Sanjay Tiwari : वह दलित होकर भी वेमुला नहीं थी। न ही अखलाक हो पायी थी। आनंदी होती तो टीवी रोता। सोशल मीडिया भी निंदा ही करता लेकिन उसका दुर्भाग्य यह था कि वह न रोहित थी, न टीवी की आनंदी, इसलिए बिहार के एक जिले में सिंगल कॉलम की खबर बनकर रह गयी। लेकिन पूनम भारती की मौत का एक संदेश है। उसी तरह का संदेश जैसे रोहित वेमुला की मौत में एक संदेश था। पूनम भारती एक ऐसे झूठे फरेब का शिकार हुई जिससे वह प्यार के आवेग में बच नहीं पायी।
बिहार में जहानाबाद की पूनम भारती जिस कोचिंग इंस्टीट्यूट में पढ़ने जाती थी वहां जाल बिछाये एक बहेलिये ने उसे फंसा लिया। “प्यार” के इस फंदे में फंसकर पूनम वहां तक चली गयी जहां कोई लड़की शादी से पहले जाने से बचती है। लेकिन जहांगीर ने तो उसे अपनी पत्नी बता ही दिया था लिहाजा जहांगीर ने उसे बिना शादी के “पेट” से कर दिया। यहां से आगे का रास्ता पूनम के लिए या तो जहांगीर के साथ जाता था, नहीं तो फिर कहीं नहीं जाता था। पूनम ने घर में कुछ भी नहीं बताया था कि वह एक ऐसे लड़के के प्यार में पड़ चुकी है जो उसकी जाति और धर्म का नहीं था। पेट का बच्चा गिराकर जहांगीर उसका साथ पहले ही छोड़ चुका था। इसके बाद वह कहां जाती? उसने एक छोटी सी चिट्ठी लिखी और पटना गया रेलवे लाइन को अपनी जिन्दगी का आखिरी मुकाम बना लिया।
उसने जो चिट्ठी लिखी है उसमें एक पूरी कौम को कसूरवार ठहराया है। “मियां जात कमीना होता है। इसकी जुबान पर कभी भरोसा नहीं करना चाहिए।” रोहित वेमूला की तरह पूनम दलित होकर भी किसी ब्राह्मणवाद का शिकार नहीं हुई है। वह एक और वाद का शिकार हुई है जिसकी बुनियाद में ऐसे मौलवी और उनकी मानसिक संतान बैठे हुए हैं जो एक खास किस्म के “जिहाद” पर है। यह “जिहाद” एक मुशरिक को “पाक” बनाने की प्रक्रिया है। पूनम भारती शायद इसी मानसिकता का शिकार हो गयी। अगर ऐसा न होता तो इतनी बड़ी बात वह कभी न लिखती कि “मियां जात” पर कभी भरोसा मत करना।
लेकिन पूनम भारती की मौत पर सवाल के सारे दरवाजे हमारी बौद्धिक दुनिया ने “लव जिहाद का झूठा प्रलाप” बताकर पहले ही बंद कर दिया है। हमारे समय की त्रासदी यही है कि हमने धोखा, फरेब और मौत का भी मजहबीकरण कर दिया है। ऐसे हालात में पूनमों के हिस्से में भले ही मौत हो लेकिन जहांगीरों के हिस्से में पूरी आजादी है। वे जो चाहें कर सकते हैं उसको बौद्धिक संरक्षण देनेवाले लोग दो मिनट का मौन तो रखेंगे लेकिन श्रद्धांजलि देने के लिए नहीं बल्कि चुप्पी साधने के लिए।
वेब जर्नलिस्ट संजय तिवारी के एफबी वॉल से. उपरोक्त स्टेटस पर आए कुछ प्रमुख कमेंट्स इस प्रकार हैं…
Shahnawaz Malik : दिल्ली में हर दिन शादी का झांसा देकर रेप और ख़ुदकुशी की कहानी छपती है। आरोपी सारे तिवारी शर्मा होते हैं। ख़ैर नफ़रत कम फैलाएं वरना इतिहास में नफ़रत फ़ैलाने वालों में.
Gaurav Sharma : Shehnawaj ji Delhi main Ek bhi crime ki khabar dikhao Jis main koi musalman na ho.
