उत्तर प्रदेश के जनपद रामपुर में जिला जज की अदालत ने 49 सालों से अदालत में चल रहे नवाब खानदान के बंटवारे पर फैसला सुना दिया। 26 सौ करोड़ की चल व अचल संपत्ति के बंटवारे का फैसला देश की सर्वोच्च अदालत के दिशा निर्देशन में कुल 18 पक्षकारों के बीच शरीयत के मुताबिक किया गया है। इसमें पांच बड़ी चल संपत्तियों के अलावा कई अचल संपतिया भी शामिल हैं।
रामपुर ब्रिटिश शासन काल के दौरान रियासत हुआ करता था। सन 1774 ईस्वी में इसे नवाब फैज उल्ला खान ने बरेली जनपद के आंवला से आकर बसाया था। तब से देश के आजादी के समय भारत गणराज्य में रियासत के विलय होने तक कुल 10 नवाबों ने यहां पर स्वतंत्र रूप से अपनी हुकूमत की थी। आजादी के बाद अंतिम नवाब रजा खान के समय में उनके बड़े बेटे नवाब मुराद अली खान को इस रियासत का युवराज घोषित किया गया था लेकिन आजादी के बाद यह पहली रियासत थी जो भारत गणराज्य में विलय हो गई और इसका अस्तित्व आधिकारिक रूप से समाप्त हो गया। संपत्ति बंटवारे को लेकर नवाब खानदान के कुल 18 वारिसान अपना अपना अधिकार जताते हुए कोर्ट की शरण में पहुंच गए। 49 सालों से लगातार चली आ रही लंबी लड़ाई का अब अंत हो चुका है।
आजादी के बाद नवाब रजा अली खान ने अपने रियासत रामपुर को भारत गणराज्य में विलय कर दिया था जिसके बाद समझौते के तहत उनके हिस्से में यहां की कई बड़ी संपत्तियां आई थीं जिनमें कोठी खास बाग, कोठी लखीबाग, कोठी बेनजीर, नवाब रेलवे स्टेशन व नवाबों वाला कुंडा के अलावा अचल संपत्ति जिनमें हथियारों का जखीरा पुरानी पेंटिंग जीवन शैली में इस्तेमाल होने वाले बर्तन आदि हैं। 26 सौ करोड़ रुपए की कीमत की इस संपत्ति का आकलन जिला जज की अदालत ने इस प्रकार किया है। कोठी खास बाग की कुल कीमत 1435 करोड़। लखीबाग कोठी की कीमत 721 करोड़। कोठी बेनजीर, नवाब रेलवे स्टेशन एवं नवाबों वाला कुंडा जिसकी कीमत 432 करोड़ के साथ ही अचल संपत्ति में 1 हजार हथियारों के जखीरे के अलावा पेंटिंग आदि की कुल कीमत 64 करोड़ होने का आकलन किया गया है।
रामपुर रियासत के अंतिम नवाब रजा अली खान के तीन बेटे नवाब मुर्तजा अली खान, नवाब जुल्फिकार अली खान, नवाब आबिद रजा खान के अलावा उनकी कई बेटियां भी थीं जिनके वारिसान मौजूद हैं। वहीं उनकी एक बेटी मेहरून्निसा पाकिस्तान के पूर्व एयर मार्शल अब्दुल रहीम खान की पत्नी हैं जिसको लेकर सरकार द्वारा उनके हिस्से को शत्रु संपत्ति घोषित किए जाने की अपील की गई है ताकि उनके हिस्से को सरकार अपने अधिकार क्षेत्र में शामिल कर सके।