नवेद शिकोह-
सियासी खबरनवीसी के तूफान नदीम की घर वापसी… यूपी की सियासत के जंगल का एक पत्ता भी गिरने वाला होता था तो ये ख़बर उन्हें हो जाती थी। सियासत के जंगल में कितने दरख़्त हैं, कितनी झाड़ियां और कितने जानवर सब उन्हें पता था। किस पेड़ में कितनी शाखें, कितनी टहनियां हैं, कितने फल हैं और कितनी पत्तियां लगी हैं.. किस दरख़्त की कितनी गहरी जड़ें हैं.. कब वर्षा होगी और कब तूफान आएगा.. कौन जानवर बच पाएगा कौन नहीं बचेगा.. कौन जंगल का राजा बनेगा और कौन फना हो जाएगा।
नारायण दत्त तिवारी से लेकर मायावती, मुलायम, कल्याण, राम प्रकाश, राजनाथ और चंद लम्हों के मुख्यमंत्री जगदम्बिका पाल के तख्त-ओ-ताज की एक-एक कील और क़लई से वो वाक़िफ रहते थे। यूपी की सियासत की पत्रकारिता के तरकश में सांसद, विधायक, मंत्री-संतरी से लेकर हर छोटे बड़े दल के तमाम कार्यकर्ता उनके सूत्र होते थे।
यहां के नौकरशाहों की रग-रग से वो वाक़िफ रहे। काजल की कोठरी में किसके कितने दाग़ हैं और कौन बेदाग़ है.. किस दल और किस नेता से किस अफसर की सांठगांठ है। कौन किसको भाता है और कौन किसको चुभता है..
अफसरों की कार्यप्रणाली से लेकर उनकी ईमानदारी की मिसालें हों भष्ट्राचार के करतूत या रंगरलियों की कहानियां.. नारायण दत्त तिवारी से लेकर मुलायम और कल्याण सिंह से जुड़ी चटखारेदार ख़बरें लिखने में भी वो माहिर रहे। यूपी की सत्तर साला सियासी ख़बरों का कोई मजमुआ तैयार हो तो बहन मायावती पर लिखी उनकी तूफानी खबर इस मजमुआ का कवर पेज बनेगी।
क़रीब तीन दशक तक दैनिक जागरण लखनऊ में सेवाएं देने के बाद पिछले करीब 6 वर्षों से नवभारत टाइम्स से जुड़े मकबूल, मशहूर और मारूफ सहाफी नदीम साहब की बात हो रही है।
दिल्ली नवभारत टाइम्स में राजनीतिक संपादक की जिम्मेदारी निभाने वाले नदीम साहब की घर वापसी हुई है। अब वो लखनऊ नभाटा के संपादक पद की ज़िम्मेदारी निभाएंगे।
ज़ाहिर सी बात है कि अपनी ज़मीन का पुराना तजुर्बा बोलेगा।
यूपी की सियासत, नौकरशाही और मुस्लिम इदारों और मुस्लिम मामलात की ख़बरों का मास्टर-ब्लास्टर घर वापसी करके ख़बरों के चौके-छक्के लगाने लखनऊ आ गया है। शुभकामनाएं!