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सियासत

करोड़ों-अरबों की आतिशबाजी रुपए के बंडलों पर आग लगा देने से अधिक कुछ नहीं

Chandan Srivastava : ‘मीडिया बकरीद पर भाषण नहीं झाड़ती, एक्टिविस्ट ईद पर जुबान नहीं खोलते, साल भर एसी का मजा उठाने वालों को दीवाली के पटाखों से ही नफरत है, ये हिन्दू धर्म पर हमला है.’  आपके ये सभी तर्क कहने-सुनने में चाहे जितने अच्छे लगते हों लेकिन इससे दीवाली के पटाखों पर होने वाली बर्बादी को नजरन्दाज नहीं किया जा सकता.

<p>Chandan Srivastava : 'मीडिया बकरीद पर भाषण नहीं झाड़ती, एक्टिविस्ट ईद पर जुबान नहीं खोलते, साल भर एसी का मजा उठाने वालों को दीवाली के पटाखों से ही नफरत है, ये हिन्दू धर्म पर हमला है.'  आपके ये सभी तर्क कहने-सुनने में चाहे जितने अच्छे लगते हों लेकिन इससे दीवाली के पटाखों पर होने वाली बर्बादी को नजरन्दाज नहीं किया जा सकता.</p>

Chandan Srivastava : ‘मीडिया बकरीद पर भाषण नहीं झाड़ती, एक्टिविस्ट ईद पर जुबान नहीं खोलते, साल भर एसी का मजा उठाने वालों को दीवाली के पटाखों से ही नफरत है, ये हिन्दू धर्म पर हमला है.’  आपके ये सभी तर्क कहने-सुनने में चाहे जितने अच्छे लगते हों लेकिन इससे दीवाली के पटाखों पर होने वाली बर्बादी को नजरन्दाज नहीं किया जा सकता.

करोड़ों-अरबों रुपए की आतिशबाजी रुपए के बंडलों पर आग लगा देने से अधिक कुछ नहीं. महज एक धमाके की आवाज सुनने के लिए कैसे फूंक सकते हैं आप इतने-इतने रुपए? जबकि आपको यूं नोटों के बंडलों को जलाते-फूंकते हुए कुछ बेबस निगाहें देख रही हों?

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मैं कत्तई नहीं कहता कि उन नोटों के बंडलों को आप भीख स्वरूप बांट दीजिए लेकिन अपने पैसों का ऐसा भौड़ा प्रदर्शन तो मत कीजिए. और हां उनके बकरीद से जल प्रदूषण होता है तो आपके प्रतिमाओं के विसर्जन से गंगा-यमुना कोई शुद्ध नहीं हो जाती. अपने गुनाहों को इस आधार पर छिपाने का प्रयास मत कीजिए कि उनके गुनाहों की अनदेखी क्यों. उनके गुनाहों की अनदेखी हो या न हो, आपके कुकर्म सत्कर्म में नहीं बदलने वाले.

पत्रकार चंदन श्रीवास्तव के फेसबुक वॉल से.

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0 Comments

  1. Madhav Tripathi

    October 21, 2014 at 9:26 am

    जो पटाखे फोड़ते हैं वही दान भी करते हैं
    क्योकि हम त्यौहार मनाते हैं और त्यौहार मनाने का यह मतलब नहीं होता की छुपायी मारे बैठे रहो या फिर सारी संपत्ति दान कर दो
    अपने आंकड़े चेक कर लेना दिवाली के दिनों में जितना दान होता है साल भर में किसी भी दिन उतना दान नहीं होता है

    रूपये के प्रदर्शन की बात आई है तो १० हजार के जूते या दो करोड़ की कार खरीदना या या फाइव स्टार होटल में खाना खाना ये भी भौंडा प्रदर्शन ही है
    आपका सारा का सारा ज्ञान सिर्फ हिन्दू त्योहारों पर ही दिखाई देता है

  2. rajkumar

    October 23, 2014 at 5:56 am

    chandan jaise patrkar ki soch keval hindu logo ko gali se suru hokar gali tak khatam ho jati h, yah vampanthi karte kuchha nahi h keval hindu logo ko bhasan dete h kabhi islam v isai ke bare me bolte likhate dekha suna h, in komredo ko west bangal me 35 year raj mila kiya kya w. bangal ko 50 year back kar diya, kamred adhiktar nithale v akrmany hote h karna kuchh nahi keval bhasan dete h

  3. Dev

    October 26, 2014 at 5:47 am

    aap jaise reporter baat karte hai paiso ki barbaadi ki lekin jab baat aati hai patakha factory k majdoor ki tab aap jaise log unke support me hone ka jhootha dikhava karte hai. un hajaro majdooro ko rojgar mil raha hai aur hajaro logo ki ghar chal rahe hai issi patakhe k karobaar me. har sikke k do pahlu hote hai ye to pata hi hoga aapko.

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