नई दिल्ली। जब घटनाएं और गतिविधियां चरित्रों की तरह दिखाई देने लगे तब वह रचना साधारण नहीं रह जाती। शिरीष खरे की सद्य प्रकाशित पुस्तक नदी सिंदूरी का लोकार्पण करते हुए विख्यात समाज वैज्ञानिक और लेखक प्रो अभय कुमार दुबे ने कहा कि खरे की किताब अपने विवरणों में रेणु के मैला आँचल की याद दिलाती है।
प्रो दुबे ने विश्व पुस्तक मेला प्रांगण में राजपाल एण्ड सन्ज़ द्वारा आयोजित लोकार्पण समारोह में कहा कि इस किताब में रामलीला भी एक चरित्र के रूप में अंकित हुई है। उन्होंने किताब में आए अनेक पात्रों का उल्लेख करते हुए बताया कि गैर आदिवासी गाँव में एक गोंड महिला का सरपंच बने रहना और लोगों का आपसी सौहार्द इस किताब को पठनीय बनाता है। प्रो दुबे ने किताब के एक अध्याय में आई कल्लो गाय के वर्णन की प्रशंसा करते हुए कहा कि खरे की किताब व्यतीत जीवन के समृद्ध पक्षों का हृदयस्पर्शी चित्रण करती है।
समारोह में युवा आलोचक पल्लव ने नदी सिंदूरी को कथाकृति से अधिक कथेतर की किताब बताया। उन्होंने कहा कि पात्रों की आवाजाही और टूटते रूपबंध इसे भिन्न किस्म की विधा ठहराते हैं। पल्लव ने खरे के लेखन में साधारण की प्रतिष्ठा को इधर की विशेष घटना बताया।
राजपाल एण्ड सन्ज़ की निदेशक मीरा जौहरी ने कहा कि उनके प्रकाशन से खरे की पहली किताब एक देश बारह दुनिया के भी तीन संस्करण आ चुके हैं। अपनी रचना प्रक्रिया पर बोलते हुए खरे ने कहा कि नर्मदा की सहायक सिंदूरी नदी की इन कहानियों में नदी न सिर्फ गांव का भूगोल बनाती है बल्कि समुदाय को भी रचती हैं, जिसमें लोकरीति, लोकनीति,किस्से और कहावतों का ताना-बाना है। समारोह के अंत में चंद्रशेखर चतुर्वेदी ने आभार ज्ञापित किया। आयोजन में पाठक, शोधार्थी और लेखक उपस्थित थे।
फतेह सिंह