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सियासत

मोदी को भगवान न बनाओ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर मंदिर बनाने की घोषणा क्रांति की जमीन मेरठ में एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने की है। सिचाई विभाग से रिटायर इंजीनियर जेपी सिंह की माने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू लोगों के सिर पर चढ़कर बोल रहा है। ऐसे में उनके नाम का मंदिर बनना चाहिए। ऊपरी तौर पर देखा जाए तो इस ऐलान के पीछे किसी की व्यक्तिगत इच्छा और भावना ही दिखाई देती है। पर रिटायर इंजीनियर की घोषणा एक लोकतांत्रिक देश में किसी नेता को भगवान बनाने की कोशिश भी दिखाई देती है। मामले को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जा सकता।

<p>प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर मंदिर बनाने की घोषणा क्रांति की जमीन मेरठ में एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने की है। सिचाई विभाग से रिटायर इंजीनियर जेपी सिंह की माने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू लोगों के सिर पर चढ़कर बोल रहा है। ऐसे में उनके नाम का मंदिर बनना चाहिए। ऊपरी तौर पर देखा जाए तो इस ऐलान के पीछे किसी की व्यक्तिगत इच्छा और भावना ही दिखाई देती है। पर रिटायर इंजीनियर की घोषणा एक लोकतांत्रिक देश में किसी नेता को भगवान बनाने की कोशिश भी दिखाई देती है। मामले को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जा सकता।</p>

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर मंदिर बनाने की घोषणा क्रांति की जमीन मेरठ में एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने की है। सिचाई विभाग से रिटायर इंजीनियर जेपी सिंह की माने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू लोगों के सिर पर चढ़कर बोल रहा है। ऐसे में उनके नाम का मंदिर बनना चाहिए। ऊपरी तौर पर देखा जाए तो इस ऐलान के पीछे किसी की व्यक्तिगत इच्छा और भावना ही दिखाई देती है। पर रिटायर इंजीनियर की घोषणा एक लोकतांत्रिक देश में किसी नेता को भगवान बनाने की कोशिश भी दिखाई देती है। मामले को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जा सकता।

ऐसा नहीं है कि ऐसी घोषणा कोई पहली दफा देश में हुई है। प्रायः दक्षिण भारत से नेताओं और फिल्मी सितारों के मंदिर बनाने और पूजा करने की खबरे आती रही हैं। देश के कई राज्यों में कई लोगों ने अपने पंसदीदा नेताओं, फिल्मी सितारों और खिलाड़ियों के मंदिर बनाये हैं। वहीं अपने पंसदीदा सितारों और नेताओं की तस्वीर की पूजा करने वाले भी बढ़ी संख्या में है।

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समर्थकों की ओर से अपने नेताओं के प्रति प्रेम दर्शाने के कइ्र्र मामले प्रकाश में आये हैं। लेकिन बसपा सुप्रीमो मायावती ऐसी नेता हैं जिन्होंने खुद ही अपनी मूर्तियां लगवाई हैं। यूपी की मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने राज्य के पार्कों, स्मारकों में दलित नेताओं, चिंतकों, और सुधारकों के साथ-साथ अपनी प्रतिमाएं भी लगवाई हैं। इन प्रतिमाओं को लेकर यूपी की सियासत भी कई बार गर्मा चुकी है। लेकिन मूर्तियां वहीं की वहीं हैं। मायावती की शान में ‘माया पुराण’ की रचना भी की गई है। जिसमें मायावती को समता मूलक समाज की आराध्य देवी कहा गया है।

मोदी संघर्ष के नेता हैं। स्टेशन पर चाय बेचने से लेकर देश के सबसे शक्तिशाली पद तक का उनका सफर आसान नहीं रहा। एक गरीब परिवार का लड़का आज दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का ध्वजवाहक है। मोदी का जीवन चरित्र और संघर्ष देश के लाखों-लाख देशवासियों के लिये प्रेरणादायी है। उनका जीवन अभाव और गरीबी में बीता। ऐसे में समाज का वंचित, पिछड़ा, गरीब, मजदूर, किसान और अभाव में जीवन यापन करने वाला हिस्सा मोदी को अपना रोल माडल मानता है। आबादी का यह बड़ा हिस्सा मोदी केे जीवन से किसी न किसी तरीके से प्रेरणा पाता है। विधार्थी और युवा विशेषकर बड़ी संख्या में प्रधानमंत्री मोदी को अपना रोल माडल मानते हैं।

