न्यूज18 के युवा और प्रतिभाशाली पत्रकार ने ट्रेन के आगे कूद कर जान दे दी

Abhishek Srivastav : अमन के साथ मैंने यूसी न्यूज़ में 6 महीने तक काम किया। हम लोगों एक साथ बैठते थे, बातें करते थे, बिरयानी भी खाते थे। कई बार व्हाट्सऐप पर भी बातें होती रहती थीं. उसके बाद मैंने न्यूज़ 18 ज्वाइन किया और अमन भी न्यूज़ 18 पंजाबी से जुड़ गया. हंसता, खिलखिलाता …

सुसाइड रोकने की दवाई अमेरिका ने बन ली!

Chandra Bhushan : खुदकुशी रोकने की दवाई… पिछली सदी में आत्महत्या को एक दार्शनिक समस्या कहा गया, लेकिन बाद में इस प्रवृत्ति को मनोरोग के दायरे में लेते हुए इसके निदान की कोशिशें भी हुईं। समस्या यह है कि किसी मरीज में इस तरह का रुझान देखे जाने पर इसकी वजह के रूप में कोई …

दैनिक भास्कर की भ्रष्ट प्रसार नीति ने ली अखबार वितरक की जान!

राजस्थान कोटा के अखबार वितरक राठौर ने दैनिक भास्कर के झूठे दिखावे के आगे 10 जनवरी 2019 को अपनी जान गंवा दी। भास्कर खुद को नंबर वन सिद्ध करने के लिये अब किसी की जान लेने में भी पीछे नहीं हटता। दैनिक भास्कर अपनी झूठी ग्राहक संख्या बताने के लिये वितरकों पर अपनी अखबार की …

PCS अफसर और महिला सिपाही ने जान दी, BJP विधायक गुजर गए

उत्तर प्रदेश से लगातार बुरी खबरों के आने का सिलसिला जारी है. ललितपुर में एक PCS अफ़सर ने ख़ुद को गोली से उड़ा लिया है. इनका नाम है हेमंत कुमार. ये फिहाल एसडीएम मड़वारा के पद पर तैनात थे. इन्होंने बन्द कमरे में खुद को गोली मारी.

आइपीएस सुसाइड प्रकरण : घरेलू हिंसा के चलते अब महिलाओं से ज्यादा पुरुष कर रहे हैं आत्महत्या!

Yashwant Singh : फेमिली प्रॉब्लम कितनी खतरनाक हो जाया करती हैं, यह एक आईपीएस के सुसाइड से जाहिर होता है। मेरे समेत वो सब भाग्यशाली हैं जिनके पास फेमिली तो है, लेकिन प्रॉब्लम नहीं। हमें छोटी-छोटी खुशियों-उपलब्धियों के लिए नेचर / प्रकृति के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए।

छत्तीसगढ़ में 12 घंटे के अंदर दो युवा पत्रकारों ने फंदे से लटक कर दी जान, मीडियाकर्मी स्तब्ध

छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता मुश्किल दौर से गुजर रही है। मीडियाकर्मी तनावों और दबावों के कारण परेशान हैं। इसकी परिणति सुसाइड के रूप में हो रही है। बारह घंटे के भीतर दो पत्रकारों के सुसाइड से राज्य समेत देश भर के मीडियाकर्मी स्तब्ध हैं। अंबिकापुर में हिंदी न्यूज चैनल के पत्रकार शैलेन्द्र विश्वकर्मा और बस्तर में …

‘मेरा दिमाग ही मेरा दुश्मन है’ लिख कर महिला एंकर ने किया सुसाइड

भारत में एक महिला एंकर यह लिखकर सुसाइड कर लेती है कि- ”मेरा दिमाग ही मेरा दुश्मन है”.  आत्महत्या करने वाली यह महिला एंकर अपने पति से तलाक के बाद डिप्रेशन में चल रही थी. मामला आंध्र प्रदेश का है.  

चंदौली के पत्रकार डीके सिंह ने आत्महत्या की

पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले से एक दुखद खबर आ रही है. वरिष्ठ पत्रकार डीके सिंह ने आत्महत्या कर लिया है. बताया जाता है कि वे किसी पारिवारिक विवाद के चलते तनाव में थे. चंदौली जनपद के सैय्यदराजा थाना के अन्तर्गत बरठी कमरौर के रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार डीके सिंह अमर उजाला समेत कई अखबारों के संवाददाता रहे हैं.

दैनिक भास्कर के मीडियाकर्मी ने सुसाइड किया, जीएम से लेकर संपादक तक पर शक की सुई

दैनिक भास्कर होशंगाबाद एडिशन से खबर आ रही है कि यहां एक मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव ने अपने वरिष्ठों की प्रताड़ना से तंग आकर सुसाइड कर लिया. मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव ने कीटनाशक पीकर जान दी. परिजनों ने आत्महत्या के लिए दैनिक भास्कर के वरिष्ठों को जिम्मेदार ठहराया है. पिता ने इस बाबत जीएम हरिशंकर व्यास, संपादक विनोद सिंह और एड एजेंसी के ओंकार कोहली का नाम लिया है जिनकी प्रताड़ना से आत्महत्या करने को बेटा मजबूर हुआ. 

एक कामरेड पत्रकार के शोषण से तंग आकर महिला पत्रकार ने सुसाइड की कोशिश की!

‘दी वायर हिंदी’ में काम करते हैं आरोपी पत्रकार कृष्णकांत… एक साथ कई लड़कियों को प्रेम के जाल में फांसने और उन्हें धोखा देने का आरोप…

उपासना झा : प्रियंका ने आत्महत्या का प्रयास किया था.. बहुत अवसाद में चल रही थी.. उसके माता-पिता पहुँच चुके हैं… अब ख़तरे से बाहर तो है लेकिन उसे इस हाल में पहुंचाने वाले कृष्णकांत पर जिस तरह उसके खेमे वाले (वामपंथी) चुप हैं वह बहुत लज्जास्पद है.. नीचे वो पोस्ट दे रही हूं जिसे प्रियंका ने खुद लिखकर अपनी वॉल पर पोस्ट किया है…

दैनिक भास्कर रोहतक के संपादकीय प्रभारी ने ट्रेन से कटकर आत्महत्या की

एक बड़ी और बुरी खबर रोहतक से आ रही है. दैनिक भास्कर के संपादकीय प्रभारी जितेंद्र श्रीवास्तव ने ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली है. बताया जा रहा है कि उनका प्रबंधन से लेटरबाजी भी हुई थी और पिछले दिनों पानीपत में हुई मीटिंग में उनकी कुछ मुद्दों पर अपने वरिष्ठों से हाट टॉक हुई थी. पर आत्महत्या की असल वजह क्या है, इसका पता नहीं चल पाया है.

