POOP IN SPACE : कृपया नाक पर रुमाल रख कर के पोस्ट पढ़ें…
5 May, 1961… Freedom-2 स्पेस शटल…. के कैप्सूल कक्ष में बैठे अमेरिकन अन्तरिक्ष यात्री Alan Shephard उत्सुकता से उस पल का इन्तजार कर रहे थे जब…. विश्व के दुसरे….और अमेरिका के प्रथम अन्तरिक्ष यात्री बनने का सेहरा उनके सर पर सजने जा रहा था मन अन्तरिक्ष से अपनी पृथ्वी को निहारने की कल्पनाओं के जाल में उलझा था और उन्हें पता चला की उनकी फ्लाइट में विलम्ब होगा.. 5 घंटे बीत गए और उन्हें… पेशाब लग आई.
अब उनकी फ्लाइट चूँकि सिर्फ 15 मिनट की थी और विलम्ब हो जाएगा ऐसा किसी को आईडिया था नहीं …..नासा को लगा था की 15 मिनट तो आदमी पेशाब रोक ही सकता है तो उन्होंने इस स्थिति के लिए कोई तैयारी नहीं की थी. एलन शेफर्ड की हालत ख़राब हो चुकी थी. स्पेस सूट उतार के पेशाब करवाने और वापस स्पेस सूट पहनाने की जहमत कराने का वक़्त नहीं था तो… मरता क्या ना करता. इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम के फ़ैल होने का ख़तरा होने के वावजूद… एलन शेफर्ड को कहा गया कि… “स्पेस सूट के अंदर ही कर दो मियां”… और इस तरह… एलन शेफर्ड अन्तरिक्ष में जाने वाले दुसरे इन्सान… या यूं कहें कि… अन्तरिक्ष में अपने मूत्र में सने सूट में जाने वे प्रथम व्यक्ति बन गए.
आपको क्या लगता है? अन्तरिक्ष यात्री होना बड़ा मजेदार है? Well Yes… But Not… When It Comes To Poop Or Pee In Space !!! आज बेशक नासा ने 19 मिलियन डॉलर की लागत से तैयार टॉयलेट… स्पेस शटल में लगाए है जिनमें ठीक से पोट्टी करने के लिए भी…बकायदा ट्रेनिंग दी जाती है क्युंकि कमोड का होल….आपकी पोट्टी को प्रेशर द्वारा खीच के Wastage Tank में पहुचा दे…इसके लिए बाकायदा आपको अपना Asshole.. कमोड के छेद के ऊपर 90 डिग्री के एंगल पर टिकाने की ट्रेनिंग दी जाती है Sounds weird… Right? और आज कल स्पेस शटल में रीसायकल सिस्टम इनस्टॉल होने के कारण आप पेशाब कर.. अपने ही पेशाब को रीसायकल कर दोबारा पीते है पर चीजे हमेशा इतनी आसान नहीं थी. एलन शेफर्ड वाले केस के बाद नासा को समझ आ गया कि अगर लम्बी दूरी के मिशन प्लान करने है तो… “नम्बर एक” और “नम्बर दो” का कुछ करना पडेगा.
शुरू में एस्ट्रोनॉट्स को एक “कंडोम शेप” पाइप कनेक्टेड पाउच दिया जाता था जिसमे अपने लिंग को डाल के उसके अन्दर पेशाब करते थे और यूरिन एक पाउच में इकठ्ठा हो जाता था. ये सिलसिला तब तक चला…जब तक की 1963 में प्रोजेक्ट “मरकरी स्पेस शटल” में तकनीकी खराबी के कारण उसे इमरजेंसी लैंडिंग नहीं कराना पडा …..क्योंकि बाद में पता चला की अन्तरिक्ष यात्री के पेशाब करते वक़्त मूत्र की कुछ बूंदे छिटक के स्पेस क्राफ्ट की मशीनरी में चली गई थी….जिससे यान में तकनीकी खराबी उत्पन्न हुई.
खैर….उसके बाद… ऐसा सिस्टम डेवलप किया गया…जिसमे अन्तरिक्ष यात्रियों का मूत्र सीधे अन्तरिक्ष में ड्राप कर दिया जाता था. पर मूत्र अन्तरिक्ष में जाने के बाद जम जाता था और पृथ्वी के चारो तरफ चक्कर लगा रहे स्पेस शटल से टकरा कर ये सैटेलाइट्स के विनाश का कारण बन सकता था. इसलिए यूरिन रीसायकल सिस्टम डेवलप किया गया खैर…
ये थी पुराने समय में मूत्र त्याग के तरीकों की कहानी. अब बात करते हैं नम्बर दो की.
स्पेस टॉयलेट ना होने के कारण… पहले की समय में हुई अंतरिक्ष यात्राओ में नासा की ओर से एस्ट्रोनॉट्स को एक प्लास्टिक पाउच दिया जाता था जिस पाउच को एस्ट्रोनॉट्स अपने पिछवाड़े में चिपका लेते थे और ये पाउच उनका मल इकट्ठा करता रहता था सिर्फ एक प्रॉब्लम थी Micro Gravity creates a lot of mess in space क्यूंकि जब आप मलत्याग करते है तो ग्रैविटी के अभाव में आपके Asshole से निकलने वाली सुगन्धित वस्तु ये नहीं जानती की उसे नीचे भी गिरना है और आपके गुदाद्वार से बाहर निकलते ही… मल छेद से चिपका चिपका हवा में तैरने लगता है और आपके पास कोई रास्ता नहीं बचता सिवाय इसके कि उस प्लास्टिक पाउच के चारो तरफ दी गई फिंगर कोटिंग की सहायता से आप खुद अपने छेद से बाहर लटक रही वस्तु को ऊँगली से साफ़ करें.
जब तक स्पेस टॉयलेट का आप्शन नहीं था तब तक एस्ट्रोनॉट्स को इसी तरीके से नम्बर दो करना पड़ता था और जब भी एस्ट्रोनॉट्स स्पेस शटल के बाहर अन्तरिक्ष में जाते थे तो उनके सूट के अन्दर ये दोनों पाउच फिट रहते थे जिससे अंतरिक्ष में किसी इमरजेंसी में… अस्ट्रॉनॉट्स हल्के हो सके. Regard Less To Say… जब नील आर्मस्ट्रांग ने पृथ्वी से लगभग 4 लाख किलोमीटर दूर मौजूद… चाँद की सतह पर मानवता का पहला कदम रखा तब….उनके सूट के अंदर वो पाउच फिट था.
A Giant Step For Mankind.. With A Load Of Shit Behind !! SHIT HAPPENS !!!
लेखक विजय सिंह ठकुराय फेसबुक पर यूनीवर्स और स्पेस को लेकर लिखने वाले लोकप्रिय राइटर हैं. विजय को एफबी पर फालो करने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें : VST on FB
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