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भारत में फिल्मी सितारों के नाम पर मंदिर बनाया जाना कोई नई बात नहीं है। पहले इस तरह की खबरें केवल दक्षिण भारत से ही आती थीं। लेकिन अब देश के दूसरे हिस्सों से भी ऐसी खबरें सुनने में आती हैं। अभिनेत्री खुशबू के नाम का मंदिर तमिलनाडु के तिरूचिरापल्ली में मौजूद है और वो इस पर आश्चर्य व्यक्त कर चुकी हैं। खुशबू के अलावा ममता कुलकर्णी, नमीता, पूजा उमाशंकर के नाम पर भी मंदिर बातें की जाती हैं लेकिन अब तक उनकी पुष्टि नहीं हो सकी है। अमिताभ को पसंद करने वालों ने कुछ समय पहले कोलकाता में उनके नाम पर एक मंदिर बनाया था जहां उनकी पूजा होती है। शिवसेवा के संस्थापक बाल ठाकरे का भव्य मंदिर बनाया जा रहा है। चंद्रपुर जिले के भद्रावती में इस मंदिर के निर्माण के लिए भद्रावती नगर परिषद ने करीब पांच एकड़ जमीन दी है।

तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और डीएमके अध्यक्ष एम करुणानिधि का मंदिर राज्य के वैलूर जिले में उनके समर्थको ने स्थापित किया है। डॉक्टर येदुगुड़ी सनदिंति राजशेखर रेड्डी को वाईएसआर के रूप में जाना जाता रहा. वे आंध्र प्रदेश के एक करिश्माई और लोकप्रिय नेता थे। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की इकाई ने विशाखापटनम में उनकी याद में एक मंदिर का निर्माण कराया। राजगोपालापुरम गांव में बने इस मंदिर को राजशेखरा रेड्डी अलायम नाम दिया गया है। मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में 15 साल पहले देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजेपयी का मंदिर बनवाया गया था। सत्यनारायण टेकरी नाम की पहाड़ी पर बने इस मंदिर में बाकायदा एक पुजारी भी रखा गया हैै। उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के एक गांव में मोदी की मूर्ति की रोज पूजा-अर्चना की जाती है। आरएसएस के कारसेवक और विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी रह चुके बृजेंद्र मिश्र ने भगवानपुर गांव के शिव मंदिर में मोदी की प्रतिमा स्थापित की थी। उसके बाद मंदिर को नाम दिया गया था ‘नमो नमो मंदिर’। इस मंदिर में रोज सुबह और शाम मोदी की आरती और पूजा की जाती है. जिसमें गांव के लोग भी भाग लेते हैं।

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आंध्र प्रदेश के महबूब नगर में एक कांग्रेसी नेता ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की एक बड़ी मूर्ति बनवाई। नौ फीट की इस मूर्ति को तेलंगाना टाल्ली नाम दिया गया। जिसका अर्थ होता है तेलंगाना की माता। इस काम को अंजाम दिया कांग्रेस नेता पी. शंकर राव ने. अलग तेलंगाना राज्य बनाने के पार्टी के फैसले के बाद सोनिया गांधी की यह मूर्ति स्थापित की गई। इसके अलावा कई बार सोनिया के देवी रूप वाले पोस्टर भी चर्चाओं में रहे हैं। बिहार के भभुआ जिले में भोजपुरी फिल्मों अभिनेता मनोज तिवारी ने पूजा-पाठ के साथ साल 2013 में क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर की मूर्ति का अनावरण किया था। उनका मंदिर कैमूर जिले में बनवाया गया है। राजस्थान में बीजपी नेता और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की पूजा करने वाले भी बहुत हैं। जोधपुर जिले में एक भाजपा नेता ने शहर के एक मंदिर में राजे का बड़ा सा पोस्टर लगाकर उनकी पूजा करनी शुरू कर दी। उस पोस्टर में वसुंधरा राजे को अन्नपूर्णा देवी के रुप में दिखाया गया है।

गुजरात के राजकोट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मंदिर एक स्थानीय संगठन ओम युवा समूह ने बनवाया है। करीब 300 लोगों के इस संगठन ने आपस में चंदा एकत्र कर मंदिर बनाने का सारा खर्च उठाया। मंदिर बनाने में 4-5 लाख रुपये का खर्च आया है। मंदिर का उद्घाटन एक केंद्रीय मंत्री को करना था लेकिन मोदी की नाराजगी के बाद कार्यक्रम रद्द हो गया।
मीडिया खबरों के मुताबिक यह मंदिर मेरठ के सरधना क्षेत्र में मेरठ-करनाल हाईवे पर बनेगा। इसके लिए पांच 5 एकड़ की जमीन भी तय कर ली गई है। इसमें मोदी की 100 फीट ऊंची मूर्ति लगेगी। मंदिर निर्माण में दस करोड़ का खर्च आएगा। मंदिर बनाने में आने वाली लागत मोदी भक्तों से चंदे के रूप में लिया जाएगा। मंदिर का भूमि पूजन 23 अक्टूबर को होगा। इसको बनने में करीब 2 वर्ष का समय लगेगा। इस मंदिर के उद्घाटन के लिए बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को बुलाने की कोशिश की जा रही है। उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में भी पुष्पराज सिंह यादव नाम के एक व्यक्ति ने जलालपुर में मोदी का मंदिर बनाने का काम शुरू किया था। करुणानिधि का भक्त कहने वाले एक व्यक्ति ने वेल्लूर में उनका मंदिर बनाया है।