राहुल इतने संजीदा और साफ दिल थे कि अगर किसी ने कुछ बोल दिया तो आंखों में आंसू आ जाते

Abhimanyu Shitole राहुल ने आत्महत्या कर ली… ! यह दुखद खबर जब से सुनी है मन उदास है। राहुल और मैं करीब साढ़े तीन-चार साल tv9 में एक साथ रहे। tv9 लॉन्च होने से पहले से वह मेरे साथ टीम में था। बेहद सौम्य, शालीन और अतंरमुखी लड़का। आंखों में हजार सपने पाले हुआ था। बोलता कम था, बस जो काम दो, वह पूरे मन से करता था। वह मेरे साथ प्रोडक्शन में था। कभी डे शिफ्ट, कभी नाइट शिफ्ट, कभी डे-नाइट दोनों एक साथ… नाराज होता था, लेकिन अपनी नाराजगी भी मन में ही दबा कर रखता था।

जी न्यूज के वरिष्ठ संवाददाता राहुल शुक्ला ने आत्महत्या के पहले फेसबुक पर लिखी थे ये कविता

Ashwini Sharma : बावरा मन देखने चला एक सपना… आखिर ऐसा कौन सा सपना था जिसे देखने की ख्वाहिश लिए जी न्यूज के वरिष्ठ संवाददाता राहुल शुक्ला ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया..उसने मुंबई के चांदिवली में फांसी लगाकर जान दे दी..

मुंबई में टीवी पत्रकार राहुल शुक्ला ने आत्महत्या कर ली

Hari Govind Vishwakarma : पत्रकार ने की ख़ुदकुशी… यक़ीन नहीं हो रहा है, लेकिन यह सच है कि टीवी9 में मेरे पूर्व सहकर्मी और बेहद प्रतिभासंपन्न पत्रकार राहुल शुक्ला ने आज अपने नेरुल के घर में ख़ुदकुशी कर ली।

आत्महत्या के पहले अंगदान कर गए थे मुंबई के वरिष्ठ प्रेस फोटोग्राफर जगदीश औरंगाबादकर

इस पुरानी तस्वीर में फिल्म स्टार दिलीप कुमार के साथ प्रेस फोटोग्राफर जगदीश औरंगाबादकर दिख रहे हैं.

मुम्बई : सिनेमा जगत को कवर करने वाले जाने माने प्रेस फोटोग्राफर जगदीश औरंगाबादकर ने परसों मुम्बई के गोरेगांव स्थित अपने आवास पर आत्महत्या कर लिया था। इस घटना से सिनेमाजगत को कवर करने वाले पत्रकारों और फोटोग्राफरों में शोक का माहौल है। इस बारे में मिली जानकारी के मुताबिक जगदीश औरंगाबादकर गोरेगांव स्थित अपने आवास पर अकेले थे।

मुंबई के वरिष्ठ फिल्म फोटोग्राफर जगदीश औरंगाबादकर ने आत्महत्या की

मुंबई से एक बड़ी और दुखद खबर आ रही है. वरिष्ठ प्रेस फोटोग्राफर जगदीश औरंगाबादकर ने आत्महत्या कर ली है. दादा के नाम से चर्चित जगदीश फ्रीलांस फिल्म फोटोग्राफर थे. सूचना मिलते ही पुलिस की टीम मौके पर पहुंची. पुलिस वालों ने जगदीश दादा की लाश को नीचे उतारा. इस स्तब्धकारी घटनाक्रम की जानकारी मिलने पर फिल्म स्टार अमिताभ बच्चन ने बेहद दुख जताया और श्रद्धांजलि दी.

सौमित खुदकुशी के बहाने मीडिया संस्थानों की हालत देख लीजिए

बेहद टैलेंटेड जर्नालिस्ट सौमित सिंह ने पायोनियर, डीएनए, मुंबई मिरर और हेडलाइंस टुडे जैसे तमाम बड़े कहे जानेवाले संस्थानों में बेहद सीनियर पदों पर काम करने के बावजूद भीषण बेरोजगारी का दंश झेला और 44 साल की उम्र में दो छोटी बच्चियों के भविष्य का ध्यान रखे बगैर अपनी जान दे दी। इसका मतलब है कि बड़े संस्थान और बड़े पद का अनुभव भी पत्रकारों को सुरक्षा भाव देने में असमर्थ है। आगे पता नहीं उसके परिवार का जीवनयापन कैसे होगा। पत्रकार संस्थाएं इसमें कोई भूमिका निभा भी सकती हैं या नहीं?

WHEN SAUMIT SINGH NEEDED HELP, NONE OF YOU WERE THERE….

सौमित सिंह की फाइल फोटो

I clearly remember that conversation with Saumit Singh. It was just after Independence Day in 2013. He was goading me to be more aggressive in my writing. “Tu Bohot Soft Hai. This is not journalism. You should say it the way it should be said,” he said.

जिसकी तस्वीरें मुकेश अम्बानी और शाहरुख़ खान जैसों संग जगमगा रही हों, वह शख्स पैसे के अभाव में फांसी के फंदे से झूल गया!

एक था सोमू…. जिसकी तस्वीरें मुकेश अम्बानी, शाहरुख़ खान, आमिर खान जैसी नामी गिरामी हस्तियों और धनकुबेरों के साथ उसके फेसबुक प्रोफाइल पर जगमगा रही हों, वह शख्स पैसे के अभाव में गरीबी से घबरा के यूँ किसी असहाय और अनाथ शख्स की तरह फांसी के फंदे से झूल जाए तो भला कौन यक़ीन कर पायेगा। यही वजह है कि मुम्बई, दिल्ली और लखनऊ के बड़े बड़े अखबारों में बरसों तक वरिष्ठ पत्रकार और कॉलमिस्ट रह चुके बेहद हैंडसम, मिलनसार, जिंदादिल और सौम्य व्यवहार के सौमित सिंह की 40 बरस में उमर में ख़ुदकुशी से हुई मौत पर अभी भी उनके बहुत से मित्रों को यकीन नहीं हो पा रहा।

…यूं ही सौमित सिंह की तरह आत्महत्या कर मरते रहेंगे पत्रकार!

पूर्वी दिल्ली के मधु विहार स्थित अपने आवास पर सोमवार की सुबह एक फ्रीलांस जर्नलिस्ट सौमित सिंह ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। खबर को जब मैंने फेसबुक पर इस स्टेटस के साथ शेयर किया…

हे विक्रम राव, फ्रांस की बातें बाद में कर लेना, पहले आत्महत्या करने वाले बुजुर्ग पत्रकार त्रिपाठी जी की सुध तो ले लो

पता चला है कि मई दिवस पर IFWJ की रैली में जुटेंगे 1200 श्रमजीवी पत्रकार और के. विक्रम राव होंगे मुख्य वक्ता…. इनसे मेरा कहना है कि पहले मलिहाबाद तो जाओ, फिर कर लेना फ्रांस की बातें… लखनऊ में नाका थाना क्षेत्र में आर्थिक तंगी के चलते वरिष्ठ पत्रकार चंद्र शेखर त्रिपाठी (74) ने ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी. श्री त्रिपाठी नव जीवन अख़बार में काम करते थे उसके बंद होने के बाद से इनका परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था. लेकिन इन पत्रकार नेताओं को कभी फुर्सत नहीं मिली कि वे ऐसे पीड़ित और गरीब पत्रकारों की सुध लेते.

