Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

जानिए, भड़ास के एडिटर यशवंत क्यों करते हैं रावण को नमन!

Yashwant Singh : रावण की आज पुण्यतिथि है. इस मौके पर मैं रावण को सादर नमन करता हूं. रावण को मैं असली योद्धा मानता हूं. आपने झुकने या टूटने की जगह अंतिम दम तक लड़ाई लड़ना पसंद किया और लड़ते हुए प्राण त्यागने को अपना गौरव समझा. कायरों की इस दुनिया में जिनकी थोड़ी-थोड़ी, छोटी-छोटी बातों से फट जाती है, उन्हें रावण से सबक लेना चाहिए कि हर हालत में, चाहें भले ही हार सुनिश्चित हो, मौत तय हो, आपको अपने साहस के साथ डटे रहना चाहिए…

<p>Yashwant Singh : रावण की आज पुण्यतिथि है. इस मौके पर मैं रावण को सादर नमन करता हूं. रावण को मैं असली योद्धा मानता हूं. आपने झुकने या टूटने की जगह अंतिम दम तक लड़ाई लड़ना पसंद किया और लड़ते हुए प्राण त्यागने को अपना गौरव समझा. कायरों की इस दुनिया में जिनकी थोड़ी-थोड़ी, छोटी-छोटी बातों से फट जाती है, उन्हें रावण से सबक लेना चाहिए कि हर हालत में, चाहें भले ही हार सुनिश्चित हो, मौत तय हो, आपको अपने साहस के साथ डटे रहना चाहिए...</p>

Yashwant Singh : रावण की आज पुण्यतिथि है. इस मौके पर मैं रावण को सादर नमन करता हूं. रावण को मैं असली योद्धा मानता हूं. आपने झुकने या टूटने की जगह अंतिम दम तक लड़ाई लड़ना पसंद किया और लड़ते हुए प्राण त्यागने को अपना गौरव समझा. कायरों की इस दुनिया में जिनकी थोड़ी-थोड़ी, छोटी-छोटी बातों से फट जाती है, उन्हें रावण से सबक लेना चाहिए कि हर हालत में, चाहें भले ही हार सुनिश्चित हो, मौत तय हो, आपको अपने साहस के साथ डटे रहना चाहिए…

रावण ने अपने परिजन शूर्पणखा के अपमान का बदला लेने के लिए आखिरी दम तक लड़ाई लड़ी… रावण को हराने के लिए दुश्मन पार्टी ने रावण के खानदान में फूट डलवाने की रणनीति अपनाई और एक भाई को गद्दार बनने को प्रेरित किया, जिसमें सफलता भी पाई… इन्हीं कारणों से रावण की हार हुई… दुश्मन पार्टी के लेखकों-कवियों ने रावण को महान खलनायक बनाने की पूरी कोशिश की और इसमें सफलता पाई… जबकि वे अपने पक्ष की बुराइयों पर रोशनी डालते कम देखे गए.

Advertisement. Scroll to continue reading.

रावण ने अपनी बहिन की नाक काटे जाने पर दूसरी पार्टी की औरत का अपहरण कर डाला जिसे दुश्मन पार्टी छलपूर्वक उठाया गया कदम बताया लेकिन दुश्मन पार्टी ने जब छलपूर्वक रावण के एक भाई का ब्रेनवाश कर उसे अपनी पार्टी में मिला लिया तो इसे सत्यकर्म साबित करने में जुट गए… कुल मिलाकर राम, रावण, रामायण पर नए सिरे से सोचने विचारने की जरूरत है और रावण को फूंकने की जगह उनसे बहुत कुछ सीख लेना वक्त का तकाजा है…

इसीलिए मैं खुद के बारे में बस इतना कहता हूं….

Advertisement. Scroll to continue reading.

थोड़ा रावण, थोड़ा राम।
दोनों को भरपूर प्रणाम।।

भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह की एफबी वॉल से.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

0 Comments

  1. shanker

    November 16, 2016 at 8:42 am

    Jai Shree Ram
    :):)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement