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सुख-दुख

सभी स्वतंत्र पत्रकारों और यूट्यूबर्स को इस सरकारी बदमाशी का विरोध करना चाहिए!

हर्ष देव-

आतंकजीवी के कार्रवाई दस्ते ईडी ने एक स्वतंत्र पोर्टल ‘न्यूज़ क्लिक’ के दफ़्तर, उसके सम्पादक और प्रमुख सहयोगियों के घरों पर छापे मारे। इस लोकप्रिय पोर्टल से पत्रकार अभिसार शर्मा का ताल्लुक़ है।उनको 2018 में एबीपी चैनल से इस्तीफ़ा देने की लिए मजबूर किया गया था। पत्रकार के लिए ख़बरें देना अपराध है लेकिन पुलवामा और बालाकोट की गोपनीय जानकारी रखनेवाले अर्नब की तरफ़ देखना भी नहीं।

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यूसुफ़ किरमानी-

न्यूज़क्लिक समाचार पोर्टल पर फासिस्ट सरकार के छापे बता रहे हैं कि इसे अपने खिलाफ उठने वाली हर वो आवाज़ पसंद नहीं है जो उनकी गोद में नहीं बैठा हुआ है। हालाँकि कहाँ तो यह फासिस्ट सरकार इन्हें आंदोलनजीवी लोगों का महत्वहीन मीडिया मानती है और कहाँ वो इतना डरती है कि छापे डलवाती है।

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न्यूजक्लिक, जनचौक, द वायर, स्क्रॉल जैसे पोर्टल सरकार की आँखों की किरकिरी बने हुए हैं। लेकिन कुल मिलाकर उम्मीद भी ऐसे ही पोर्टल और स्वतंत्र रूप से यूट्यूब चैनल चला रहे पत्रकारों से हैं। न जाने कितने बेहतरीन पत्रकार गोदी मीडिया की बाढ़ में बह गए होते अगर ऐसे निडर पोर्टल मंच न उपलब्ध कराते।

फासिस्ट सरकार ने पहले द वायर के संपादक के खिलाफ और अब न्यूजक्लिक के संपादक को निशाना बनाया है। सभी स्वतंत्र पत्रकारों और यूट्यूबर्स को इस सरकारी बदमाशी का विरोध करना चाहिए। क्योंकि एक एक कर सबका नंबर आएगा।

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अजय कुमार-

Newsclick dot in के दफ्तर और निदेशकों के घर पर भारत सरकार के प्रवर्तन निदेशालय का छापा पड़ा है। कभी फुर्सत मिले तो न्यूज़क्लिक की हिंदी, अंग्रेजी वेबसाइट और यूट्यूब चैनल पर सभी खबरों, लेखों और वीडियो को खंगाल कर देखिएगा। आपको वह सारी ख़बरें मिलेंगी जिनकी उम्मीद आप भारतीय लोकतंत्र में किसी पत्रकारिता संस्थान से करते हैं।

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हमने वह काम किया है जिस काम की जिम्मेदारी एक जनतंत्र में किसी मीडिया संस्थान को मिली होती है। हमें अपने काम पर फक्र है। बाकी आप भी सोचिए कब तक आप पैसे और सांप्रदायिकता के दम पर चुनाव लड़ने वाले लोगों को सरकार के तौर पर चुनेंगे। जिनको सबसे अधिक डर उन लोगों और संगठनों से लगता है जिनका काम सभी लोगों के हक और भलाई की बात करना है।

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