मुस्लिम लड़के से प्यार में धोखा खाई तो मरने के पहले पूरे कौम को कमीना बता गई (पढ़ें पत्र)

Sanjay Tiwari : वह दलित होकर भी वेमुला नहीं थी। न ही अखलाक हो पायी थी। आनंदी होती तो टीवी रोता। सोशल मीडिया भी निंदा ही करता लेकिन उसका दुर्भाग्य यह था कि वह न रोहित थी, न टीवी की आनंदी, इसलिए बिहार के एक जिले में सिंगल कॉलम की खबर बनकर रह गयी। लेकिन पूनम भारती की मौत का एक संदेश है। उसी तरह का संदेश जैसे रोहित वेमुला की मौत में एक संदेश था। पूनम भारती एक ऐसे झूठे फरेब का शिकार हुई जिससे वह प्यार के आवेग में बच नहीं पायी।

सूखे और कर्ज की मार झेल रहे यूपी के एक किसान ने नातिन की शादी से हफ्ते भर पहले कर लिया सुसाइड

सूखे से तप रहे यूपी के बेहाल बुंदेलखंड में किसान के पास आत्महत्या के अलावा कोई विकल्प नहीं है शायद! इस मृतक किसान को नातिन की शादी करनी थी। धन का प्रबन्ध नही कर पाया तो ‘मेरा चोला हो लाल बसंती, सूख रही बुन्देली धरती’ कहते फांसी पर झूल गया! इसने बैंक से क्रेडिट कार्ड का 50 हजार का कर्ज लिया था जो चुकता नहीं हुआ!

इसलिए लड़के आत्महत्या नहीं करते, लड़कियां कर लेती हैं

प्रत्यूशा की मौत के बहाने : मरने वाली लड़की ही क्यों?

Sanjaya Kumar Singh : मैंने किसानों की आत्महत्या पर नहीं लिखा, डेल्टा मेघवाल की मौत पर भी नहीं लिखा लेकिन प्रत्यूशा बनर्जी की मौत पर लिख रहा हूं। कारण इसी में है फिर भी ना समझ में आए तो उसपर फिर कभी बात कर लेंगे। फिलहाल प्रत्यूशा और उसके जैसी अभिनेत्रियों की मौत के कारणों को समझने की कोशिश करते हैं। जो छोटे शहरों से निकलकर बड़ा काम करती है। शोहरत और पैसा कमाती हैं, सब ठीक-ठाक चल रहा होता है और अचानक पता चलता है कि उसकी मौत हो गई (आत्महत्या कर ली, हत्या हो गई या शीना बोरा की तरह) या गायब हो गई। कारण हर तरह के हैं, होते हैं लेकिन प्रेम संबंध, पति, प्रेमी, आशिक, ब्वायफ्रेंड की भूमिका भी सामने आती है और कुछ मामले खुलते हैं, कुछ नहीं खुलते हैं। मरने वाली बदनाम जरूरी होती है या कर दी जाती है। मीडिया ट्रायल की अलग समस्या है। जो तुरंत बंद होना चाहिए पर वह हमारे हाथ में नहीं है।

दैनिक जागरण प्रबंधन की प्रताड़ना से परेशान और मजीठिया वेज बोर्ड न मिलने से दुखी मीडियाकर्मी ने आत्महत्या की

लुधियाना से एक बुरी खबर आ रही है. पता चला है कि दो दशक से ज्यादा समय से दैनिक जागरण के साथ कार्यरत मीडियाकर्मी अतुल सक्सेना ने आत्महत्या कर लिया है. कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि उन्हें जहर देकर मारा गया है क्योंकि उन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड का केस वापस लेने के प्रबंधन के दबाव में आने से इनकार कर दिया था. अतुल ने मजीठिया वेज बोर्ड का हक पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में केस कर रखा था और इस मामले में फैसला आने में हो रही देरी से दुखी थे. उन पर दैनिक जागरण प्रबंधन लगातार दबाव बनाए हुए था कि वह केस वापस लें अन्यथा उनका दूरदराज तबादला कर दिया जाएगा.

फिर बन रही वेमुला प्रकरण जैसी भूमिका, हतास आइसा अध्यक्ष बोले- सपने धरे रह गये

लखनऊ : इन दिनों लखनऊ विश्वविद्यालय में वेमुला जैसे प्रकरण की भूमिका पूर्ण तैयार नजर आ रही है। आइसा के प्रदेश अध्यक्ष सुधांशु बाजपेई के सोसल मीडिया पर वायरल हुए एक संदेश से मामला बेहद गंभीर नजर आ रहा है। मामले के बारे में हमने पड़ताल करने के लिए आइसा के प्रदेश अध्यक्ष से सीधे संपर्क किया तो उनका जवाब था “मेरा एक साल बर्बाद हो गया मै पी॰ एच॰ डी॰ करना चाहता था, लेकिन सारे सपने धरे रह गए अब समझ में आया वेमुला कैसे बनते हैं।”

यूपी में ‘समाजवादी’ जंगलराज : लखनऊ में छेड़खानी से परेशान एक मेडिकल छात्रा ने फांसी लगाकर जान दी

बधाई हो सरकार में बैठे समाजवादियों और तुम्हारे कारकूनों! तुम्हारे अटूट प्रयास आज फलीभूत हुए और नतीजा यह हुआ कि बीती रात एक मेडिकल छात्रा ने राजधानी के गुडम्बा कालोनी में अपने कमरे में पंखे से लटक  कर खुद को मौत हवाले कर दिया। बधाई हो। ताज़ा खबर है कि लखनऊ के एक डेंटल मेडिकल छात्रा ने छेड़खानी से त्रस्त होकर फांसी लगा ली। पिछले कई महीने से मोहल्ले से लेकर कॉलेज आसपास शोहदों ने उसका जीना हराम कर रखा था। मानसिक तनाव इतना बढ़ने लगा कि उसे खुद की जिंदगी ही अभिशाप लगाने लगी। उसे लगा कि उसका स्त्री-देह ही उसका सबसे बड़ा दुश्मन है। बस फिर क्या था। इस बच्ची ने उस कलंक-अभिशाप को ही हमेशा-हमेशा के लिए धो डाला।

आगरा स्थित केंद्रीय हिंदी संस्थान में कार्यरत हिंदी के युवा कवि दलित प्रकाश साव ने खुदकशी की

केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा में पूरे दस साल तक ठेके की नौकरी करते हुए हिंदी के युवा कवि प्रकाश साव ने कर ली खुदकशी. अपने टीटीगढ़ स्थित घर में रात को उसने नींद की गोलियां खा ली और सुबह फिर नींद से उठा ही नहीं. अबकी दफा उससे हमारी बात भी नहीं हुई. हाल में पिछली दफा जब वह कोलकाता आया तो उसने फोन किया था. अब उससे फिर मुलाकात की कोई संभावना नहीं है.

दिव्य भास्कर के कर्मी ने आत्महत्या की

गुजरात से एक बड़ी खबर आ रही है. बीते 27 अगस्त को गुजरात के भावनगर सिटी में दिव्य भास्कर अखबार के एक कर्मचारी दिलीप भाई ने सुसाइड कर लिया. सूत्रों के मुताबिक दिलीप भाई एमआईएस डिपार्टमेंट में काम करते थे. आरोप है कि दिव्य भास्कर के सौराष्ट्र समाचार के यूनिट हेड की प्रताड़ना के चलते …

जगेंद्र की फोरेंसिक रिपोर्ट से घटनाक्रम में नया मोड़, हत्या नहीं, खुदकुशी !!

