Vinod Sirohi : पुलिस से थानों या सार्वजनिक जगहों में बदतमीजी करने वाले कुछ राजनीतिक लोग एसा जानबूझकर करते हैं| अपनी दबंग छवि बनाने के लिए और उसे कैश करने के लिए| ऐसे कुछ लोग जानबूझकर पुलिस से उलझते हैं और उनके अनुशासन का फाइदा उठा कर इन्सल्ट करने की कोशिश करते हैं| थानों में घुस कर गाली गलौच करना तोडफोड करना हमला करना ऐसे ही लोग निश्चित केलकुलेशन के साथ करते हैं, और अक्सर व बार-बार करते हैं| उनके साथ उनके स्थानीय समर्थकों का जमावड़ा भी होता है| कभी ज्यादा मामला उलझने पर जन ताकत का बेजा स्तेमाल करने से नहीं चूकते हैं|
पुलिस की सीमाएं होती हैं और उलझने के बाद होने वाली पुलिस जाँचों में पुलिस वाला अकेले ही लड़ पाता है, खुद की लड़ाई खुद| और अक्सर सस्पेंड और नाना प्रकार की सजा पा जाता है| कुछ घाघ राजनीतिक व्यक्ति ये सब जानते हैं| इसके बाबजूद भी पुलिस के कुछ लोगों के कारण साधारण से लोगों का दुस्साहस बढ़ने लगा है| प्रत्येक पुलिस वाले को चाहिए कि अनावश्यक राजनीतिक लोगों से मेल जोल बढ़ाना, उनसे सिफ़ारिश कराना, उनकी मनौती करना बिलकुल नहीं करे| निडर रूप से कम शब्दों में नपे तुले अंदाज में ही बात करें|
रिजर्व रहना सीखें| सार्वजनिक जगहों पर आदर्श आचरण पैदा करें| खराब लोगों से कतई संबंध न रखें, उनके समारोहों में भी हिस्सा न बने| समाज के अच्छे ईमानदार लोगों की मदद लें और उनसे ही मेलजोल रखें| पुलिस के चंद लोगों की आकांछाओ ने पुलिस की छवि को प्रभावित किया है और फालतू के लोग भी पुलिस से दुर्व्यवहार करने लगे हैं| न्यायपालिका की तरह पुलिस वालो को भी सार्वजनिक समारोहों व सार्वजनिक छवि वाले व्यक्तियों के व्यक्तिगत समारोहों से दूर रहने चाहिए| कोई राजनीतिक और पुलिस गठबंधन नहीं करना चाहिए और न दिखना|
यूपी पुलिस के इंस्पेक्टर विनोद सिरोही के फेसबुक वॉल से.
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