Connect with us

Hi, what are you looking for?

वेब-सिनेमा

‘नेपोलियन’ फ़िल्म – भड़ासी रिव्यू : जोसेफ़ाइन को मैं अल्लापुर की गलियों में चलती फिरती ज़िंदा प्रेमिका के रूप में जानता हूँ!

यशवंत सिंह-

‘नेपोलियन’ से सबक़ : विजय की अनंत इच्छाएँ न पालो। सबका पहिया प्रकृति एक दिन रोकने लगती है। बड़े बड़े स्टार वालों की क़िस्मत जब लुढ़कना शुरू होती है तो थामे नहीं थमती। कृषि फील्ड में क्रांति के पर्याय भाई Rajaram Tripathi जी के साथ यह ऐतिहासिक फ़िल्म देखना यादगार बन गया। फ़िल्म में नेपोलियन की जो प्रेमिका और पत्नी हैं, जोसेफ़ाइन, उनको लेकर मेरी एक याद है ईविवि में पढ़ाई के दिनों की।

Advertisement. Scroll to continue reading.

मेरे एक बहुत ज़्यादा सीनियर भाई साहब जो हर परीक्षा पास करने के बाद भी फाइनल सिलेक्शन में फेल रहते, एक दिन सब्ज़ी ख़रीदने जाते वक़्त बताने लगे कि देखो वो जो भरी पूरी लंबी सुगढ़ सुडौल स्त्त्री जा रही है, बिलकुल जोसेफ़ाइन जैसी है। मैं सिर्फ़ “ऐं” कहकर रह गया और उस स्त्री को अनवरत ताकता रहा जब तक वो आँखों से ओझल नहीं हो गई। फिर मैने पूछा था- ये जोसेफ़ाइन कौन है भाई साहब?

बाद में उन सर की ख़ातिर मैं जोसेफ़ाइन का पीछा किए जाने की मुहिम का हिस्सेदार बना। पता लगा लिया था हम लोगों ने कि वो कहाँ रहती हैं और रोज़ कहाँ जाती हैं। उनका दोपहर के वक्त दीदार करने के लिए सर मुझे एक साइकिल पर बिठा कर ले जाते और जब वो दिख जातीं तो साइकिल मुझे फ़ौरन थमा लपक कर आगे बढ़ जाते ताकि जोसेफ़ाइन की निगाहों में डाउनमार्केट साइकिल और मुझसे कोई संबंध परिचय होने से इनकार करा सकें। जब दोनों लोग चलते चलते देखादेखी कर लेते तो सर अपनी टोपी और चश्मा ठीक करते हुए मुझे फिर साइकिल पर बिठा कर काँपते हांथों हैंडल पकड़ कर चल पड़ते।

जोसेफ़ाइन को मैं इतिहास पढ़ कर कम, उन सर की इतिहास से निकली और अल्लापुर की गलियों में चलती फिरती ज़िंदा प्रेमिका के रूप में ज़्यादा जानता था। कल फ़िल्म के माध्यम से थोड़ा और क़रीब से जाना जोसेफ़ाइन को। वो भाग्यशाली थी जो उसे नेपोलियन जैसे प्रेमी मिला जो बार बार बेवफ़ाई करने के बावजूद उसे खूब खूब चाहता रहा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रेम ख़ुद में महान नहीं होता। वह भी कई वासनाओं चाहनाओं जैसा ही होता है। प्रेम को जीने वाले इसे महान बना देते हैं।


देवेश श्रीवास्तव- उस इलाहाबादी जोसेफाइन का आगे क्या हुआ गुरु?

Advertisement. Scroll to continue reading.

यशवंत सिंह- सर का सेलेक्शन परीक्षाओं वाली उम्र के आख़िरी पड़ाव पर पीसीएस में हो गया तो उन्होंने घर वालों की सहमति से जोसेफ़ाइन जैसी दिखने वाली एक अन्य लड़की से अरेंज मैरिज कर लिया और अब समृद्ध खुशहाल जीवन जी रहे हैं!

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement