गर्दन काटने का जवाब जब वो मिसाइल से गर्दन उड़ाकर देंगे तब क्या कीजिएगा?

-विश्व दीपक- फ्रांस ने दुनिया को स्वतंत्रता (Freedom), समानता (Equality) और बंधुत्व ( Brotherhood) दिया. फ्रांसिसी क्रांति से निकले विचारों की रोशनी में लोकतंत्र का जन्म हुआ. रूस समेत कई देशों में क्रांतियों का आगाज़ हुआ.

इस्लाम के नाम पर गंध मची हुई है!

-श्याम मीरा सिंह- पेरिस में मोहम्मद पैगम्बर का कार्टून दिखाने के कारण एक टीचर की गला काटकर हत्या कर दी गई है। इतिहास और भूगोल के टीचर ने अपनी क्लास में मोहम्मद पैगम्बर का कार्टून अपनी क्लास में दिखाया था। जिससे वहां के इस्लामिस्ट नाराज थे। मौके पर ही पहुंची पुलिस ने जब हत्यारे को …

हम कश्मीर क्यों दें कश्मीरियों को?

बुद्धिजीवी होने का मतलब शुतुरमुर्ग होना नहीं है। हमेशा अपनी थ्योरी से ही चीजों का विश्लेषण मत कीजिये। क्या होता और क्या होना चाहिये से ज्यादा महत्वपूर्ण है..क्या हो रहा है। सैकड़ो वर्षों से वास्तव में क्या हो रहा है, पूरे विश्व मे क्या हो रहा है? उसको आंखों से देखा जा सकता है। उसके …

आतंकवाद से न अमेरिका लड़ पाया और न मोदी लड़ पाएंगे….

Tabish Siddiqui : ये आपको लगता है कि सर्जिकल स्ट्राइक से आतंकवादी डर जायेंगे.. ये आपको लगता है कि जम के गोला बारूद चल जाए तो वो सब डर जायेंगे.. और जैसी आपकी समझ है वैसी ही आपके राष्ट्रवादी नेताओं की है.. तभी आप इन्हें चुनते हैं और आप सोचते हैं कि ये आतंकवाद से …

हमको-आपको इस्लामिक देशों की ताक़त का शायद अंदाज़ा नहीं है!

Tabish Siddiqui : आप जो देखने को आतुर होते हैं बस आपको वही दिखता है… लिट्टे/LTTE की मिसाल मत दीजिये.. ये मुट्ठी भर लोग थे जिन्हें आराम से एक सरकार दबा सकती थी.. खालिस्तानी मूवमेंट वाले भी मुट्ठी भर थे और जिस धर्म से वो आते थे उस धर्म की यानि सिख धर्म की कुल …

आखिर औरतों के मामले में ही मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की नींद क्यों टूटती है?

बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे…. पाकिस्तान की एक लेखिका हैं तहमीना दुर्रानी…. पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के पूर्व गवर्नर गुलाम मुस्तफा खर से शादी और तलाक के बाद 1991 में उन्होंने एक उपन्यास लिखा था माय फ्यूडल लॉर्ड… यानी मेरे आका… यह उनकी आत्मकथा थी… इससे पाकिस्तान की सियासत में भूचाल आ गया था… …

इस बचकानेपन से कब बाहर निकलेंगे वाइज़…

वाइज़, निकाह करने दे ‘बैंकवालों’ से चाह कर… या वो रक़म बता जिसमें ‘सूद’ शामिल न हो..

डॉ राकेश पाठक
चार दिन पहले दारुल-उलूम, देवबंद से फ़त्वा जारी हुआ है कि मुसलमान बैंक में बैंक में नौकरी करने वालों के यहां कोई नाते रिश्तेदारी, ब्याह,शादी करने से परहेज़ करें। फ़त्वे में कहां गया है कि बैंक ब्याज़ या सूद का कारोबार करते हैं इसलिए उसकी कमाई हराम है। इससे चलने वाले घर का व्यक्ति अच्छा नहीं हो सकता। इस फ़त्वा को मुसलमानों ने किस तरह लिया इस पर बात करने से पहले यह जान लेना मुनासिब होगा कि आखिर फ़त्वा है क्या बला..? इसकी शरिया में क्या हैसियत है और मुसलमान इसे कितनी तवज्जो देते हैं?
दरअसल फ़तवा उसे कहते हैं जो क़ुरान या हदीस के मुताबिक़ निर्देश या आदेश ज़ारी किया जाए।

मुसलमानों के इस छोटे वाले आसाराम बापू से मिलिए!

