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सुख-दुख

संपादक का स्त्री मोह!

Alok Kumar-

इन दिनों एक बड़े अखबार के छत्तीसगढ़ राज्य के एक संस्करण में पदस्थ संपादक के स्त्री मोह ने उनकी रातों की नींद और दिन का चैन उड़ा रखा है। इस संपादक ने अखबार में सीनियर सब एडिटर के रूप में नौकरी ज्वाइन की थी और पिछले 10 सालों में अपने साथियों का गला काटकर संपादक की कुर्सी हासिल की। लेकिन नाड़े का ढीला यह संपादक हर साल अपने किसी न किसी कारनामे की वजह से शहर में चर्चा का विषय बनता रहता है।

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सीनियर सब एडिटर पद पर रहते उसने एक लड़की को झांसे में लेकर उसके मां बाप का पैसा हथियाने के लिए लव मैरिज कर ली। लेकिन 6 महीने के अंदर ही उस लड़की को इस संपादक का असल चेहरा समझ में आ गया और दोनों एक दूसरे से अलग रहने लगे।

इसके बाद संपादक ने नई गर्लफ्रेंड बनाना शुरू कर दिया। उसकी मुलाकात रिटायर्ड पुलिसकर्मी की बेटी और मेडिकल छात्रा से हुई और उसको अपने झांसे में लिया। उसके साथ लिव इन रिलेशन में रहने लगा। उसके लिए स्कूटी तक खरीदी। लेकिन संपादक जी का मन एक लड़की से थोड़ी ना भरने वाला था। इसके चलते दूसरी लड़कियों पर डोरे डालना शुरू कर दिया। इस काम के लिए उसने संपादक की कुर्सी का खूब इस्तेमाल किया।

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इस बीच लिवइन में रहने वाली इस लड़की को संपादक की रंगरेलियो के बारे में जानकारी हुई तो उसने योजना के साथ एक होटल में संपादक जी को रंग रंगरेलियां मनाते रंगे हाथ पकड़ लिया। दोनों के बीच जमकर विवाद हुआ। आहत लड़की ने आत्महत्या करने की भी कोशिश की। लेकिन संस्थान में मौजूद उसके राजदार चाटुकारों ने बचा लिया।

संपादक के घर पर चले इस ड्रामे को उस दौरान शहर के कई पत्रकार और पड़ोसियों ने भी देखा और खूब मजे लिए। उस दौरान चर्चा यह भी उठी कि संपादक ने पैसे का प्रलोभन देकर उस लड़की को मनाया था और उसे चेक साइन करके भी दिया था। इसके अलावा उसके लिए मकान तक गिफ्ट किया। हालांकि यह मकान उसने एक टाउनशिप के आवास पर कब्जा करके उसे गिफ्ट दिया था क्योंकि मामला संपादक जी से जुड़ा हुआ था इसलिए संबंधित विभाग के अधिकारी भी कब्जे की कार्रवाई पर शांत बैठे रहे।

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इसके करीब डेढ़ दो साल तक सब शांत रहा, क्योंकि कोरोना काल शुरू हो गया था। कोरोना का प्रभाव कम होते ही संपादक जी की रासलीलाओं का दौर दुबारा से शुरू हो गया। इस बीच उसने एक और नई गर्लफ्रेंड को पटाया और उसके साथ आउटिंग शुरू कर दी।

रही बात अखबार की तो उसने ऐसे 3 चाटुकारों को चुना जो अपनी दुकानदारी के साथ-साथ अखबार चलाना भी जानते हों। इसकी वजह से संपादक जी का अधिकतर समय दफ्तर की जगह महिला मित्रों के साथ आउटिंग में ही गुजरने लगा। अभी भी गुजर रहा है।

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संपादक जी के सलाहकारों ने अखबार के लिए कम, अपने लिए ज्यादा उपलब्धियां हासिल की। एक ने अपने भाई के लिए स्पा सेंटर खुलवा दिया और पुलिस दखल को अखबार के माध्यम से दबा दिया। दूसरा अपने ठेकेदार भाई की विभागीय अड़चनों को अखबार के माध्यम से दूर करता रहा।

तीसरे चाटुकार ने शहर में अपना एक पोर्टल खड़ा किया और उसके लिए विज्ञापनों की लाइन लगा दी। इसी का नतीजा रहा कि पिछले दिनों उसके इस करीबी के कारनामे ऊपर तक पहुंचने तो संपादक को मजबूरन उससे इस्तीफा लेना पड़ा।

