श्रीप्रकाश दीक्षित-
सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ़ जस्टिस और अब राज्यसभा सदस्य जस्टिस रंजन गोगोई पर भी यौन उत्पीड़न का आरोप लग चुका है. उन पर अप्रैल 2019 में सुप्रीम कोर्ट की एक महिला कर्मचारी ने यह आरोप लगाया था. इसके कई साल पहले मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के वरिष्ठ जज एस.के.गंगेले के खिलाफ एडीजे स्तर की महिला जज ने यौन उत्पीड़न की शिकायत के बाद सेवा से इस्तीफा दे दिया था. अब सालों बाद महिला जज ने सेवा मे वापसी के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है जिसका मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने विरोध किया है.
यह वाकया साल-2015 का है जब जस्टिस गंगेले ग्वालियर पीठ में पदस्थ थे और महिला जज वहीँ एडीजे थीं. सीधी तबादला होने पर महिला जज ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया. तब सुप्रीमकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने शिकायत उच्चस्तरीय जांच समिति को सौंपी जिसने जस्टिस गंगेले के खिलाफ सबूतों को इस लायक नहीं माना जिससे यौन प्रताड़ना के आरोपों को सही ठहराया जा सके. इसे शिकायतकर्ता ने चुनौती दी जिसे सुप्रीमकोर्ट ने खारिज करते हुए कहा कि जांच कार्रवाई को पक्षपातपूर्ण नहीं कहा जा सकता.
इसके बाद राज्यसभा के ५८ सदस्यों ने जस्टिस गंगेले के खिलाफ महाभियोग नोटिस सभापति डा.हामिद अंसारी को सौंपा जिस पर दिग्विजयसिंह, शरद यादव, सीताराम येचूरी और बसपा के सतीश मिश्र के हस्ताक्षर थे. इस पर डॉ अंसारी ने जांच कमेटी गठित की जिसमे सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस आर भानुमती और जस्टिस मंजुला चेल्लुर के अलावा वरिष्ठ वकील वेणुगोपाल को शामिल किया गया था. इस जांच कमेटी ने भी यौन उत्पीड़न शिकायत को सही नहीं माना पर महिला जज के असमय तबादले को गलत माना था। इसके बाद इस मामले का पटाक्षेप हो चुका है।