Shamshad Elahee Shams : इस बकरमुंह से मिलिए. नाम है इसका हाजी सादिक. उम्र ८१ साल. ये मुसलमानों का छोटा वाला आसाराम बापू है.

इंग्लैण्ड में कार्डिफ मस्जिद का इमाम भी रहा है और कुरआन पढ़ाने का पेशा भी करता था. १३ साल से कम उम्र की ४ बच्चियों के यौन शोषण के मामले में इसे १३ बरस की जेल हुई है. पश्चिम में अक्सर इसाई मुल्लेह, बाल यौन शोषण की ख़बरों में सुर्खियाँ बनाते हैं. ऐसा इसलिए है कि पश्चिमी समाज में वह सामाजिक दिक्कते नहीं कि पीड़ित अपने दुःख को छिपा जाए.

हिंदू राजाओं पर विजय के प्रतीक के रूप में निर्मित है कुतुब मीनार! (देखें वीडियो)

कुतुब मीनार भारत में दक्षिण दिल्ली शहर के महरौली में स्थित है. यह ईंट से बनी विश्व की सबसे ऊंची मीनार है. इसकी ऊँचाई 72.5 मीटर (237.86 फीट) और व्यास 14.3 मीटर है जो ऊपर जाकर शिखर पर 2.75 मीटर (9.02 फीट) हो जाता है. इसमें 379 सीढियां हैं. कहा जाता है कि दिल्‍ली के अंतिम हिन्‍दू शासक की हार के तत्‍काल बाद 1193 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने कुतुब मीनार को बनवाया. कुतुब मीनार पुरातन दिल्ली शहर, ढिल्लिका के प्राचीन किले लालकोट के अवशेषों पर बनी है. ढिल्लिका अन्तिम हिन्दू राजाओं तोमर और चौहान की राजधानी थी.

दलाल और धार्मिक माफियाओं का संगठित गिरोह है ‘मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’!

इसको बर्खास्त कर आयोग का हो गठन… तलाकशुदा महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों एवम उनको मुख्य धारा में लाने के अधिकारों की आवाज़ बुलंद कर रहे हुदैबिया कमेटी के नेशनल कन्वेनर डॉ. एस.ई.हुदा ने एक बयान जारी कर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर जाम कर निशाना साधा। डॉ. हुदा ने कहा कि मुस्लिम तलाकशुदा महिलाओं की बदहाली और नरकीय ज़िंदगी का पूरी तरह से ज़िम्मेदार मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड है।

क्या अब किसी भी डेमोक्रेटिक-सेक्युलर समाज में इस्लाम को accomodate करने की जगह नहीं है?

Rajeev Mishra : किसी भी डेमोक्रेटिक सेक्युलर समाज में इस्लाम को accomodate करने की जगह नहीं है… क्यों? जानने के लिए इतिहास का यह सबक फिर से पढ़ें. मूर्तिभंजक इस्लामिक समाज का एक बहुत बड़ा विरोधाभास है – ईरान में तेरहवीं शताब्दी के एक यहूदी विद्वान् राशिद-उद-दिन की एक विशालकाय मूर्ति. राशिद-उद-दिन ने मंगोल सभ्यता का इतिहास लिखा, और उनका अपना जीवन काल समकालीन इतिहास की एक कहानी बताता है जो भारत के लिए एक बहुत जरुरी सबक है.

मुस्लिम बहुल क्षेत्र में 30 वर्ष रहने के बाद स्वीडन की पूर्व सांसद नलिन पेकगुल इलाका क्यों छोड़ गईं?

अमेरिकी साम्राज्यवाद और इस्लामी फासीवाद- दोनों जनता के दुश्मन हैं…. नलिन पेकगुल स्टाकहोम (स्वीडन) के सबअर्ब हस्बी टेंस्टा वाले मुस्लिम बहुल इलाके में 30 साल रहने के बाद किसी दूसरे शहर में चली गयी हैं. नलिन पेकगुल कुर्दिश मूल की सोशल डेमोक्रेट नेता हैं और सांसद भी रही हैं वर्ष 1994 से 2002 तक. उनके इलाके में प्रवासी मुसलमानों ने सामाजिक स्पेस को लगभग नियंत्रण में ले लिया है. ऐसे में वह खुद को महफूज़ नहीं समझतीं. पेकगुल स्त्री विमर्श में स्वीडन का जाना पहचाना नाम है.

(नलिन पेकगुल)

यूपी की चुनावी तैयारियों का हिस्सा न बन जायें isis के हरामखोर!

ये तो नही पता कि isis के लोगों का धर्म क्या है… किसी को तो छोड़ दो isis के हरामखोरों…

हाँलाकि उनके संगठन के नाम में ‘इस्लाम’ नाम का शब्द जुड़ा है, जैसा कि मथुरा के कंस रामवृक्ष ने नेता जी सुभाषचंद्र बोस जी की आजाद हिन्द फौज के नाम से दहशतगर्दो का कुनबा तैयार करने की गुस्ताखी की थी। पर हाँ इस बात में कोई दो राय नही है कि इन्सानियत के दुश्मन इन वहशी दरिन्दों ने अब तक सबसे ज्यादा नुकसान मुसलमानों को ही पहुँचाया है। आकड़े बताते है कि इन हरामखोरों (Isis) ने  ईसाइयों, यहूदियो, कुर्दों, यजीदियों इत्यादि से ज्यादा जान-माल का नुकसान मुसलमानों को ही पहुँचाया है। यही नहीं, मुसलमानो के धार्मिक स्थल (मुख्य तीर्थ स्थल भी) तोड़ना isis का मुख्य लक्ष्य है।

रसूल को मुहम्मद लिखने पर लखनऊ नदवा के एक मौलाना ने मुझे जान से मारने की धमकी दी थी :

Tabish Siddiqui : अमजद साबरी, पाकिस्तान के क़व्वाल, जिनकी कल गोली मार कर ह्त्या कर दी गयी थी, उन पर पहले से एक ईशनिंदा का केस चल रहा था.. ईशनिंदा इस वजह से उन पर लगाई गयी थी क्यूँ कि उन्होंने पाकिस्तान के Geo टीवी पर सुबह के वक़्त आने वाले एक प्रोग्राम में क़व्वाली गायी.. और उस क़व्वाली में पैग़म्बर मुहम्मद के चचेरे भाई अली और बेटी फ़ातिमा की शादी का ज़िक्र था.. ज़िक्र कुछ ज़्यादा डिटेल में था जो कि मौलानाओं को पसंद नहीं आया.. और Geo टीवी समेत अमजद साबरी पर ईशनिंदा का मुक़दमा कर दिया गया.. और फिर एक आशिक़-ए-रसूल ने अदालत से पहले अपना फैसला दे दिया क्यूंकि उनके हिसाब से ईशनिंदा की सज़ा सिर्फ मौत थी जो पाकिस्तान की अदालत शायद ही देती एक क़व्वाली के लिए किसी को…

खाड़ी देशों की मजबूरी थी औरतों को ढंकना, गलती से बिना ढंकी स्त्री दिख जाती तो वो कामोत्तेजक हो जाते

Tabish Siddiqui : पहले हमारे यहाँ ब्लैक एंड वाइट टीवी होता था “बेलटेक” कंपनी का जिसमे लकड़ी का शटर लगा होता था जिसे टीवी देखने के बाद बंद कर दिया जाता था.. चार फ़ीट के लकड़ी के बक्से में होता था वो छोटा टीवी.. शटर बंद करने के बाद उसके ऊपर से एक पर्दा और डाला जाता था क्रोशिया से बुना हुवा.. लोगों के यहाँ फ्रिज टीवी और हर उस क़ीमती चीज़ पर पर्दा डाल के रखा जाता था जो उन्हें लगता था कि धूल और गर्मी से खराब हो जाएगा.. बाद में जब बिना शटर के टीवी आया तो वो मुझे बहुत अजीब सा नंगा नंगा दिखता था.. क्यूंकि मुझे उसी शटर में बंद टीवी की आदात थी.. फ्रीज़ से कपड़ा हट जाता तो वो भी नंगा दिखने लगता था…

पैगम्बर के घर पर बुलडोजर क्यों चला?

अभी हाल में सऊदी अरब का दौरा करके लौटे हैं। सुना है उन्होंने अरब के बादशाह सलमान बिन अब्दुल अजीज को एक गजब का तोहफा दिया। वह केरल में दुनिया में अरब के बाहर बनी दुनिया की पहली मस्जिद की प्रतिकृति थी। इस मस्जिद को केरल के एक हिंदू राजा ने मुहम्मद साहेब के जीवनकाल में ही 629 ईसवी में बनवाया था। 14वीं सदी में मशहूर यात्री इब्नाबतूता वहां गया था और उसने लिखा कि मुसलमान वहां कितने सम्मानित हैं।

देश के मुसलमानों को दलितों से सीखना चाहिए राजनीति का सबक

इमामुद्दीन अलीग

इतिहास के अनुसार देश के दलित वर्ग ने सांप्रदायिक शोषक शक्तियों के अत्याचार और दमन को लगभग 5000 वर्षों झेला है और इस इतिहासिक शोषण और भीषण हिंसा को झेलने के बाद अनपढ़, गरीब और दबे कुचले दलितों को यह बात समझ में आ गई कि अत्याचार, शोषण,सांप्रदायिक पूर्वाग्रह और भेदभाव से छुटकारा पाने का एकमात्र तरीका यही है कि राजनीतिक रूप से सशक्त बना जाए। देश की स्वतन्त्रता के बाद जब भारत में लोकतांत्रिक शासन की स्थापना की गई तो दलितों ने इसे  अपने लिए एक बहुत बड़ी नेमत समझा। इस शुभ अवसर का लाभ उठाते  हुए पूरे के पूरे दलित वर्ग ने सांप्रदायिक ताकतों के डर अपने दिल व दिमाग से उतारकर और परिणाम बेपरवाह होकर अपने नेतृत्व का साथ दिया, जिसका नतीजा यह निकला कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में जनसंख्या के आधार 18-20% यानी अल्पसंख्यक में होने के बावजूद भी उन्होंने कई बार सरकार बनाई और एक समय तो ऐसा भी आया कि जब दलितों के चिर प्रतिद्वंद्वी मानी जाने वाली पार्टी भाजपा को भी दलित नेतृत्व के सामने गठबंधन के लिए सिर झुकाना पड़ा।

मुस्लिम लड़के से प्यार में धोखा खाई तो मरने के पहले पूरे कौम को कमीना बता गई (पढ़ें पत्र)

Sanjay Tiwari : वह दलित होकर भी वेमुला नहीं थी। न ही अखलाक हो पायी थी। आनंदी होती तो टीवी रोता। सोशल मीडिया भी निंदा ही करता लेकिन उसका दुर्भाग्य यह था कि वह न रोहित थी, न टीवी की आनंदी, इसलिए बिहार के एक जिले में सिंगल कॉलम की खबर बनकर रह गयी। लेकिन पूनम भारती की मौत का एक संदेश है। उसी तरह का संदेश जैसे रोहित वेमुला की मौत में एक संदेश था। पूनम भारती एक ऐसे झूठे फरेब का शिकार हुई जिससे वह प्यार के आवेग में बच नहीं पायी।

तुर्की के धर्मगुरु का बयान- अगर हस्‍तमैथुन किया तो मरने के बाद हाथ प्रेगनेंट हो जाएगा!

