बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के बचाव में अब सुप्रीम कोर्ट के जजों को निशाना बनाने की शुरुआत हो गई है।
रामदेव को गैरकानूनी धमकियां देने का आरोप सुप्रीम कोर्ट के दो जजों पर लगाते हुए राष्ट्रपति और चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया को एक याचिका भेजा गया है।
ये शिकायत एक एडवोकेट ने भारत के राष्ट्रपति और भारत के मुख्य न्यायाधीश के पास दायर की गई है। इंडियन लॉयर्स एंड ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट एसोसिएशन की ओर से नीलेश सी ओझा ने ये शिकायत की है। कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ द्वारा दिए गए निर्देशों की अवमानना करने के मामले में न्यायाधीश अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और पीके मिश्रा ने रामदेव को अवैध तरीक़े से धमकी दी है।
वकील का कहना है कि संविधान पीठ द्वारा बनाए गए कानून के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के जजों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे कानून के दायरे से बाहर जाकर कोई आदेश पारित नहीं कर सकते और सरकारी संस्थाओं के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण नहीं कर सकते।
शिकायतकर्ता ने आरोपी जजों के खिलाफ आईपीसी की धारा 166, 219, 409, 120(बी), 34 के तहत कानूनी कार्रवाई कर उन्हें तुरंत बर्खास्त करने का अनुरोध किया है।
आरोप लगाया गया है कि न्यायाधीशों द्वारा फार्मा माफिया को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए पद का दुरुपयोग किया गया है।
शिकायतकर्ता संगठन ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के खिलाफ आईपीसी की धारा 175, 302, 304, 409, 120 (बी) आदि के तहत आपराधिक मामला दर्ज करने और घातक टीकों को बढ़ावा देकर जनता को मौत के मुंह में धकेलने के लिए उनका पंजीकरण रद्द करने की भी मांग की।