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सुख-दुख

…तो इसलिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के भीतर एस्ट्रोनाट्स सेक्स नहीं करते!

विजय सिंह ठकुराय

1998 में लॉन्च और 18 वर्षों से लगातार पृथ्वी के चक्कर लगा रहा 73 मीटर लंबा और 108 मीटर चौड़ा विशालकाय सैटलाइट इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन यानि आईएसएस पृथ्वी के अलावा एक मात्र ऐसी जगह है जहां इंसान रहते और काम करते हैं. हर कार्यालय के कुछ रूल्स और रेगुलेशन होते है जो हमें मानते पड़ते हैं. कई ऐसी चीजे हैं जो आप पृथ्वी पर खुशी खुशी कर सकते हैं लेकिन जमीन के 400 km ऊपर स्पेस में नहीं कर सकते. You Must Follow Certain Rules. Here Are 4 Things You R Not Allowed To Do In Space.

विजय सिंह ठकुराय

1998 में लॉन्च और 18 वर्षों से लगातार पृथ्वी के चक्कर लगा रहा 73 मीटर लंबा और 108 मीटर चौड़ा विशालकाय सैटलाइट इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन यानि आईएसएस पृथ्वी के अलावा एक मात्र ऐसी जगह है जहां इंसान रहते और काम करते हैं. हर कार्यालय के कुछ रूल्स और रेगुलेशन होते है जो हमें मानते पड़ते हैं. कई ऐसी चीजे हैं जो आप पृथ्वी पर खुशी खुशी कर सकते हैं लेकिन जमीन के 400 km ऊपर स्पेस में नहीं कर सकते. You Must Follow Certain Rules. Here Are 4 Things You R Not Allowed To Do In Space.

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1: NO SEX : पहली बात.. चूँकि ISS एक वर्कप्लेस है इसलिए वहां यौन सम्बन्ध बनाना नासा के अनुसार नैतिकतापूर्ण नहीं है. दूसरी बात. स्पेस के माइक्रो ग्रेविटी तथा घातक रेडिएशन से भरे माहौल में प्रेगनेंसी का रिस्क नही उठाया जा सकता. ये विषम परिस्थितियां एक भ्रूण के लिए जानलेवा हो सकती है और अगर कोई महिला प्रेग्नेंट हो भी जाती है तो पृथ्वी पर लौटते समय की यात्रा में वातावरण में Re-Entry के दौरान स्पेस शिप्स में होने वाला अनुभव बहुत झटकेदार होता है. इस यात्रा में अंतरिक्ष यात्री को अपने शरीर पर कई टन के वजन के प्रेशर का अनुभव होता है. इस प्रेशर को झेलने के लिए अस्ट्रॉनॉट्स को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है लेकिन ये प्रेशर एक नवजात भ्रूण के लिए जानलेवा हो सकता है और Ultimately माँ के जीवन के लिए भी ख़तरा पैदा हो सकता है. इसलिए ISS पर नासा द्वारा अस्ट्रॉनॉट्स को ‘नो सेक्स’ रूल का पालन करने को कहा जाता है. अफवाहे उड़ती है कि एस्ट्रोनॉट्स शायद छुप कर सेक्स करते हों लेकिन ISS का 388 वर्ग मीटर का एरिया मुझे व्यक्तिगत तौर पर इतना पर्याप्त नही लगता कि 6 लोगों की निगाह से छुप कर सेक्स किया जा सके. No Comments On Masturbation.

