आपकी मौत का प्रोग्राम! The Program Of Death… आज इसी पर बात करते हैं… मृत्यु जीवन का शाश्वत सत्य है… पर… किसी दुर्घटना में जान गवा देना या किसी के द्वारा आघात करने से मर जाना समझ आता है… मैं बात कर रहा हूँ आज… “वृद्ध हो के मरने की”… ऐसा क्या है जिसकी वजह से लोग बूढ़े होने लगते है और अंत में सुबह पता चलता है कि… “शरीर है… पर वो अब नहीं रहे”… ये मृत्यु का प्रोग्राम काम कैसे करता है?
“कोशिका” यानी Cell, इन्सान के शरीर की सबसे छोटी इकाई है. हर कोशिका के केन्द्र में हमारे शरीर का ब्लू प्रिंट “DNA” पाया जाता है….. आपके शरीर की लम्बाई चौड़ाई, रंग, आदते और छोटी से छोटी चीज का निर्धारण… आपका डीएनए करता है. डीएनए में लगभग तीन अरब तक न्युक्लियोटाइड पाए जाते है। ये न्युक्लियोटाइड 4 प्रकार के होते है।
A (एडिनिन)
G (ग्वानिन)
C (साईटोसिन)
T (थायमिन)
बेसिकली डीएनए… इसी AGCT भाषा में लिखा हुआ लगभग तीन अरब अक्षरों का प्रोग्राम होता है। जैसे- ACGTGCATGCA….. AND SO ON… ये प्रोग्राम “आपको” describe करता है। प्रकृति में सभी सजीव और वनस्पति इस ACGT की भाषा को बोलते है आपका डीएनए दुनिया के हर व्यक्ति से 99.9%…. और चिम्पेंजी से 96% मिलता है और… अपने कमरे की मेज पर फलो की टोकरी में रखा “केला” अर्थात banana दिख रहा है? Well…. your DNA is 50% identical to bananas too 🙂
“A War Against Cancer” टॉपिक में मैंने कहा था की हमारी कोशिकाए अपनी कॉपी तैयार करती है। पुरानी कोशिकाए मरती जाती है और नयी कोशिकाए जन्म लेती है। शरीर की स्वस्थता और “Automatic Healing System” का यही राज है… हर बार… जब आपकी कोशिका अपनी कॉपी तैयार करती है तो… कोशिका में मौजूद डीएनए भी copy होता है… डीएनए डैमेज से प्रोटेक्शन के लिए डीएनए की रचना के दोनों सिरों पर… Dead Dna के कैप्स लगे होते है… जिन्हें “Telomeres” कहते हैं
कोशिका के विभाजन के साथ साथ हर बार “Telomere” यानी टेलोमेर छोटा होता चला जाता है…और एक समय ऐसा आता है जब…. टेलोमेर ख़तम हो जाता है Its no longer there… और तब… कोशिकाओं का विभाजन रुक जाता है As A Result….पुरानी कोशिकाए मरने लगती है और नयी कोशिकाए बनना बंद हो जाता है… आप बुढ़ापे को प्राप्त होने लगते हैं… आपके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता धीरे धीरे समाप्त होने लगती है… अंग धीरे धीरे काम करना बंद कर देते है और एक दिन… Finally…. You Are Dead…!!!!
ये Telomere आपके मृत्यु के प्रोग्राम की मुख्य चाबी है… वैज्ञानिक इस पर कार्य कर रहे है की किस तरह इन टेलोमेर की लम्बाई बढाई जा सके… ये टेलोमेर कितने लम्बे होगे… इसका निर्धारण आपके माँ-बाप से होता है… आपके जन्म के साथ ही इन टेलोमेर की लम्बाई निश्चित हो जाती है… और, दुनिया में आते ही… टेलोमेर रुपी आपकी ये बायोलॉजिकल Death Clock शुरू हो जाती है… In A Way… Your death clock is hidden within your DNA. Means…. Once you are born…. You Are Also Programmed To Die !!!
लेखक विजय सिंह ठकुराय फेसबुक पर लोकप्रिय हिंदी साइंस राइटिंग वाले शख्सियत हैं. उनसे संपर्क Facebook.com/vijay.singh.thakurai के जरिए किया जा सकता है.
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…तब हमारा ब्रह्माण्ड लिंग नुमा सुरंग में धंसते हुए निकटवर्ती ब्रह्माण्ड में समाहित हो जाएगा!
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ये दुनिया एक कंप्यूटर प्रोग्राम है, सुख दुःख ख़ुशी गम सब कुछ केमिकल लोचे मात्र हैं
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Shiv Lal
April 20, 2016 at 12:26 pm
अापने मृत्यु का प्रोग्राम लिखकर कोशिका सरंचना पर वास्तविकता लिखी है। असल में सच यही है कि मृत्यु से ही जीवन शुरू होता है। वरना वह अधर में लटका रहता। कोशिका का निर्माण मनुष्य की जागती इच्छाअों पर निर्भर करता है, वरना वे क्षीण होती चली जाती है। इसके लिए कोशिकाअों के निर्माण में हमारे दिमाग की असल भूमिका होती है, पर उन पर निराशा का अावरण चढ़ते ही वे क्षीण होने लगती है। यही जीवन है।