लखनऊ की फॉरेंसिक लैब रिपोर्ट ने जगेंद्र हत्‍याकांड को खुदकुशी करार दिया है। बताया गया है कि जगेन्द्र ने खुद आग लगाई थी. छाती के बाईं तरफ से आग से जलने के निशान पाए गए हैं. गौरतलब है कि जगेन्द्र ने घायल होने के बाद बयान दिया था और यूपी के मंत्री राममूर्ति वर्मा और यूपी पुलिस पर आग लगाने का आरोप लगाया था। 

शैलेंद्र शर्मा आत्महत्या कांड : ‘दबंग दुनिया’ के सीईओ समेत चार पर लटकी कार्रवाई की तलवार

खंडवा (म.प्र.) : दबंग दुनिया अखबार के मार्केटिंग विभाग से जुड़े रहे शैलेंद्र शर्मा ने काम के दबाव के चलते तीन माह पहले खंडवा के एक होटल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। अब उस मामले में खंडवा पुलिस ने दबंग दुनिया के सीईओ सहित चार लोगों के खिलाफ धारा 304 के तहत प्रकरण दर्ज करने की तैयारी कर ली है। 

वोटबैंक वाले इस लोकतंत्र में किसान मरे तो मरे… सत्ता और मीडिया ने अपनी औकात दिखा दी…

भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से…

उद्योगपित दिवालिया होने लगता है तो हंगामा मच जाता है. उसे फटाफट राहत देने की कवायद शुरू हो जाती है. उद्योगपति टैक्सचोरी में फंसा जाता है तो सरकार साहिब माफी देने में यह कहते हुए जुट जाती है कि ऐसा न करने से देश में निवेश और विकास का माहौल प्रभावित होगा. लेकिन जब खेती-किसानी संकट में पड़ जाए तो कोई नहीं बोलता. सत्ता का चरित्र बिलकुल साफ तौर पर सामने है इन दिनों. कारपोरेट मीडिया का बड़ा हिस्सा एक बड़े दलाल की भूमिका में है जो सत्ता को बचाने की खातिर मुख्य मुद्दों से ध्यान डायवर्ट करने में लगा रहता है. एक गजेंद्र के मरने पर आम आदमी पार्टी को घेरने के लिए इतना हायतौबा हुआ लेकिन देश भर में किसान जगह जगह धड़ाधड़ आत्महत्याएं कर रहा है तो कोई दिन भर इस पर लाइव मुहिम नहीं चला रहा.

राजस्थान में हफ्ते भर में चौथे किसान ने आत्महत्या की

भूकंप के बाद तबाह हुए नेपाल में भारत ने जो सक्रियता दिखाई है, वह तारीफ के काबिल है. लेकिन अगर अपने देश में देखें तो किसान खुदकुशी का मामला किसी तबाही से कम नहीं है. हर रोज जाने कितने किसान मर रहे हैं. लेकिन केंद्र और राज्य सरकारें पूरी बेशर्मी से इन मौतों को नकार रही हैं. ये सरकारें साफ-साफ किसान विरोधी दिख रही हैं. जिस देश की आबादी की बहुत बड़ी संख्या खेती पर निर्भर हो, उस देश में जब खेती तबाह हो जाए और किसान कर्ज के बोझ तले दबकर आत्महत्या कर रहा हो तो इससे बड़ा संकट क्या होगा.

किसान खुदकुशी मामले में आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने बाराबंकी के डीएम के बयान को गैर-जिम्मेदाराना करार दिया

Surya Pratap Singh : बाराबंकी में सत्ता की चौखट पर आशाराम ने फ़ासी लगाई. बैंकों और सूदखोरों के तगादे से त्रस्त किसान आशाराम ने शनिवार देर रात बाराबंकी में डीएम आवास के सामने पेड़ से फांसी लगाकर जान दे दी. रविवार सुबह मॉर्निंग वॉक पर निकले लोगों व एडीएम पीपी पॉल ने पुलिस को सूचना दी. आशाराम ने डीएम के नाम संबोधित दो पेज के सूइसाइड नोट में सूदखोरों के दबाव की बात लिखने के साथ ही सीएम से अपने अंतिम संस्कार में शामिल होने का आग्रह भी किया है.

खराब फसल से परेशान किसान ने डीएम ऑफिस के बाहर लगाई फांसी

बाराबंकी : दिल्ली के जंतर-मंतर पर ‘आप’ की रैली के दौरान किसान गजेंद्र सिंह की मौत का मामला अभी शांत भी नहीं हो पाया था कि उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया है। रविवार को सुबह बाराबंकी में डीएम आवास के सामने किसान का शव लटका मिला। इसके बाद यहां ‌हड़कंप मच गया।

 

रविवार को बाराबंकी में डीएम ऑफिस के सामने पेड़ से झूलता आसाराम का शव

गजेंद्र की मौत : खुदकुशी कैसे?

दिल्ली के सीएम केजरीवाल का यह कहना है- ‘‘रैली बंद न करके भूल की।’’ और आशुतोष के पहले के कथन – ‘‘अब कभी होगा, तो केजरीवाल को पेड़ पर चढ़ने को कहेंगे।’’ इन दोनों में कतई अपराध बोध नहीं झलकता, बल्कि सियासत के पुट स्पष्टतः दिखाई देते हैं। 

किसान सुसाइड के बहाने न्यूज चैनलों की पड़ताल और भारत में खेती-किसानी का भविष्य

Ramprakash Anant : NDTV के पत्रकार ने अभी अभी तीन बातें रखीं कि मरने वाले किसान की सत्रह बीघा फसल बर्बाद हो गई है। रैली में आने से पहले उसने जिन रिश्तेदारों से बात की उससे यही पता चलता है कि वह अपने क्षेत्र के किसानों की स्थिति की ओर इस रैली का ध्यान आकर्षित करना चाहता था। गजेन्द्र के भाई भी आजकल पर यही बात कह रहे हैं। बीजेपी के सिद्धार्थ नाथ कह रहे हैं कि वह पीड़ित किसान नहीं था. वह आप का कार्यकर्ता था।

शाबास टीवी चैनलों! पूरी बहस ‘आप’ बनाम पुलिस पर फोकस रखा, वसुंधरा और मोदीजी का नाम तक न आने दिया

Sandhya Navodita : मौत के मुक़दमे की घंटों लम्बी बहस में महारानी वसुंधरा, मोदीजी और कांग्रेस का नाम तक नहीं आ पाया. यह बड़ी उपलब्धि है. साँच को आँच नहीं आई. यह साबित हुआ कि केजरीवाल और उनकी पार्टी ही मौत के लिए ज़िम्मेदार है. थोड़ी देर में यह भी साबित किया जा सकता है कि देश में अब तक जो तीन लाख किसानों ने आत्महत्या की है उसके ज़िम्मेदार भी केजरीवाल हैं. यह बड़ी बात है टीवी चैनलों ने किसान की बदहाली के मुद्दे पर एक शब्द भी चर्चा न होने देने में सफलता हासिल की, और पूरी बहस में आप पार्टी और पुलिस के बीच ही मामला बनाये रखा. जिसे बाद में रेफरी भाजपा ने आकर हल किया. आप के मुजरिमों के बहुत रोने गाने के बाद भाजपा का दिल पसीजा. उन्होंने कहा कि वैसे तो ज़िम्मेदार केजरीवाल एंड पार्टी ही हैं पर अगर कोई पुलिस वाला भी दोषी पाया गया, जिसकी कोई संभावना नहीं है, तो उसे भी बख्शा नहीं जाएगा.