मुकाहिद सिहाद हान


इस्लाम के धर्म गुरु लोग जाने कैसे कैसे फतवे बयान देते रहते हैं. ताजा हास्यास्पद बयान तुर्की के एक धर्मप्रचारक ने दिया है. ये महोदय इस्‍लाम को बढ़ावा देने हेतु टीवी पर काफी सक्रिय रहते हैं. हस्तमैथुन पर इनके ताजे फतवे ने सोशल मीडिया में विवाद खड़ा कर दिया है. इनका कहना है कि जो लोग हस्‍तमैथुन करते हैं, मरने के बाद उनका हाथ गर्भवती हो जाता है और अपने अधिकारों की मांग करता है. इस मूर्खतापूर्ण बयान के बाद ट्वीटर पर लोग खूब मजे ले रहे हैं. एक शख्स ने ट्वीट कर पूछा है कि क्‍या मृत्‍यु के बाद कोई हैंड-गायनोकोलॉजिस्‍ट होता है? क्‍या वहां पर गर्भपात की इजाजत होती है? वहीं, एक दूसरे यूजर ने पूछा कि क्‍या आप मानते हैं कि प्रैगनेंट होना अल्‍लाह की दी गई सजा है?

इनके बेशर्म फतवे से पूरा मुस्लिम समाज खुद को शर्मसार महसूस करता है

Asrar Khan : मतदान से एक दिन पहले मुसलमानों से किसी पार्टी विशेष को वोट देने की अपील करना जामा मस्जिद के इमाम अहमद बुखारी साहब के मजहबी धंधे का हिस्सा है… इनके बेशर्म फतवे से पूरा मुस्लिम समाज खुद को शर्मसार महसूस करता है लेकिन इनका यह पुश्तैनी धंधा बदस्तूर जारी है ….मेरा ख्याल है कि भारतीय जनता पार्टी ने अपनी हार के भय से मतदान में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कराने के मकसद से इमाम साहब के आगे कुछ टुकड़े फेंक दिये होंगे और इमाम साहब ने मुसलमानों से आम आदमी पार्टी के पक्ष में मतदान करने की अपील कर दिया ….? मित्रों जैसा की आप सभी को मालूम है कि दिल्ली के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी अपने वैचारिक दिवालियापन और मोदी के U-Turn की वजह से हारने जा रही है और आम आदमी पार्टी अरविंद केजरीवाल और आप की विश्वसनीयता की वजह से जीत की ऐतिहासिक चौखट पर खड़ी है, ऐसे में अहमद बुखारी जैसे बिकाऊ व्यक्तियों की बातों को तरजीह न देते हुए अपने क्रांतिकारी विचारों से प्रेरित होकर आम आदमी की इस लड़ाई को कामयाब बनाने के लिए मिलजुल कर भाईचारे के साथ जमकर मतदान करें और अपने सच्चे भारतवासी होने का परिचय देते हुए धर्म और जाति की राजनीति के किसी भी प्रयास को विफल कर दें ……!

आज़म खान का शिया मुसलमानों के खिलाफ जिहाद, शिया धर्मस्थल गिरवाया!

उत्तर प्रदेश के वक्फ मंत्री आज़म खान ने इन दिनों शिया वर्ग के खिलाफ जिहाद छेड़ दिया है। जब से आज़म खान ने यूपी की सत्ता में भागीदार हुए हैं, उन्होंने शिया वर्ग का जीना दुशवार कर दिया है। कल उन्होंने बर्बरता की सारी हदें पार करते हुए रामपुर में हुसैनी सराय नाम के एक शिया धर्म स्थल को ध्वस्त करा दिया।  इस धर्म स्थल को गिराए जाने का मक़सद तो यह था कि रामपुर के शिया नवाबों के परिवार से अपनी राजनीतिक खुन्नस निकाली जाए लेकिन साथ ही साथ समस्त शियों को भी बताना था कि तुम्हारी कोई हैसियत नहीं है।

