वाराणसी। कहते है भगवान का प्रताप और उनका गुणगान भक्तो पर ही निर्भर है। आध्यात्मिक कथाएं असुरों के विनाश और भक्तो के कल्याण पर ही प्रचलित है। जब कभी मर्यादा पुरुषोत्तम राम की बात चलती है या फिर विषधारी के भक्तों की बात आती है तो लंकेश यानि रावण का नाम बर्बस ही याद आता है। कहा जाता है कि रावण इतना ज्ञानी था कि उसे खुद के जीवन-मौत के बारे में भी जानकारी थी। उसके समक्ष किसी विद्वान की हिम्मत न होती थी कि वह तर्क करे।