इसी तरह गुजरात में ‘सीएम नरेंद्र मोदी’ को खत लिखकर एक और किसान ने की थी आत्महत्या

दौसा के किसान गजेन्द्र की आत्महत्या पर सभी दल अब अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने लगे हैं लेकिन ऐसे कई गजेन्द्र गुजरात में भी हैं. गुजरात के जामनगर जिले के कल्य़ाणपुरा तालुका के छिजवड़ गांव के अनिरुद्ध सिंह जाड़ेजा  ने भी ठीक गजेन्द्र की ही तरह 4 अक्टूबर 2012 को नरेन्द्र मोदी के नाम पत्र लिखकर आत्महत्या कर ली थी. उस समय नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. 

देखिये एक मोदी समर्थक इस किसान की मौत को कैसे विश्लेषित करता है…

Ajit Singh : मैं हमेशा से ये लिखता कहता आया हूँ कि ये जो किसान के नाम पे फ़र्ज़ी आत्महत्या दिखाई जा रही है और ये जो फ़र्ज़ी किसान दिखाए जा रहे हैं ये फर्जीवाड़ा बंद होना चाहिए। आज तक जितनी भी किसान आत्म ह्त्या हुई हैं उनकी वृहद् जांच होनी चाहिए। उससे पता चलेगा कि कितनी ही natural deaths को किसान द्वारा आत्म ह्त्या बता दिया जाता है। न जाने कितने लोग depression के मरीज हो के और बाकी अन्य निजी कारणों से आत्मह्त्या करते हैं। उन्हें किसान द्वारा आत्महत्या नहीं माना जा सकता। मैं हमेशा कहता हूँ की प्रत्येक किसान आत्महत्या को कायदे से study कर एक श्वेत पत्र लाया जाए जिस से समस्या की जड़ तक पहुंचा जा सके।

गजेन्द्र चुनाव लड़ चुका था, सैकड़ों वीआईपियों को साफा बांध चुका था, आत्महत्या की कोई वजह नहीं थी…

दिनेशराय द्विवेदी : मेरे ही प्रान्त राजस्थान के एक किसान ने आज दिल्ली में अपनी जान दे दी, तब आआपा की रैली चल रही थी। उस के पास मिले पर्चे से जिसे हर कोई सुसाइड नोट कह रहा है वह सुसाइड नोट नहीं लगता। उस में वह अपनी व्यथा कहता है, लेकिन उस नें घर वापसी का रास्ता पूछ रहा है। जो घर वापस लौटना चाहता है वह सुसाइड क्यों करेगा? जिस तरह के चित्र मीडिया में आए हैं उस से तो लगता है कि वह सिर्फ ध्यानाकर्षण का प्रयत्न कर रहा था। उस ने हाथों से पैर से भी कोशिश की कि वह बच जाए। पर शायद दांव उल्टा पड़ गया था। वह अपनीा कोशिश में कामयाब नहीं हो सका। हो सकता है उसे उम्मीद रही हो कि इतनी भीड़ में उसे बचा लिया जाएगा। पर उस की यह उम्मीद पूरी नहीं हो सकी।

‘आप’ की प्री-प्लांड स्क्रिप्ट थी गजेंद्र का पेड़ पर चढ़ना और फंदे से लटकना!

Abhai Srivastava : गजेंद्र की चिट्ठी की आख़िरी लाइन, ‘कोई मुझे बताओ, मैं घर कैसे जाऊंगा?’ जाहिर है कि ये सुसाइड नोट नहीं। मीडिया क्लिप में साफ सुनाई पड़ रहा है कि जब कुमार विश्वास भाषण दे रहा था तब आवाज़ आई, ‘लटक गया’, फिर विश्वास हाथ के इशारे जैसे कह रहा है कि ‘लटक गया है, स्क्रिप्ट के अनुसार नाटक पूरा हुआ’.  भाइयों AAP ने एक व्यक्ति की हत्या की है। ये भी ध्यान देने की बात है कि गजेंद्र के घर में 2 भतीजियों की आज शादी है, इसका मतलब उसके घर में ऐसा आर्थिक संकट नहीं जैसा प्रोजेक्ट हुआ है। भाई, ये बहुत बड़ी साज़िश है।

आशुतोष जैसा एक मीडियॉकर पत्रकार और बौनी संवेदना का आदमी ही इतनी विद्रूप बातें बोल सकता है!

Vishwa Deepak : गजेन्द्र नामक ‘किसान’ की आत्महत्या के बारे में आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता आशुतोष कहते हैं- ”यह अरविंद केजरीवाल की गलती है. उन्हें मंच से उतर जाना चाहिए था.उन्होंने गलती की. अगली बार मैं केजरीवाल को कहूंगा कि वो मंच से उतर पेड़ पर चढ़ें और लोगों को बचाएं.”

Live खुदकुशी फिल्माते मीडियाकर्मी, स्टेज पर खड़ा अहंकारी मुख्यमंत्री, पुलिस से गुहार लगाते शातिर नेता, अविचल मुस्काते पुलिसवाले…

Nadim S. Akhter : फिल्म ‘पीपली लाइव’ Anusha Rizvi ने बनाई थी और आज देश की राजधानी दिल्ली में ‘पीपली लाइव’ साकार हो कर जी उठा. सब कुछ वैसा ही. वही खुदकुशी की सनसनी, गर्म तवे पर रोटी सेंकने को आतुर मीडिया-नेता-प्रशासन की हड़बड़ी और दर्शकों-तमाशाइयों का वैसा ही मेला, वही हुजूम. सब कुछ जैसे एक लिखी स्क्रिप्ट की तरह आंखों के सामने होता रहा. एक पल को तो समझ ही नहीं आया कि मनगढंत फिल्म पीपली लाइव देख रहा हूं या फिर हकीकत में ऐसा कुछ हमारे देश की राजधानी दिल्ली के दिल यानी जंतर-मंतर पर हो रहा है !!!

किसान की खुदकुशी पर पाणिनी आनंद की कविता…

Panini Anand : यह नीरो की राजधानी है. एक नहीं, कई नीरो. सबके सब साक्षी हैं, देख रहे हैं, सबके घरों में पुलाव पक रहा है. सत्ता की महक में मौत कहाँ दिखती है. पर मरता हर कोई है. नीरो भी मरा था, ये भूलना नहीं चाहिए.

किसान की खुदकुशी और बाजारू मीडिया : कब तक जनता को भ्रमित करते रहोगे टीआरपीखोर चोट्टों….

