बॉम्बे हाईकोर्ट ने एनडीटीवी के प्रवर्तक प्रणय रॉय और राधिका रॉय द्वारा दायर रिट याचिका को खारिज कर दिया। रॉय ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम की धारा 12 (डी) और 12 (ए) के कथित उल्लंघन के लिए जारी किए गए कारण बताओ नोटिस को चुनौती दी गई थी।
सेबी द्वारा प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम की धारा 12 (डी) और 12 (ए) के कथित उल्लंघन के लिए प्रणय रॉय और राधिका रॉय को भेजे गए कारण बताओ नोटिस के खिलाफ प्रणय रॉय और राधिका रॉय की याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा था कि याचिकाकर्ताओं को नोटिस का सामना करना चाहिए और सेबी के समक्ष सुनवाई में भाग लेना चाहिए और यदि उनके खिलाफ कोई सामग्री नहीं है तो नोटिस विफल हो जाएंगे।
न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति आरआई चागला की खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं और सेबी के लिए अर्णव मिश्रा के साथ याचिकाकर्ताओं और वरिष्ठ वकील जेजे भट्ट के अधिवक्ताओं फ़र्शे सेठना और अधिवराज मल्होत्रा के तर्क सुनने के बाद उक्त टिप्पणी किया था। सेबी ने 31 अगस्त, 2019 को नोटिस जारी करते हुए आरोप लगाया कि याचिकाकर्ताओं ने अप्रकाशित मूल्य संवेदनशील जानकारी के कब्जे में रहते हुए एनडीटीवी के शेयरों का कारोबार किया था। रॉय ने उन सभी दस्तावेजों, रिकॉर्डों और आंतरिक फाइलों और नोटिंग्स का निरीक्षण करने की भी मांग की है, जिन्हें बाजार नियामक ने उक्त नोटिस जारी करने के लिए बनाया है।
प्रणय रॉय और राधिका रॉय की याचिका में कहा गया था कि कारण बताओ नोटिस मनमाना, अनुचित और शक्ति के घोर दुरुपयोग में जारी किया गया है और याचिकाकर्ता को प्रतिबंध, खतरे, पूर्वाग्रह और कठिनाई में डालता है। एनडीटीवी के खिलाफ सेबी द्वारा पहला कारण बताओ नोटिस 12 फरवरी, 2015 को जारी किया गया था, जिसमें इस आधार पर सूचीकरण समझौते के खंड 36 के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कहा गया था कि रु 450 करोड़ की कर मांग का खुलासा नहीं किया गया था, जो कि वर्ष 2009-2010 के लिए कंपनी एक मूल्यांकन आदेश के तहत उठाया गया था। इसके बाद सेबी ने 17 मार्च, 2015 को पहले कारण बताओ नोटिस के लिए एक अधिशेष जारी किया।
एनडीटीवी के प्रवर्तकों प्रणय रॉय और राधिका रॉय ने आंतरिक व्यापार नियमों के कथित उल्लंघन के मामले में 2018 में सेबी द्वारा उन्हें जारी कारण बताओ नोटिस को बंबई उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। याचिका में अदालत से मांग की गयी थी कि नोटिस को रद्द किया जाए और सेबी को रॉय दंपति को सभी दस्तावेजों, रिकॉर्डों तथा आंतरिक फाइलों एवं नोटिंग्स को देखने की अनुमति दी जाए जिनके आधार पर नियामक ने नोटिस जारी किया।