2: NO ALCOHOL : नशे में किसी अस्ट्रॉनॉट द्वारा की गई एक गलती सम्पूर्ण स्पेस शिप को ध्वस्त कर सकती है इसलिए स्पेस शिप पर शराब पीने की आज्ञा नासा द्वारा नहीं है पर रशियन्स शायद इस रूल को नहीं मानते. कई रशियन्स अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा स्पेस में शराब पीने की हामी भरी गई है. 1970 तक नासा भी शराबबन्दी के लिए गंभीर नहीं थी. इन फैक्ट 1970 के दशक में लंबी स्पेस यात्राओं की तैयारी के दौर में नासा द्वारा अंतरिक्ष यात्रियों के लिए तैयार किये मेनू कार्ड में “शेरी” वाइन भी थी लेकिन अमेरिका की आम जनता को “अंतरिक्ष यात्रियों को शराब परोसने” की खबर मिलने पर हजारो की संख्या में लोगों ने नासा को पत्र भेज कर अपना विरोध दर्ज कराया. इसके बाद नासा ने “अल्कोहल फ्री स्पेस” पालिसी अपना ली. शायद अल्कोहल को बैन करने की ये एकलौती वजह नहीं थी. रिपोर्ट्स कहती है कि चूँकि माइक्रो ग्रेविटी में भोजन आपके पेट में तैरता रहता है. शराब के साथ इसका मिश्रण भयंकर डकारों के साथ वोमिटिंग का सबब बन सकता है. पृथ्वी पर “आर्टिफीसियल जीरो ग्रेविटी” वातावरण में किये गए प्रयोगों में इसकी पुष्टि हुई है. वोमिट से निकले कण संवेदनशील मशीनरी में घुस कर गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसलिए रिस्क ना लेते हुए 1972 में नासा ने स्पेस में अल्कोहल को बैन कर दिया.

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3: NO BREADS : जी हाँ… कोई भी खाना जिसके “चूर चूर हुए कण” बाहर फैलने की आशंका हो, ISS पर बैन है इसलिए अस्ट्रॉनॉट्स के भोजन भली प्रकार से “डिहाईड्रेटेड” और गाय तथा सुवर की चर्बी से बने “जिलेटिन” में कोटेड होते हैं. वही जिलेटिन जिससे आज कल दवाइयों के कैप्सूल कवर बनाये जाते हैं.

4: NO LAUNDRY : पानी स्पेस में सबसे बेशकीमती चीज है जिसे कपड़े धोने जैसी वाहियात चीज पर कोई नष्ट नहीं करना चाहता इसलिये अस्ट्रॉनॉट्स एक ही अंडरवियर, शर्ट, पैंट महीनों तक पहने रहते हैं. चूँकि जीरो ग्रेविटी में हमारी “सूंघने” की क्षमता बहुत अधिक प्रभावित हो जाती है और ISS का वातावरण बहुत साफ़ तथा टेम्परेचर कण्ट्रोल है इसलिए कपड़ो की “बदबू” स्ट्रॉनॉट्स के लिए जल्द समस्या नहीं बनती लेकिन चूँकि स्पेस में अपना bone mass मेन्टेन करने के लिए अस्ट्रॉनॉट्स को व्यायाम करना पड़ता है इसलिए पसीने से कपडे गंदे होते जाते हैं. इन कपड़ो को अंत में अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी की ओर फेंक देते हैं जहाँ वातावरण में एंट्री के दौरान हवा के घर्षण से ये कपड़े जल के नष्ट हो जाते हैं. एक प्रस्तावित आईडिया कपड़ो को ना फेंक कर उन कपड़ो को “बैक्टीरिया” को फीड करने के लिए इस्तेमाल करना भी है जो बैक्टीरिया “मीथेन” गैस का उत्पादन कर स्पेसक्राफ्ट के लिए ईंधन मुहैया कराने का साधन भी बन सकते हैं. Who To Know… May Be Soon We Will Be Seeing “Underwear Powered Spacecraft.

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तो अगली बार जब भी आप शराब पिएं या नए कपड़े पहनें या अपनी गर्लफ्रेंड के साथ नाईट आउट का प्लान बनाये तो याद रखियेगा कि ब्रह्माण्ड में फिलहाल सिर्फ पृथ्वी ही एकमात्र जगह है जहाँ आपको अपनी जिंदगी अपने मुताबिक जीने का पूरा हक़ है. Drink Beer.. Have Sex… Eat Pizza… !!! Enjoy This Privilege Of Freedom Being An Earthling !!! Of course Change Underwear Everyday Too.

लेखक विजय सिंह ठकुराय युवा उद्यमी हैं जो फेसबुक पर विज्ञान लेखन के लिए चर्चित हैं. विजय से संपर्क Facebook.com/vijay.singh.thakurai के जरिए किया जा सकता है.

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