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किसी की पसंद-नापंसद और भावनाओं को रोका नहीं जा सकता। पर सवाल यह है कि इस सबसे क्या होगा, क्या देश का कुछ भला होगा? मोदी समर्थकों को शायद यह मालूम नहीं होगा कि मोदी खुद कभी ऐसा नहीं चाहेंगे। जिस देश में आज भी करीब 20 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन जीने को मजबूर हैं, करोड़ों लोगों को सिर ढकने के लिए एक अदद छत का सहारा नसीब नहीं है, न जाने कितने ही लोग भूखे पेट सोते हैं, वहां ऐसे मंदिरों की क्यों जरूरत पड़ने लगी।

इससे पूर्व भी गुजरात के राजकोट में 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मंदिर बनवाने की कोशिश की गई थी। ये कोशिश प्रधानमंत्री के समर्थकों की ओर से की गई थी। इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने नाखुशी जताते हुए खबर को ‘स्तब्धकारी’ और ‘भारत की महान परंपराओं’ के खिलाफ बताया था। उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि ‘किसी इंसान का मंदिर बनाना हमारी सभ्यता नहीं है, मंदिर बनाने से मुझे दुख हुआ है। मैं लोगों से ऐसा नहीं करने का आग्रह करता हूं।’ प्रधानमंत्री के ट्वीट के बाद राजकोट प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए वहां से मोदी की मूर्ति को हटवा दिया था। लेकिन उस प्रकरण से भी कोई सीख ना लेते हुए अब उत्तर प्रदेश के मेरठ में प्रधानमंत्री मोदी का भव्य मंदिर बनाने की बात कही जा रही है। हालांकि अभी तक मेरठ में मंदिर बनाए जाने के ऐलान पर पीएम मोदी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन संभावना है कि प्रधानमंत्री जल्द ही इस पर पिछली बार की तरह कोई ठोस कदम उठाएंगे।

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लोकतंत्र में किसी नेता को भगवान का दर्जा देना उसका सम्मान बढ़ाना कतई नहीं हो सकता। जनप्रिय नेता तो प्रत्येक देशवासी के दिल में बसता है। उसके लिये किसी मंदिर या पूजा स्थल की जरूरत नहीं होती है। जब जनता अपने प्रिय नेता के कंधे से कंधा मिलाकर देश विकास के कार्यों में जुटती है तो ज्यादा सकारात्मक परिणाम हासिल होते हैं। पीएम मोदी का मंदिर बनाने वाला रिटायर अधिकारी अगर उनका मंदिर बनाने की बजाय गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने के लिये विधालय, भूखों के लिये अन्न सेवा, पर्यावरण बचाने की मुहिम, नदियों की सफाई, स्वच्छता अभियान या विभिन्न सामाजिक कुरीतियों की दिशा में काम करे तो देशवासियों व प्रधानमंत्री को ज्यादा खुशी होगी।

मोदी पहले से ही 15 लाख वाले कोट के कारण काफी आलोचना झेल चुके हैं और अब यह मंदिर। ऐसे शगूफे वे नेता, समर्थक या प्रशंसक छोड़ते हैं जो जनता की सेवा करने में तो विफल रहते हैं, लेकिन अपने आकाओं की सेवा करना और चापलूसी का कोई अवसर गंवाना नहीं चाहते हैं। मोदी को भगवान बनाने से बेहतर है कि उन्हें सुशासन देने में ये नेता मदद करें। स्वयं प्रधानमंत्री खुद को प्रधान सेवक बता चुके हैं। इससे पूर्व जिन नेताओं या अभिनेताओं की मूर्तियां लगी या मंदिर उनके चाहने वालों न बनाएं, लेकिन यह जरूरी नहीं कि किसी गलत परिपाटी को लगातार आगे बढ़ाया जाए। समाज में इस चेतना का संचार भी जरूरी है। ऐसी प्रवृति पर रोक लगनी चाहिए, किसी लोकतांत्रिक देश में किसी नेता का मंदिर बनना शुभ लक्ष्ण नहीं है। क्योंकि इससे नेता या लोकतंत्र दोनों में से किसी एक का नुकसान होना लाजिमी है।

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डॉ. आशीष वशिष्ठ
स्वतंत्र  पत्रकार
लखनऊ, उ0प्र0, (भारत)
मोबाइल: (+91) 94 5100 5200  
E-mail : [email protected]

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