Connect with us

Hi, what are you looking for?

वेब-सिनेमा

(पार्ट एक) वंचित तबके की लड़की मीना कोतवाल की जुबानी बीबीसी की कहानी

मीना कोतवाल

मैं और बीबीसी-1

चार सितम्बर, 2017 का दिन यानि बीबीसी में ऑफिस का पहला दिन. रातभर नींद नहीं आई थी, बस सुबह का इंतज़ार था. लग रहा था मानो एक सपना पूरा होने जा रहा है. क्योंकि आज तक घर में तो छोड़ो पूरे परिवार में भी कोई इस तरह बड़े-बड़े ऑफिस में काम नहीं किया था. परिवार में कोई इतना पढ़ा लिखा ही नहीं है. एक चचेरा भाई पढ़ा लिखा है लेकिन वो भी सिर्फ बारहवीं तक. घर परिवार की बेटियों की तो बात ही छोड़ो. मेरी बहनें आठवीं तक जरूर पढ़ी हैं. इसलिए किसी ने भी इतने बड़े संस्थान में काम करना तो दूर करीब से देखा तक नहीं है.

मेरा इतना पढ़ना और इतनी अच्छी जगह काम की शुरूआत करने भर से पापा सबको ये बात सीना चौड़ा करते हुए बताते थे.

Advertisement. Scroll to continue reading.

परिवार में पापा-मम्मी बहुत खुश थे. इतने खुश की उन्होंने गांव में कई रिश्तेदारों को फ़ोन कर बताया था कि बेटी अब बहुत बड़े मीडिया ऑफ़िस में काम करने जा रही है. बड़ी बहनों ने अपने घर (ससुराल) के आसपास मिठाई बंटवाई थी.

चूंकि पापा भगवान में अभी भी थोड़ा विश्वास रखते इसलिए पापा ने गांव में एक रसोई (भोज) के लिए भी कहा हुआ था, जो इस साल करने के लिए कह रहे थे. लेकिन अभी कुछ दिन पहले ही मैंने उन्हें इसलिए मना कर दिया क्योंकि मुझे पता चल गया था कि मेरी नौकरी अब ज्यादा दिन यहां नहीं है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

खैर, ऑफिस समय से पहुंच गई थी. कस्तुरबा गांधी मार्ग पर खड़ी ऊंची-सी बिल्डिंग को पहले नीचे से ऊपर तक देखा और तब एक सपना पूरा करने की ओर आगे बढ़ी.
जल्दी इतनी थी कि पांच मंज़िल सीढ़ियों से ही चढ़ गई. हांफते हुए जब पहुंची तो वहां मेरे साथ ज़ॉइन करने वाला कोई नहीं था. रिसेप्शन पर पता चला कि सभी लोग तो ऊपर वाले माले पर हैं और वही ऊपर तक छोड़कर भी आए.

डरी हुई सी पेंट्री में गई जहां सभी लोग बैठे थे. जब वहां बैठे सब लोगों को देखा तो सब बहुत ही अनुभवी लग रहे थे. वहां खुद को बहुत ही अदना सा महसूस कर रही थी. उनमें से कुछ को व्यक्तिगतरूप से जानती थी और कुछ को सिर्फ नाम और चेहरे से. पटर-पटर इंग्लिश बोलने वालों के बीच अपना इंन्ट्रो भी इंग्लिश में देना असहज महसूस करवा रहा था.

Advertisement. Scroll to continue reading.

दिन की शुरूआत और हमारा स्वागत चॉकलेट से किया गया. ऑफ़िस प्रशासन से जुड़े लोग सब एक-एक कर मिलने आ रहे थे. पहले अपना इंट्रो देते और फिर हमारा पूछते.

सब इतना अच्छा महसूस करवा रहे थे कि लग रहा था कि ऑफ़िस हो तो ऐसा वरना हो ही ना. जो भी आ रहा था कहता कि यहां कोई मैम और सर नहीं है सबको नाम लेकर बुला सकते हैं क्योंकि सब एक समान हैं.

Advertisement. Scroll to continue reading.

लेकिन मैं अपनी आदत से मजबूर थी. बड़े-बड़े लोगों का नाम लेने के बारे में कभी सोचा ही नहीं था. शायद इसमें मेरे अनुभव की कमी थी या परिवार की परवरिश ही ऐसी थी, पता नहीं.
खैर, इस बारे में न्यूज़रूम में जाकर साफ़ हो गया कि ये बात तो केवल ट्रेनिंग का एक पार्ट है जिसे लागू करने की जरूरत नहीं है. क्योंकि वहां पहले से मौजूद लोग सर और मैम का चलन जारी रखे हुए थे.

हमारे बॉस और हिंदी के एडिटर मुकेश शर्मा ने पूरा ऑफ़िस घुमाया और प्रत्येक व्यक्ति के काम के बारे में बताया कि कौन क्या काम करता है और कहां क्या काम होता है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

पूरा दिन दूसरों का और खुद का परिचय करने-कराने में ही बीत गया. ऑफ़िस के माहौल और काम का खूब बख़ान किया गया जो सुनने में कानों को एक शांति देते हैं और दिमाग को एक ठंडक. लेकिन ये कब तक बनी रहनी थी, ये पता नहीं था. दिन के अहम आठ घंटे बीत चुके थे, जो यहां का वर्किंग टाइम था और इस तरह दिन बहुत अच्छा-अच्छा-सा बीता.

To be continued…

Advertisement. Scroll to continue reading.

युवा पत्रकार मीना कोतवाल की एफबी वॉल से.

इसके आगे का पार्ट पढ़ें-

Advertisement. Scroll to continue reading.

(पार्ट दो) वंचित तबके की लड़की मीना कोतवाल की जुबानी बीबीसी की कहानी

इसे भी पढ़ें-

तुम पागल हो, जो ये सब लिख रही हो, तुम्हें कोई नौकरी नहीं देगा!


मीना कोई अकेली नहीं, भारतीय मीडिया को पूरा दलित वर्ग कुबूल नहीं!

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement