नदीम एस अख़्तर-
राज्य सभा चुनाव में किस टीवी न्यूज़ चैनल के मालिक जीते और कौन हार गए? पता तो चल ही गया होगा।
इसलिए मैं हमेशा कहता हूँ कि टीवी न्यूज़ मीडिया के एंकर्स को दोष मत दीजिए। ये देखिए कि चैनल का मालिक कौन है? दुकान में कौन सा माल बिकेगा, ये सेठ जी तय करेंगे, नौकर नहीं। और बनिया दुकान खोलकर व्यापार करने बैठता है, समाज सेवा नहीं।
बस पत्रकारों को भ्रम रहता है कि वो चौथे स्तम्भ में सीमेंट-सरिया लगा रहे हैं। इसी मृगमरीचिका के शिकार होकर वो सोशल मीडिया पे अपने संस्थान का आई कार्ड फ्लैश करते रहते हैं।
मीडिया ना निजी हाथ में स्वतंत्र है और ना सरकारी संरक्षण में। इसकी असल आज़ादी के लिए हमें मीडिया का एक नया मॉडल बनाना पड़ेगा। क्राउड फंडिंग या फिर जनता के अनुदान से चल रहे आजकल के कुछ ‘ वैकल्पिक’ नवीन मीडिया संस्थान भी एक-दो व्यक्तियों की जागीर ही हैं। वहां नए तरह के सेठ/सेठानी बैठे हुए हैं।
मीडिया का स्वतंत्र नया मॉडल क्या हो, इस पे सिर्फ पत्रकारों को नहीं, समाज को भी चिंता करनी होगी।