राजस्थान के एक न्यूज चैनल में इन दिनों नेताओं की चाटुकारिता की सारी हदें पार हो गई हैं। हालात यह है कि जिन साहब को चैनल ने भरोसा कर प्रदेश की कमान सौंपी वे नेताओं की चाटुकारिता में इतने मशगूल हुए कि चैनल का भट्टा बैठ गया।
चैनल के प्रबंधन को यह तक नहीं पता कि आखिर चल क्या रहा है। खबरों और मार्केटिंग में जहां चैनल अपने पांव जमा ही रहा था कि साहब की चाटुकारिता इतनी हावी हुई कि प्रदेश में चैनल के लिए काम कर रहे मेहनती पत्रकार या तो छोड़ कर चले गए या साहब ने उन्हें प्रबंधन से कह कर हटवा दिया।
ऐसा सिर्फ इसलिए कि नेता जी की कृपा दृष्टि साहब पर बनी रहे। चैनल को कोई फायदा हो न हो, साहब का होना जरूरी है।
यह चैनल बड़े नेटवर्क का है, देश के लगभग हर हिंदी भाषी राज्य में इसका रीजनल चैनल चल रहा है, मगर प्रदेश में इसके हालात अब दयनीय हो गए हैं।
बड़े नंबर के चश्मे वाले साहब ने चैनल प्रबंधन को ऐसा चश्मा लगा दिया कि न तो उन्हें चैनल की स्थिति दिखाई दे रही है न ही प्रदेश की खबरें। ऐसे में चैनल से जुड़े उन पत्रकारों के मन में अब आने लगा है कि फिजूल ही 3 सालों से मेहनत कर अपने-अपने क्षेत्र में चैनल का नाम बढ़ाया। अब वे अगर अवैध बजरी व्यापार से जुड़े बजरी माफिया की खबर भी चला दें तो शाम तक उन्हें साहब का कॉल आ जाता है कि आज से खबरें भेजना बन्द कर दें क्यों कि नेता जी आपसे नाराज हो गए हैं।
यही कारण है कि राजस्थान में चैनल के दर्शक न के बराबर हो गए है। चैनल प्रबंधन को तुरंत साहब को बाहर का रास्ता दिखा कर चैनल को बचा लेना चाहिए वरना ताले लगने में कोई ज्यादा वक्त न लगेगा।
राजस्थान के एक पत्रकार द्वारा भेजी गई चिट्ठी पर आधारित.
प्रमोद कुमार
March 6, 2020 at 6:30 pm
सही कहा है जिस किसी पत्रकार ने कहा है हकीकत में नेताओ के आगे न्यूज़ चैनल बौने साबित हो रहे हैं नेताओ और पार्टियों के अनुसार खबरे लगती है सामाजिक सरोकार के मुद्दों को कहीं पीछे छोड़ दे रहे हैं। आमजन के सामने सिर्फ टी वी खोलने के अलावा कोई दूसरा चारा नही होता है।