It is hard to be loved by Idiots… मूर्खों से प्यार पाना मुश्किल है…

Arun Maheshwari : ग्यारह जनवरी को दस श्रेष्ठ कार्टूनिस्टों के हत्याकांड के बाद आज सारी दुनिया में चर्चा का विषय बन चुकी फ्रांसीसी व्यंग्य पत्रिका ‘शार्ली एब्दो’ पर सन् 2007 एक मुकदमा चला था। तब इस पत्रिका में डैनिस अखबार ‘जिलैट पोस्तन’ में छपे इस्लामी उग्रपंथियों पर व्यंग्य करने वाले कार्टूनों को पुनर्प्रकाशित किया गया था। इसपर पूरे पश्चिम एशिया में भारी बवाल मचा था। फ्रांस के कई मुस्लिम संगठनों ने, जिनमें पेरिस की जामा मस्जिद भी शामिल थी, शार्ली एब्दो पर यह कह कर मुकदमा किया कि इसमें इस्लाम का सरेआम अपमान किया गया है। लेकिन, न्यायाधीशों ने इस मुकदमे को खारिज करते हुए साफ राय दी कि इसमें मुसलमानों के खिलाफ नहीं, इस्लामी उग्रपंथियों के खिलाफ व्यंग्य किया गया है।

नमाज शुरू होने से पहले रस्मी दुआ “मुसलमानों की काफिरों की कौम पर जीत हो” का मतलब क्या है?

Chandan Srivastava : तारेक फतह का एक लेख पढ़ा जिसमें वे लिखते हैं कि… 

”वे टोरंटो (कैनाडा) जहाँ वे रहते हैं, जुम्मे के नमाज को मस्जिद में जाना पसंद नहीं करते. उसमें से एक कारण ये है कि नमाज शुरू हो उसके पहले जो भी रस्मी दुआएं अता की जाती है उसमें एक दुआ “मुसलमानों की काफिरों की कौम पर जीत हो” इस अर्थ की भी होती है. बतौर तारेक फतह, यह दुआ सिर्फ टोरंटो ही नहीं लेकिन दुनियाभर में की जाती है. अब आप को पता ही है काफ़िर में तो सभी गौर मुस्लिम आते हैं – यहूदी, इसाई, हिन्दू, बौद्ध, सिख और निरीश्वरवादी भी. यह दुआ अपरिहार्य नहीं है. इसके बिना भी जुम्मे की नमाज की पवित्रता में कोई कमी नहीं होगी.”

शार्ली अब्‍दो की महिला पत्रकार से आतंकियों ने कहा था- इस्लाम धर्म अपना कर कुरान पढ़ोगी, इस शर्त पर जिंदा छोड़ रहे हैं

पेरिस। फ्रेंच पत्रिका शार्ली अब्दो में आतंकियों का निशाना बनने से बचे पत्रकारों ने आंखों देखा हाल सुनाया। दिल दहला देने वाली इस वारदात को शुरू-शुरू में सभी ने कहीं आतिशबाजी होना समझा था। लेकिन थोड़ी ही देर में पत्रकारों का नाम पूछकर उन्हें मारा जाने लगा। इनमें से जीवित बची एक महिला पत्रकार का कहना है कि उसे इसलिए जिंदा छोड़ा गया कि वह महिला है। महिला रिपोर्टर सिंगोलेन विनसन ने बताया कि आतंकियों ने उसे ये कह कर छोड़ दिया कि वह महिला है। लेकिन उसे बुर्का पहनने को कहा। साथ ही उसे हिदायत दी कि वह उसे इस शर्त पर जिंदा छोड़ रहे हैं कि वह इस्लाम धर्म को अपना ले और कुरान पढ़े।

पैगंबर मोहम्मह और अबु बकर बगदादी का कार्टून छापने वाली मैग्जीन के आफिस पर आतंकी हमला

पेरिस में ‘शार्ली एब्दो’ नामक एक व्यंग्य मैग्जीन के आफिस पर आतंकियों ने हमला कर दिया. कुल ग्यारह लोगों के मरने की खबर है. मरने वालों में दो पुलिसवाले भी शामिल हैं. मैग्जीन के कार्यालय पर एके-47 धारी नकाबपोश लोगों के एक समूह ने हमला किया. ‘शार्ली एब्दो’ नामक व्यंग्यात्मक मैगजीन में साल 2012 में पैगंबर मोहम्मद का कार्टून छपा था. हाल ही में मैग्जीन ने आतंकी संगठन आईएस के चीफ अबु बकर अल-बगदादी का भी कार्टून छापा था.