कैलाश विजयवर्गीय का सनसनीखेज आरोप
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने मध्य प्रदेश के हनीट्रैप मामले में यह आरोप लगाकर सनसनी पैदा कर दी है कि हनीट्रैप मामले में पत्रकारों की सक्रिय भागीदारी रही है। विजयवर्गीय ने दावा किया कि पत्रकार इस मामले में शामिल हैं। मेरे पास 3-4 पत्रकारों के नाम हैं, जो मध्यस्थता कराते थे। मेरे पास यह भी जानकारी है कि पत्रकारों ने पैसे के बदले हनीट्रैप में मध्यस्थ के रूप में काम किया। उनका दावा है कि पत्रकारों के मध्यस्थ के रूप में कार्य करने के आरोपों से पुलिस ने इनकार नहीं किया गया है।
इस बीच हनीट्रैप मामले की एसआईटी जांच शुरू होने से पहले ही विवादों में आ गई है। डीजीपी को 20 घंटे के अंदर एसआईटी चीफ बदलना पड़ा। अब एडीजी इंटेलीजेंस संजीव शमी को एसआईटी का नया चीफ बनाया गया है। शमी की टीम में इंदौर एसएसपी रुचिवर्द्धन मिश्रा को भी रखा गया है। हाईप्रोफाइल इस मामले की जांच के लिए सोमवार को डीजीपी ने एसआईटी का गठन किया था। इसका चीफ भोपाल के डीआईजी रह चुके आईजी सीआईडी डी श्रीनिवास वर्मा को बनाया गया था। हालांकि, मंगलवार को डी श्रीनिवास का नाम बदलकर संजीव शमी को एसआईटी का नया चीफ बना दिया। इसमें एसपी, एएसपी, सीएसपी और इंस्पेक्टर स्तर के करीब 12 अफसरों को शामिल किया गया है। दरअसल डी श्रीनिवासने इस मामले की जांच से इनकार कर दिया। इसके बाद आनन-फानन में संजीव शमी को एसआईटी का चीफ बनाया गया।
इंदौर नगर निगम के इंजीनियर हरभजन की 3 करोड़ रुपए मांगने की शिकायत के बाद भोपाल और इंदौर पुलिस ने कार्रवाई कर ब्लैकमेलिंग करने वाली पांच महिलाओं को गिरफ्तार किया था। यह महिलाएं अफसरों और नेताओं के वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल करती थीं। इस हाईप्रोफाइल मामले में एक पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व राज्यपाल, पूर्व सांसद, भाजपा और कांग्रेस से जुड़े नेता और नौकरशाहों के फंसे होने की बात कही जा रही है। हालांकि अब तक इस मामले में किसी का नाम सामने नहीं आया है।
हनीट्रैप मामले की आरोपी दोनों श्वेता और ड्राइवर की जमानत याचिका मंगलवार को कोर्ट ने खारिज कर दी। वहीं मोनिका यादव के पिता ने इंदौर के पलासिया थाने में दोनों श्वेता जैन, बरखा भटनागर और दो पुरुषों के खिलाफ मानव तस्करी का मामला दर्ज कराया है। मोनिका के पिता ने पुलिस को बताया कि उनकी बेटी को रुपए और पढ़ाई कराने का लालच देकर गिरोह ने फंसाया था। पिता ने बताया कि उनकी आर्थिक हालत काफी खराब है, उनके पास 5-6 बीघा जमीन है, जिस पर पूरा परिवार निर्भर है। मोनिका को गिरोह ने अच्छी पढ़ाई कराने और नौकरी दिलाने का लालच दिया था और भोपाल ले गए थे।
हनीट्रैप मामले में पुलिस ने गैंग के तार दिल्ली-मुंबई तक जुड़े होने की पुष्टि की है। पुलिस के मुताबिक श्वेता स्वप्निल जैन ने महाराष्ट्र और आरती ने दिल्ली में करोड़ों के टेंडर हासिल किए थे। वहीं श्वेता विजय जैन लाइजनिंग का काम देखती थी। 17 सितंबर को जिस दिन हरभजन की ओर से एफआईआर दर्ज की गई, उस दिन आरती-मोनिका होटल इनफिनिटी में थर्ड फ्लोर पर ठहरी थीं। वे एक अफसर की फेयरवेल पार्टी में आई थीं। इसमें कांग्रेस-भाजपा के नेता भी थे। हरभजन होटल पहुंचे तो दोनों ने खर्चे के 3 लाख रु. मांगे। इस बात पर लॉबी में ही कहासुनी हो गई। आरती और मोनिका ने वीडियो लीक करने की धमकी दी तो हरभजन ने झल्लाते हुए कहा- कब तक पैसे देता रहूंगा। इसके बाद ही हरभजन ने रिपोर्ट दर्ज करवाने का फैसला किया।
आरती दयाल विजय नगर इलाके में एक बड़े स्पा से जुड़ी थीं। यहां सिर्फ रशियन और थाईलैंड की लड़कियां थीं। इसलिए कई नेता-अफसर उससे जुड़ गए। शहर में कुछ साल पहले पदस्थ रहे एक बड़े पुलिस अफसर का भी इन्हें साथ मिला हुआ था। इसके चलते पुलिस ने कभी यहां कार्रवाई नहीं की। एक प्रशासनिक अफसर के कहने पर भी पुलिस स्पा को नजरअंदाज करती थी।
आरती ने हरभजन सिंह को मोनिका के साथ वाला वीडियो भेजकर 3 करोड़ की डिमांड की। हरभजन समझाने और राशि कम करवाने 10 सितंबर को भोपाल की आमेर होटल पहुंचे। वहां आरती और हरभजन में तकरार हुई। इसके बाद राशि घटकर 2 करोड़ हुई। इस बीच जो वीडियो बरामद हुए हैं, उनके कॉपी होने की आशंका पर जांच की जा रही है।
एक और हनीट्रेप मामले का खुलासा
भोपाल पुलिस ने एक और हनीट्रेप मामले का खुलासा किया है। इस गिरोह में शामिल युवतियां पहले लोगों से संबंध बनाती फिर दुष्कर्म की धमकी देकर मोटी रकम वसूल करती थीं। पुलिस को जानकारी लगी है कि गिरोह में शामिल युवतियां हवाई जहाज से दिल्ली और मुंबई जाती थीं। गिरोह के राजधानी भोपाल में ही कई ठिकाने थे। बार-बार लोकेशन बदलने के चलते इनको दबोचने में दिक्कत आ रही। मोबाइल लोकेशन के आधार पर आखिरकार मंगलवार को इन्हें पकड़ लिया गया।
पकड़ी गई आरोपी के भोपाल, मुंबई और दिल्ली की पांच सितारा होटलों में संपर्क थे। इसके साथी पहले पैसे वाले लोगों से दोस्ती करते फिर गिरोह में शामिल युवतियों से उन्हें मिलवा देते थे। सहमति या लेनदेन से संबंध बनने के कुछ दिन बाद ये लोग ब्लैकमेलिंग का काम शुरू कर देते थे। दुष्कर्म का मामला दर्ज कराने के नाम पर लाखों रुपया वसूल करते थे। इस गिरोह में शामिल एक आरोपी पर भोपाल के विभिन्न थाना क्षेत्रों में करीब 16 से अधिक प्रकरण दर्ज हैं।
वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट.