिखाते हैं, बल्कि परसनल लाइफ नष्ट तक कर डालते हैं. घेरघार कर महिला से एफआईआर करवा लिया गया और एक नेता को इसलिए जेल भेज दिया गया क्योंकि वह एक ऐसी पार्टी से है जिसकी दुश्मन भाजपा के नेता हैं.
दिल्ली पुलिस का इतना शानदार इस्तेमाल कभी किसी ने नहीं किया जितना मोदी जी के कार्यकाल में हो रहा है. भाजपा मेंं शामिल हुए हरक सिंह रावत पर रेप का आरोप लगा तो पुलिस ने हाथ तक नहीं डाला. आरोप लगाने वाली महिला को घेरघार कर यह कहलवा दिया गया कि उसने यूं ही आरोप लगा दिया था, कोई रेप वेप नहीं हुआ. मीडिया वाले भी रेपिस्ट हरक सिंह रावत को बचाने में लग गए और आरोप लगाने वाली महिला को नंगा करने का काम शुरू किया… मीडिया के ऐसेे चिंटुओं से क्या उम्मीद की जाए… सब जानते हैं कि हरक सिंह रावत का इतिहास रेप और रास से भरा पड़ा है… लेकिन उस पर पुलिस नहीं हाथ लगा सकती क्योंकि वह केंद्र में सत्ताधारी पार्टी का नेता है…
मैं आम आदमी पार्टी या कांग्रेस का समर्थक नहीं हूं. न ही भाजपा से कोई खास बैर है. इस लोकतंत्र में जनता जनार्दन जिसे चुने, वही राजा. लेकिन कोई गड़बड़ करे तो उसका जिक्र हम लोगों को जरूर करना चाहिए. इस आधार पर कि हम भाजपा के समर्थक हैं तो भाजपा की गल्तियों से आंख मूंद लेंगे और आम आदमी पार्टी के समर्थक हैं तो ‘आप’ की करतूतों को इगनोर कर देंगे, गलत है. अगर आप रेशनल, डेमोक्रेटिक हैं तो आपको जो अच्छा हो उसकी तारीफ हो, जो गलत लगे उसका विरोध हो. बात तो अभी मीडिया की मैं कर रहा था. मीडिया में चैनलों को किस तरह एक खास एजेंडे के लिए सक्रिय कर दिया गया है, यह साफ साफ दिख रहा है. केजरीवाल का भारी भरकम विज्ञापन देकर चैनलों का मुंह बंद करना भी काम नहीं आ रहा क्योंकि दूसरी पार्टी लगता है कि कुछ ज्यादा ही माल पहुंचा रही है गोपनीय तरीके से. इस धंधेबाजी के कारण चैनलों की विश्वसनीयता बुरी तरह गिरी है. चैनल मालिकों की नींद उड़ी हुई है कि यही हालात रहे तो लोग चैनल देखना बंद कर देंगे.
अब अखबारों की बात… इनके मालिकान इस किस्म के चोट्टे निकले कि संसद, कानून, न्यायालय सबको धता बताते हुए अपने कर्मियों को उचित कानूनी सेलरी नहीं दो तो नहीं ही दी… अब जब सुप्रीम कोर्ट का डंडा हो रहा है तो सब बाप बाप चिल्ला रहे हैं… सुप्रीम कोर्ट से डरा श्रम विभाग अब सक्रिय हुआ है और ताबड़तोड़ छापे मार रहा है… मालिकों ने दहशत के मारे नोट हगना शुरू कर दिया है…
पता चला है कि अमर उजाला के मालिक राजुल माहेश्वरी ने फिर से अपने कर्मियों के खाते में एरियर की राशि डाल दी है… साथ ही सभी कर्मियों से नए फार्म पर साइन करवाया जा रहा है… जागरण वालों के आफिसों पर भी श्रम विभाग के छापे पड़ रहे हैं…
लखनऊ में अखबर वितरकों ने कई दिनों से हड़ताल कर रखा है… वे कमीशन घटाए जाने से नाराज हैं… इंदौर में इंडिया टीवी के स्टेट हेड पिटा गए लेकिन चैनल ने एक लाइन खबर नहीं चलाई… विस्तार से हाल खबर जानने के लिए भड़ास4मीडिया डॉट कॉम पर पहुंचिए. आजकल मीडिया के अंदर काफी हलचल है. इसलिए भड़ास तक खूब सारी खबरें आ रही हैं. हालांकि हम लोग अपना काफी वक्त भड़ास के आठवें जन्मदिवस की तैयारियों पर लगा रहे हैं लेकिन मौका मिलते ही भड़ास को अपडेट करने का काम शुरू हो जाता है. इस आने वाले रविवार यानि 11 सितंबर को आप सभी फेसबुकी साथी दिल्ली में रफी मार्ग पर स्थित कांस्टीट्यूशन क्लब पहुंचिए. वहां एक से बढ़कर एक खुलासे होंगे. सम्मान होगा. गीत-संगीत होगा. न्योता यहां अटैच है.
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह की एफबी वॉल से.