Shahnawaz Malik : शर्माजी…या तो रिकॉर्ड खंगालिए या फिर योगा करिए
Saurabh Dwivedi : इतिहास में नफरत फ़िलहाल एक ही कौम फैलाती आई और फैलाती रहेगी. रोज़ हज़ारो लाखो मासूमो को अपना निशाना बना कर कभी सुसाइड बॉम्बर बन के तो कभी आतंकवादी हमले करके उससे भी जी नहीं भरा तो लव जिहाद पे उतारू है
Shahnawaz Malik : तिवारीजी की वाल पर ट्रैफिक का स्टैंडर्ड काफी लो है। रेटोरिक कब तक करेंगे।
राकेश कुमार मिश्रा : कोई आवाज़ नहीं उठेगी कहीं से। अगर कोई विरोध करेगा भी तो उसे सेक्यूलर लोग संघी कह कर दो समुदायों में दरार पैदा करने की साज़िश कह कर ख़ारिज कर देंगे। वैसे मुझे इस लड़की के साथ कोई सहानुभूति नहीं है। अवैध सम्बन्ध बनाते समय तो इसने कुछ नहीं सोचा अपने माँ बाप और परिवार की इज़्ज़त के बारे में और लेटर में लेक्चर झाड़ रही है।
Yusuf Ansari : संजय भाई, आपने पूनम की आवाज बुलंद करके अच्छाी काम किया है। मरने वाले का बयान सच्चा माना जाता है। मैं भी चाहता हूं कि पूनम को खुदकुशी के लिए मजबूर करने वाले को सज़ा मिले। मैं भी आपकी पोस्ट शेयर कर रहा हूं।
Shahnawaz Malik : यूसुफ़ साब…दिल्ली समेत पूरे देश में हर दिन इसी तरह के रेप और मर्डर के मामले होते हैं, आप उसे क्यूं नहीं शेयर करते?
Yusuf Ansari : भाई Shahnawaz Malik, मैं न्याय के पक्ष में हूं और अन्याय के ख़िलाफ़। मेरा मानना है कि सबको इंसाफ़ मिलनमा चाहिए। बग़ौर घार्मिक और जातीय भेदभाव के। मैंने पहले भी ऐसी कई पोस्ट शेयर की हैं। आगे भी करूंगा। आपने याद दिलाया है तो और ज़्यादा ध्यान रखूंगा।
Shahnawaz Malik : न्याय के पक्ष में कौन नहीं है। तिवारी की इस पोस्ट में घृणा है और तर्क सारे खोखले। रोहित या अख़लाक़ अपनी पहचान की वजह से मारे गए, जबकि इस मामले में ऐसा नहीं है। रेप और मर्डर के सामान्य केस में जाति और धर्म जोड़ने से न्याय होगा या नहीं लेकिन अन्याय ज़रूर होगा।
Yusuf Ansari : भाई Shahnawaz Malik, आपकी बात सही है। लेकिन क्या सिर्फ़ इसी वजह से हम इंसाफ के लिए आवाज़ छोड़ देें। पूनम को प्यार में धोखा मिला है। ये धोखा उसे जहंगीर की जगह कोई जसबीर भई दे सकता था। उसके साथ नाइंसाफ़ी तो ङुई है।
Shahnawaz Malik : ये एक नॉर्मल क्राइम है जो दिल्ली और देश के हर कोने में हर दिन होता है। आप आवाज़ उठाएंगे तो मैं पूछूँगा कि बाक़ियों के लिए क्यों नहीं उठाया। तिवारी का तो मकसद समझ आता है क्योंकि इसमें आरोपी मुस्लिम है। ये लोग दिनभर यही करते हैं।
Yusuf Ansari : भाई Shahnawaz Malik, सबके लिए इंसा की आवाज उठनी ही चाहिए। हम हिंदू और मुसलमान छोड़कर इंसान की बात करें तो बेहतर है।
Shahnawaz Malik : काश आप जैसा तिवारी महाशय भी सोचते। मैं इस लड़की के लिए आवाज़ फिर भी उठा सकता हूँ लेकिन ये पोस्ट नहीं शेयर करूँगा।
Yusuf Ansari : हमें शुरुआत अपने से करनी चाहिए। हमने शुरुआत कर दी है। इंशाल्लाह नतीजे अच्छे ही होंगे। Shahnawaz Malik भाई, कोई बात नहीं आप आवाज़ उठाइए। पोस्ट शेयर मत कीजिए। आपकी आवाज़ यहीं से दूक तर जाएगी।
sanjib
April 10, 2016 at 7:56 pm
Yusuf Bhai, Mujhe to Shahnawaj Malik aur Tiwari me koi Fark nazar nahi aa raha.
Kashinath Matale
April 11, 2016 at 10:04 am
desh me, society me nafarat nahi pyar failana chahiye. Galti kiski hai usski tahkikat honi chahiye. Aur Insaf to milnahi chahiye. Chaye galti karnewala koi bhi ho. Isme Dharm nahi jodna chahiye.
Sheeba Aslam Fehmi
April 13, 2016 at 7:56 am
Sad for this Sister, inke liye main awaaz uthaungi.
However, I am against Hindu girls taking up our Sharukhs and Amirs.
Plz muslim ladkon se pyar na karen Hindu bahne
Jeetu Ansari
November 19, 2022 at 3:24 pm
Mohabbat Failow Nafrat to Koi Bhi Faila Sakta hai Us Rab Se Dua Hai Jinhone ham Sabko banaya Ham Sab ke dilon me ek dusre ke liye mohabbat ata farmaye