Sheetal P Singh : प्रो. राकेश सिन्हा ने आज RSS के ९० साल के होने और उसके राजनीतिक मंच के दिल्ली के तख़्त पर आसीत रहने के दिन गर्वोक्ति ज़ाहिर की है कि अब उनकी विचारधारा ही चलेगी और दिनोंदिन और बढ़ेगी, दुनिया इसे मान रही है, विश्व गुरू, आदि अनादि! टीवी की संध्या बहसों में वे पिछले कुछ वर्षों में संघ के विचारक के तौर पर स्थापित हैं, वामपंथ सेक्युलरिज़्म और भौतिकवाद को गया गुज़रा, इतिहास के “कूरेदान” में पड़ा मान कर ख़ारिज कर दिया करते हैं! हाल ही में एबीपी न्यूज़ पर मुनव्वर राना और अतुल कुमार अंजान को तो संबित पात्रा के साथ उन्होंने लगभग नोंच डाला था, कई बार लगा हाथापाई अब हुई तब हुई।
इनकी विचारधारा है क्या ? देश की करीब ८०% आबादी हिन्दू है और बाकी में सभी क़िस्म के अल्पसंख्यक। इन ८०% को २०% के संभावित ख़तरे और अतीत के कुछ वास्तविक और कुछ कृत्रिम मामलों के बदले के लिये भड़काकर सत्ता हथियाना! इसमें ऐसा विशेष क्या है जिससे कोई गौरवान्वित हो? दुर्योग से हिन्दू समाज की संरचना ने इनको विरासत से जाति के नाम पर इकट्ठा संगठन दे दिया जिसमें इन्होंने समर्थ घोड़ों पर सवारी गाँठ ली और स्वयं को विजयी घोषित कर लिया!
महाशय इस महादेश में कमज़ोर को सामर्थ्य देने का काम एक महती काम रहा है न कि ताक़तवर को और ताक़तवर बनाने के लिये शिलाजीत बेचना, जो कोई भी कर सकता है मसलन शिव सेना जैसे हिंसा और भयभीत करने वाले दल भी क्षेत्र विशेष में राजनैतिक रूप से सफल होते रहते हैं। तमाम अपराधी भी अपने प्रभाव क्षेत्रों में दशकों राजनैतिक मुखिया बने रहते हैं! कठिन काम गांधी जी ने किया आंबेडकर जी ने किया लोहिया जी ने किया कांशीराम जी ने किया वामपंथ ने किया, वे निर्बल की आवाज़ बने और सबल का सामना किया।
आप की सत्ता और कांग्रेस की सत्ता में फ़रक करना मुश्किल है सिवाय इसके कि जितनी मंहगाई वे दस साल में बढाते हैं उतनी आप एक साल में। वे मुसलमानों को लालीपाप दिखाते हैं आप बहुमत हिन्दुओं को। वे मीडिया में ३०% क़ब्ज़ा करते हैं आप १००%। उनके ज़माने में भी ब्राह्मणों के बहुमत नेतृत्व में नौकरशाही दिल्ली की सरकार पर क़ाबिज़ रहती है आपके भी! वे आलोचना होने पर थोड़ा बहुत शर्माते भी हैं आप तो ढीठ हैं आलोचक पर ही सवार हो जाते हैं! बारडर पर वे भी सैनिक मरवाते हैं आप भी, कुछ ज़्यादा ही!
एक काम उनसे ज़्यादा करते हैं कि समाज में अल्पसंख्यकों पर ज़ुल्म ज़्यादा बढ़ा देते हैं जो मंहगाई बेकारी लूट पर बढ़ते असंतोष पर परदे के काम आ जाता है, बाकी त जो है सो हइयै है। दलित और पददलित किये जाते हैं पिछरे और पछारे जाते हैं। गाय गंगा गीता का गीत नेपथ्य में बजता रहता है और कभी कभी भाल्यूम बढ़ा दिया जाता है! हाँ आप टीवी पर उनसे कहीं ज़्यादा चिल्लाते हैं! और आपके पीएम उनके पीएम से सौ गुना ज़्यादा बार कपरा बदलते हैं! बाकी आप बोलते ही हैं लिखते तो कुछ हैं नहीं सिवाय प पू गोलवलकर पर किताब के तो आपको पकरा तो जा नहीं सकता?
जियत रहा बाबू रकेस सिन्हा
वन्दे मातरम
वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी. सिंह के फेसबुक वॉल से.
rajkumar
October 26, 2015 at 12:18 am
JAWAHAR LAL NEHRU NE EK AISI KAM CHOR JAMAT BANADI JISNE KIYA KUCHHA NAHI KEVAL BATO KE SIVAY, 30 YEARS TAK W. BANGAL ME RAJ KIYA USKA BANTA DHAR KAR DIYA