(भड़ास के संपादक यशवंत सिंह)


उदात्त दिल दिमाग से सोचिए. इस एक किसान की खुदकुशी का मामला हो या हजारों किसानों के जान देने का… सिलसिला पुराना है… महाकरप्ट कांग्रेस से लेकर महापूंजीवादी भाजपा तक के हाथ खून से रंगे हैं…. अहंकारी केजरीवाल से लेकर बकबकिया कम्युनिस्ट तक इस खेल में शामिल हैं. कारपोरेट-करप्ट मीडिया से लेकर एलीट ब्यूरोक्रेशी और विकारों से ग्रस्त जुडिशिरी तक इस सिस्टमेटिक जनविरोधी किसानविरोधी खेल में खुले या छिपे तौर पर शामिल है… ताजा मामला दिल्ली में संसद के नजदीक जंतर मंतर पर केजरीवाल के सामने हुआ इसलिए सारी बंदूकें केजरीवाल की तरफ तनवा दी गई हैं क्योंकि इससे देश भर में किसानों को मरने देते रहने के लिए फौरी तौर पर जिम्मेदार महापूंजीवादी भाजपा, महाकारपोरेट परस्त मोदी और लुटेरी भाजपा-कांग्रेस समेत अन्य जातिवादी करप्ट क्षेत्रीय राज्य सरकारों के मुखियाओं के बच निकलने का सेफ पैसेज क्रिएट हो जाता है और भावुक जनता मीडिया के क्रिएट तमाशे में उलझ कर ‘आप’ ज्यादा दोषी या दिल्ली पुलिस ज्यादा दोषी के चक्कर में फंस कर रह जाती है.

डाक्टर पति के ‘गे’ होने, 5 साल तक फिजिकल रिलेशन न बनने और टार्चर से परेशान एम्स की महिला डाक्टर ने जान दी

दिल्ली के एम्स अस्पताल के एनस्थीसिया विभाग में कार्यरत सीनियर रेजीडेंट 31 वर्षीय महिला डॉक्टर प्रिया वेदी ने हाथ की नस काटकर आत्महत्या कर ली. प्रियका का शव दिल्ली पुलिस ने रविवार की सुबह पहाडगंज के होटल प्रेसीडेंसी से बरामद किया. प्रिया का शव बेड पर पड़ा हुआ था और हाथ की नस कटी हुई थी. पुलिस को शव के पास ही एक सुसाइड नोट मिला.

मेरी इस सुंदर-सी फेसबुक दोस्त ने कल आधी रात के बाद सुसाइड कर लिया और मैं अनजान रहा…

Yashwant Singh : मेरी इस सुंदर-सी फेसबुक दोस्त ने कल आधी रात के बाद सुसाइड कर लिया और मैं अनजान रहा… अपने फेसबुक फ्रेंड और प्रतिभाशाली युवा लिक्खाड़ नितिन ठाकुर की पोस्ट पढ़कर ठिठक गया. दुबारा-तिबारा पढ़ा. अंशु सचदेवा ने खुदकुशी कर ली. उन्होंने यह जानकारी देते हुए अंशु का फरवरी महीने का एक स्टेटस शेयर किया जिसमें अंशु सचदेवा ने लिखा है: ”वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन, उसे एक खूबसूरत मोड़ दे के छोड़ना अच्छा”. यह सब पढ़ के सोचा कि देखूं, कहीं अंशु सचदेवा मेरी फ्रेंड लिस्ट में तो नहीं. देखा तो ऐसा ही निकला. अंशु सचदेवा मेरी फेसबुक फ्रेंड हैं. 16 अप्रैल तक उन्होंने अपना स्टेटस अपडेट किया हुआ है. उनकी वॉल और उनकी पोस्ट्स और उनकी तस्वीरें देखकर कोई अंदाजा नहीं लगा सकता कि यह खूबसूरत संगीतमय लड़की अचानक सुसाइड कर लेगी.

सहारा में अब उठने लगे विरोध के स्वर, कई यूनिटों में भगदड़ के हालात

सहारा में सैलरी न मिलने का असर दिखने लगा है। वाराणसी और देहरादून समेत कई यूनिटों में कर्मचारियों में भगदड़ मचने की सूचनाएं हैं। वाराणसी में थोक में लोग लंबे अवकाश पर जाने लगे हैं। तेज प्रताप सिंह, विवेक सिंह, त्रिपुरेश राय, दीपक राय, बाबू राम, राहुल सिंह, राकेश यादव, अशोक चौबे, सुद्दोधन आदि बिना बताये अवकाश पर चले गए हैं। देहरादून से निधि सिंह, सुधीर सिंह, ममता सिंह, सरिता नेगी, शक्ति सिंह लंबे समय से अवकाश पर हैं। वाराणसी में स्टाफ की कमी से संस्करण मर्ज किये जा रहे हैं।

सहारा की जो आज स्थिति है उसमें प्रदीप मंडल का आत्महत्या करना शुरुआत भर है…

Pradeep Srivastav : सहारा इंडिया के कर्मचारियों, वर्करों, अधिकारियों की स्थिति को लेकर मेरे जैसे ढेर सारे लोग चिंतित हैं। चार माह से वेतन न मिलने कारण आर्थिक तंगी में जीवन काट रहे लखनऊ में सहारा इंडिया के वरिष्ठ अधिकारी प्रदीप मंडल द्वारा आज आत्महत्या करने से मन बहुत दुखी है। सहारा में प्रदीप मंडल जैसे ढेर सारे अधिकारी ऐसे हैं जिन्हें चार-पांच माह से वेतन नहीं मिला है।

यूपी में किसान आत्महत्याओं का दौर और हरामी के पिल्लों द्वारा महान लोकतंत्र का जयगान

Yashwant Singh : कौन इनकी मौत को मुद्दा बनाएगा। ये ना पूंजीपति हैं। ये ना टीआरपी हैं। ये ना शहरी हैं। ये ना संगठित हैं। हम सब अपने अपने खेल में उलझे हैं और हम सबकी निहित स्वार्थी खेलकूद से उपजे अभावों की जेल में ये आम किसान कैद हैं। इस कैद की नियति है मौत। शायद तभी इनकी मुक्ति है। सिलसिला जारी है।  मनमोहन रहा हो या मोदी, माया रही हो या मुलायम। सबने पूंजी के खिलाडियों को सर माथे बिठाया। किसानों को सबने मरने के लिए छोड़ दिया। ये मरते थे। मर रहे हैं। मरेंगे। कभी बुंदेलखंड में। कभी विदर्भ में। जहाँ कहीं ये पाये जाते हैं वहीँ मौत का फंदा तैयार पड़ा है। कब कौन कहाँ लटक रहा है, हम सब नपुंसक की भाति चुपचाप इसका इंतज़ार कर रहे हैं। महान लोकतंत्र और अदभुत राष्ट्र की जयगान करने वाले हरामी के पिल्लों पर थूकता हूँ।

जाने-माने भोजपुरी गायक पवन सिंह की पत्नी ने खुदकुशी कर ली

Vinayak Vijeta : जाने-माने भोजपुरी गायक पवन सिंह की पत्नी ने मुंबई स्थित अपने आवास पर खुदकुशी कर ली है। हालांकि अभी तक इस बात का खुलासा नहीं हो पाया है कि आखिर उन्होंने ऐसा क्यों किया। पवन सिंह का विवाह पिछले दिसम्बर माह में बिहार के भोजपुर जिला मुख्यालय आरा में उनके बड़े भाई की साली से काफी धूमधाम से हुआ था। इस विवाह में कई राजनीतिक फिल्म इंडस्ट्री की जानी मानी हस्तियां सम्मिलित हुई थीं।

पन्ना के कलेक्टर पर केंद्रीय विद्यालय प्राचार्या ने यौन शोषण का आरोप लगा आत्महत्या की कोशिश की

(कलक्टर और प्राचार्या की फाइल फोटो. पीड़िता की पहचान छुपाने के लिए उनके चेहरे को फोटोशॉप के जरिए ब्लर कर दिया गया है.)