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संपादक जी का एक ताजा घटनाक्रम हाल ही के दिनों में सामने आया है। संपादक अपनी एक नई नवेली गर्लफ्रेंड को लेकर अपने गांव घुमाने गया। वहां चार-पांच दिन उसके साथ रहा। संपादक जी की यह हरकत उसके परिजनों को रास नहीं आई। इसकी वजह से उसकी सगी बहन ने लिवइन में रह रही प्रेमिका को उसकी अय्याशियों के बारे में बता दिया। संपादक जी के सामने युवती ने बखेड़ा खड़ा कर दिया। संपादक के खिलाफ धारा 376 के तहत f.i.r. करने की धमकी दे डाली। इससे संपादक जी के होश फाख्ता हो गए और डैमेज कंट्रोल के लिए 8 दिन तक दफ्तर से गायब हो गए।

संपादक जी के करीबियों की माने तो उस महिला ने सुबह 4:00 बजे जाकर संपादक जी से झगड़ा किया और कार का शीशा तक तोड़ दिया। अब संपादक को अपने ऊपर एफआईआर का डर सताने लगा है। इस बीच कार के शीशे का क्लेम पाने के लिए संपादक ने अपने क्राइम रिपोर्टर को थाने में झूठी f.i.r. लिखने की भी कहानी सुनाई। सुबह करीब 4:00 बजे अपने रिपोर्टर को फोन कर संपादक जी ने बताया कुछ असामाजिक तत्वों ने उनकी कार का शीशा फोड़ दिया है। हालांकि बाद में नाम उजागर होने के डर से बैकफुट पर आ गए।

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इसी तरह का एक और बड़ा विवाद पहले भी हो चुका है जब वह सीनियर सब एडिटर की पोस्ट पर था। उस दौरान दिन में शराब पीकर शहर के एक प्रतिष्ठित मॉल में जमकर हंगामा और मारपीट की। लेकिन अखबार में बैठे अपने आकाओं की वजह से उस मामले को हैंडल कर लिया। इसकी वजह से पिछले 10 साल में शहर में खूब लड़कियों से लेकर धन दौलत कमाई करने में लगे हैं। इतना ही नहीं, अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके इस संपादक ने लिव-इन में रहने वाली गर्लफ्रेंड के लिए क्वार्टर कब्जा कर लिया है और निगम के पार्षदों व ठेकेदारों पर दबाव बनाकर उसमें टाइल्स मार्बल से लगवाए हैं।

नर्सिंग कर चुकी गर्लफ्रेंड को एनएचएम में भर्ती कराने के लिए कलेक्टर से लेकर सीएमएचओ तक पर दबाव बनवाया। उनके नहीं मानने पर भर्ती प्रक्रिया में कमी खोज कर खबर तक लिखवा डाली। संपादक के कारनामों का अंत यही नहीं होता है। उसने अपनी जरूरतों की पूर्ति करने के लिए टीम में ऐसे ऐसे लोगों को जगह दे रखी है जो उसके लिए शराब से लेकर घर की भाजी तक लाते हैं। इसी वजह से करीब 3 साल पहले उसके एक चाटुकार कर्मचारी के कहने पर अखबारमें ऐसे कर्मचारी को भर्ती करा दिया गया, जिसके ऊपर दर्ज संगीन अपराधों की गाथा पूरा शहर जानता था और यहां तक कि उसे ख़बर तक लिखना नहीं आता था।

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ऐसे व्यक्ति को पहले अखबार में पहले नौकरी दी फिर क्राइम बीट पकड़ा दी। उस क्राइम रिपोर्टर ने साहब के चाटुकार और अपने सीनियर को हिस्सा देना शुरू कर दिया और खुद भी खूब चांदी काटी। इस दौरान जो भी पुलिसकर्मी उसे वसूली नहीं देता था तो उसको अखबार के माध्यम से सबक सिखाया जाता था। इसके चलते एक एएसआई स्तर के पुलिसकर्मी ने अखबार में गलत खबर लिखने पर संपादक, चाटुकार सीनियर और क्राइम रिपोर्टर तीनों के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज करा दिया।

अखबार में ब्लंडर होने के बाद भी ना संपादक के चेहरे पर और ना ही उस चाटुकार के चेहरे पर कोई शिकन आई। इसके उलट उस एएसआई को मैनेज करने के लिए आईजी स्तर के अधिकारी का भी इस्तेमाल किया गया, लेकिन आत्म सम्मान को ठेस पहुंचने की वजह से उस एएसआई ने अभी तक केस वापस नहीं लिया है। इस बीच उस क्राइम रिपोर्टर की उगाहियों के चर्चे दफ्तर पहुंचने लगे तो मजबूरन उससे इस्तीफा लिखवाया गया। पिछले दिनों उस क्राइम रिपोर्टर के दफ्तर में पहुंचने पर उसकी वापसी की चर्चा दोबारा शुरू हो गई।

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