Prem Chand Gandhi : एक दुखद सूचना… अभी-अभी समाचार मिला है कि हिंदी के वरिष्ठतम कवि आदरणीय नन्द चतुर्वेदी नहीं रहे। हिंदी के इस अप्रतिम कवि को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि। नंद बाबू 92 वर्ष के युवकोचित कवि थे। उनसे जैसी प्रगाढ़ आत्मीयता मिली, वह उनके समकालीन कवियों में दुर्लभ थी। वे इस उम्र में भी फोन कर हालचाल पूछने वाले ऐसे कवि थे, जो मुख्यमंत्री को सीधे संबोधित कर कविता में अपनी जनता के दुख बता सकते थे…
Kalbe Kabir : हिंदी के अंतिम समाजवादी कवि और अंतिम समाजवादी विचारक नन्द चतुर्वेदी नहीं रहे. पिछले 35 वर्षों से हम झगड़ते रहे और प्यार करते रहे. आज सारा झगड़ा ख़त्म होता है, नन्द बाबू.
प्रेमचंद गांधी और कल्बे कबीर के फेसबुक वॉल से.