पन्ना : केंद्रीय विद्यालय के प्राचार्या ने पन्ना जिले के प्रशासनिक मुखिया कलेक्टर आर.के. मिश्र पर दो बार जबरदस्ती शारीरिक सम्बन्ध बनाने का गंभीर आरोप लगाया है. इससे पन्ना के साथ-साथ पूरे प्रदेश के प्रशासनिक हलके में सनसनी फ़ैल गई है. शनिवार की सुबह लगभग 9 बजे केंद्रीय विद्यालय की प्राचार्या ने मानसिक प्रताड़ना के चलते फिनायल पी कर आत्महत्या करने की कोशिश की. विद्यालय के स्टाफ ने गंभीर हालत में प्राचार्या को जिला चिकित्सालय में भरती कराया है जहां उनका इलाज चल रहा है.

काम के दबाव के कारण दबंग दुनिया अखबार के खंडवा मार्केटिंग इंचार्ज शैलेंद्र ने आत्महत्या की

दबंग दुनिया अखबार के मार्केटिंग विभाग में कार्यरत शैलेंद्र शर्मा के बारे में एक दुखद सूचना आ रही है कि उन्होंने दो दिन पहले खंडवा के एक होटल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. चर्चा है कि उन्होंने यह कदम काम के अत्यधिक दबाव के कारण उठाया. आरोप है कि दबंग दुनिया के सीईओ द्वारा उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था. वे खंडवा में दबंग दुनिया के मार्केटिंग एवं सर्क्यूलेशन इंचार्ज थे.

किसान मर रहे हैं, मोदी सपने दिखाते जा रहे हैं, मीडिया के पास सत्ता की दलाली से फुर्सत नहीं

Deepak Singh :  प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री बनने के बाद कौन सुध लेता हैं किसानों की? महाराष्ट्र में और केंद्र में दोनों जगह भाजपा की सरकार पर हालत जस के तस। यह हाल तब हैं जब नरेंद्र मोदी को किसानों का मसीहा बता कर प्रचार किया गया। आखिर क्यों नई सरकार जो दावा कर रही हैं की दुनिया में देश का डंका बज रहा हैं पर उस डंके की गूंज गाँव में बैठे और कर्ज के तले दबे गरीब और हताश किसान तक नहीं पहुँच पाई? क्यों यह किसान आत्महत्या करने से पहले अपनी राज्य सरकार और केंद्र सरकार पर भरोसा नहीं कर पाया की सरकार आगे आएगी और कुछ मदद करेगी?

सिरसा के युवा, प्रतिभाशाली और हंसमुख पत्रकार धीरज बजाज ने क्यों की आत्महत्या?

हरियाणा के सिरसा जिले के युवा पत्रकार धीरज बजाज का आत्महत्या कर लेना पत्रकारों में चर्चा का विषय है. सभी यही आपस में बात कर रहे हैं कि आखिर सुसाइड के पीछे कारण क्या रहा. कहते हैं कि धीरज बजाज ने मानसिक परेशानियों से तंग आकर आत्महत्या कर लिया. धीरज के ऐसा कदम उठाने से उनके परिवार और उन्हें चाहने वाले स्तब्ध हैं. धीरज इन दिनों ‘सच कहूं’ समाचार पत्र के ब्यूरो चीफ थे. साथ ही स्थानीय समाचार-पत्र ‘थर्ड वे’ के संपादक भी थे धीरज बजाज.

धीरज बजाज

सेलरी न मिलने से पाकिस्तानी पत्रकार के आत्महत्या करने पर दुख जताया

The Delhi Union of Journalists (DUJ) is concerned over the reported suicide of a Pakistani journalist a few days back owing to financial problems following non-payment of his salary for four months by the Royal TV management. The DUJ also expresses support and solidarity with the Pakistan Federal Union of Journalists (PFUJ) which held countrywide protests today.

डीआईजी गोरखपुर डा. संजीव गुप्ता और एसपी पीलीभीत सोनिया सिंह को जेल भेजा जाए : सुबोध यादव

: मृतक सिपाहियो के परिजनों को 50-50 लाख का मुआवजा मिले : इटावा। उत्तर प्रदेश पुलिस एसोषियेषन के अध्यक्ष सुबोध यादव ने आत्महत्या करने वाले दो पुलिस कर्मियों के परिजनों को 50-50 लाख रूपये मुआवजा व डीआईजी गोरखपुर डा0 संजीव गुप्ता व एसएसपी पीलीभीत सोनिया सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने की मांग की है। उन्होंने इस सम्बन्ध मे मुख्यमंत्री को पत्र भी भेजा है।

डीआईजी गोरखपुर के लखनऊ स्थित घर पर कांस्टेबल सुसाइड मामले का सच क्या है…

हमने डीआईजी गोरखपुर के लखनऊ स्थित गोमतीनगर आवास पर कांस्टेबल अरुण कुमार की आत्महत्या के सम्बन्ध में अरुण कुमार के मामा बलराम चौधरी से बात की. उन्होंने हमें बताया कि वे पिछले करीब डेढ़ माह से लखनऊ में डीआईजी गोरखपुर के मकान पर रह रहे थे जिनसे वे अपने तीन मोबाइल नंबर 098076-89970, 091258-66210, तथा 073983-47607 से लगभग रोज बात करते थे. आरआई, गोरखपुर देवी दयाल ने बताया कि वे डीआईजी गोरखपुर कार्यालय से सम्बद्ध थे और दिनांक 23 नवम्बर को डाक लेकर लखनऊ गए थे. वहीँ इस बारे में डीआईजी रेंज कार्यालय ने बताया कि अक्टूबर 2014 में उनकी उस कार्यालय से सम्बद्धता समाप्त हो गयी थी.

