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उत्तर प्रदेश

पत्रकार से नेता बने शाहिद सिद्दीकी का जीवन गुजर गया पार्टियां बदलते बदलते!

हर्ष कुमार-

बेचारे शाहिद सिद्दीकी- जीवन गुजर गया पार्टियां बदलते बदलते पर इस तथाकथित पत्रकार को कुछ नसीब नहीं हुआ। कुछ दिन पहले रालोद में थे, उससे पहले शायद कांग्रेस में भी कई बार हो आए, पहले सपा में भी गए और आज फिर सपा में आ गए।

आज मुजफ्फरनगर के बघरा में अखिलेश यादव इनको गाड़ी में बैठाकर लाए थे पता नहीं क्यों? दो वोट इनके कहने से कोई ना दे।

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मुजफ्फरनगर से लोकसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर ही बुरी तरह से हारे थे 90 के दशक में। इनकी सबसे बड़ी कमी ये है कि पत्रकारिता के जिस प्रोफेशन का ये दम भरते हैं उसी की इज्जत करना इनको नहीं आता।

जब मुजफ्फरनगर चुनाव लड़ने आए थे तो सारी टीम दिल्ली से लाए थे और लोकल पत्रकारों से बात तक नहीं करते थे। जमानत जब्त हुई थी। इनके लिए एक पंक्ति- धोबी का कुता।

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