चिटफंड घोटाले में फंसे पत्रकार कुणाल घोष की फोटो लेते वक्त मीडिया कर्मियों पर लाठी चार्ज

शारदा चिटफंड घोटाले में फंसे सांसद कुणाल घोष की फोटो ले रहे मीडिया पर कोलकाता पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया। पुलिस ने मीडिया कर्मियों पर उस समय पर लाठी चार्ज कर दिया जब वह कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल के बाहर मीडियाकर्मियों पर लाठी चार्ज किया। दरअसल, पुलिस की ओऱ से अस्पताल में भर्ती कुणाल घोष की फोटो लेने से मना कर रही थी। सांसद कुणाल घोष ने गुरुवार को जेल में आत्महत्या का प्रयास किया था। सांसद घोष सारधा चिटफंड घोटाले के आरोपी हैं और आत्महत्या के समय वह जेल में थे।

दो परम चिटफंडियों सुब्रत राय और कुणाल घोष के दिन और मुश्किल हुए

: कुणाल घोष ने आत्महत्या की कोशिश की तो सुब्रत रॉय के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज हुआ : कोलकाता से खबर है कि तृणमूल कांग्रेस के निलंबित सांसद एवं सारदा घोटाला मामले में आरोपी कुणाल घोष ने शुक्रवार को प्रेसीडेन्सी सुधार गृह (जेल) में नींद की गोलियां खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की. घटना के बाद जेल अधीक्षक, डॉक्टर और ड्यूटी पर मौजूद एक कर्मचारी को निलंबित कर दिया गया और पूरे प्रकरण की जांच के लिए गृह सचिव बासुदेव बनर्जी के नेतृत्व में समिति गठित की गयी है. साथ ही घोष के खिलाफ आत्महत्या की कोशिश करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है. पश्चिम बंगाल के सुधारगृह सेवा मंत्री एच ए सफवी ने कहा कि घोष ने दावा किया था कि उन्होंने नींद की गोलियों खा ली है. उन्हें सरकारी एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उन्हें पिछले साल गिरफ्तार किया गया था और उसके बाद से वह जेल में हैं.

दिवाली की पूर्व संध्या पर विदर्भ के छह किसानों ने आत्महत्या की.. कहां है नेशनल मीडिया.. किधर हैं राष्ट्रीय नेता…

विदर्भ (महाराष्ट्र) में किसानों की आत्महत्याओं का दौर जारी है. कांग्रेस की सरकार से विदर्भ के लोग नाराज थे क्योंकि वह किसानों के राहत के लिए कुछ नहीं कर रही थी और ऋण जाल में फंसकर किसान लगातार आत्महत्याएं करते जा रहे थे. लोगों ने बड़ी उम्मीद से बीजेपी और नरेंद्र मोदी को वोट दिया था. लेकिन किसानों की समस्या जस की तस है. भाजपा और नरेंद्र मोदी को अभी बड़े-बड़े मुद्दों और बड़ी-बड़ी बातों से फुरसत नहीं है कि वे किसानों की तरफ झांकें. काटन और सोयाबनी की खेती-किसानी से जुड़े छह किसानों ने दिवाली की पूर्व संध्या पर खुदकुशी की है. कार्पोरेट मीडिया को नमो नमो करने से फुरसत नहीं है कि वह आम जन और आम किसान की खबरें दिखाए. किसी इलाके में खेती के संकट के कारण छह किसानों की आत्महत्या बड़ी खबर है और देश को हिलाने वाली है. लेकिन कोई मीडिया हाउस इन किसानों के घरों तक नहीं पहुंचा और न ही इनकी दिक्कतों पर खबरें दिखाईं. जिन घरों के मुखियाओं ने दिवाली से ठीक पहले आत्महत्या कर ली हो, उन घरों में दिवाली कैसी रही होगी, इसकी बस कल्पना की जा सकती है. विदर्भ खबर नामक एक ब्लाग पर विदर्भ जन आंदोलन समिति के अध्यक्ष किशोर तिवारी ने किसान आत्महत्याओं के बारे में विस्तार से लिखा है. इसे पढ़िए और सोचिए कि नेता जो बोलता है, मीडिया जो दिखाता है, क्या उतना ही देश है, क्या उतनी ही खबरें हैं, या बातें-खबरें और भी हैं जिन्हें लगातार दबाया, छुपाया, टरकाया जा रहा है.

-यशवंत, एडिटर, भड़ास4मीडिया

बंगलूरू के टीवी पत्रकार ने फांसी लगा कर जान दी

बंगलूरू। एक चैनल के पत्रकार संजय, 29 वर्ष, ने शुक्रवार की रात घर में पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली। वे चैनल में कापी एडिटर थे।

हम दोनों बेहद अकेले हैं, जीने का कोई मकसद नज़र नहीं आता, ऐसे में हम पति-पत्नी अपनी मर्जी से जान दे रहे हैं!

( File Photo Sanjay Sinha )

Sanjay Sinha : आप घर से निकलिए। लोगों से मिलिए। लोगों से बातें कीजिए। यहां फेसबुक पर आइए। अपने दिल की बात कहिए। जो दिल में आए वो कीिजए। यूं ही किसी को गले लगा लीजिए। किसी के घर यूं ही पहुंच जाइए कि आज आपकी चाय पीनी है। किसी को घर बुला लाइए कि चलो आज चाय पीते हैं, साथ बैठ कर। किसी से मुहब्बत कर बैठिए। किसी को मुहब्बत के लिए उकसाइए। कुछ भी कीजिए। लेकिन खुद को यूं तन्हा मत छोड़िए। खुद को यूं गुमसुम मत रखिए। खुद में ऊब मत पैदा होने दीजिए। कुछ न सूझे तो किसी अनजान नंबर पर फोन करके यूं ही बातें करने लगिए, लेकिन करिए जरूर।

खालिक भाई, आप यूं खुदकुशी करने वाले तो नहीं थे

Vivek Bajpai : अभी-अभी इटावा से एक हमारे मित्र ने एक दुखद समाचार सुनाया है, उसने बताया है कि इटावा से एबीपी न्यूज संवाददाता मो. खालिक ने पारिवारिक कलह से तंग आकर आत्महत्या कर ली हैं, अगर ये सच है (मेरा दिल अभी भी मनाने को तैयार नहीं हैं) तो खालिक की मौत से इटावा ने एक निर्भीक पत्रकार खो दिया हैं. मुझे पता है कि खालिक भाई आप जहां गए है वहां से कभी कोई नहीं वापस आता है, हमेशा दूसरों से सख्त सवाल पूछने वाले मो. खालिक आज मैं तुमसे आखिरी सवाल पूछ रहा हूं, क्यों किया ऐसा जघन्य अपराध. क्योंकि तुम ऐसे तो नहीं थे.  Mohd Khaliq BHAI REST IN PEACE.

इटावा में एबीपी न्यूज के संवाददाता ने ट्रेन से कटकर दी जान

इटावा से खबर है कि एबीपी न्यूज के संवाददाता मोहम्मद खालिक ने रविवार को नीलांचल एक्सप्रेस के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली. तलाशी लिए जाने पर उनकी जेब से एक सुसाइड नोट भी मिला है जिसको लेकर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है. बताया जाता है कि मोहम्मद खालिक करियर और परिवार को लेकर तनाव में चल रहे थे. 44 वर्षीय मोहम्मद खालिक इटावा के मोहल्ला साबितगंज कोतवाली सदर निवासी थे. वे एबीपी न्यूज के संवाददाता थे. वे रविवार को इटावा रेलवे स्टेशन पर अपराह्न करीब साढ़े तीन बजे पहुंचे. वहां कई लोगों से बातचीत करने के बाद वह प्लेटफार्म एक से पश्चिमी की ओर चले गए.