Vinod Kapri : रविप्रकाश के बहाने…. रवि आज पूरे 20 दिन बाद जेल से बाहर आ गया। TV9 के मालिकों के तमाम षड्यंत्रों और मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव की लाख कोशिशों के बाद भी। एक फ़र्ज़ी मुक़दमे में ज़मानत मिलती थी और रवि जेल से बाहर आने को ही होता था कि नया फ़र्ज़ी मुक़दमा करके रवि को फिर गिरफ़्तार कर लिया जाता। तीन हफ़्ते से यही चल रहा था।
आख़िरकार तेलंगाना हाईकोर्ट की जज श्रीदेवी ने जब बहुत सख़्ती से सारे मुक़दमों पर रोक लगा दी और तेलंगाना पुलिस से जब पूछा कि और भी कोई मुक़दमा बाक़ी हो तो बताइए, तब जा कर पुलिस, सरकार और TV9 के मालिकों PV Krishna Reddy और रामेश्वर राव के दिमाग़ ठिकाने आए।
रविप्रकाश के जेल जाने और जेल से बाहर आने के साथ ही कई दृश्य मेरे ज़ेहन में तैर रहे हैं और इसीलिए मुझे आज लगा कि कुछ लिखना चाहिए और बताना चाहिए कि इस दुनिया और मीडिया का सच क्या है ? बाप रे !! इतना घिनौना और वीभत्स सच जो आप सोच भी नहीं सकते।
मुझे याद है कि हैदराबाद में TV9 के एक कैमरामैन का एक्सीडेंट हो गया था। किसी ने रवि को बताया। रवि ने कहा कि official formalities में वक़्त लगेगा, तब तक मेरे account से 2 लाख दे दो। मुझे याद है कि मुंबई में एक टीवी प्रोड्यूसर के पिता ICU में थे। रवि ने मुझ से पूछा कि कितना खर्च आएगा? मैंने बताया पाँच लाख। कुछ देर बाद मुझे पता चला कि उसके अकाउंट में पाँच लाख रूपए आ चुके हैं। मुझे याद है कि कैसे एकदम निर्वासन में जी रहे और टीवी से बहिष्कृत एक पत्रकार के बारे में रवि को पता चला तो रवि ने कहा कि कुछ करना चाहिए और कुछ वक्त बाद वो सज्जन टीवी 9 का हिस्सा बने। ऐसे एक दो नहीं, हज़ारों उदाहरण हैं।
मुझे याद है कि पिछले साल जब TV9 का मालिकाना हक़ बदल रहा था तो रवि ने मुझ से हैदराबाद में कहा कि यार नेटवर्क ने बहुत अच्छा किया है और मैं सभी लोगों के लिए कुछ करना चाहता हूँ। बाद में मुझे पता चला कि रवि TV9 के तक़रीबन सभी लोगों ख़ासतौर पर पुराने लोगों को एक लाख से तीस तीस लाख तक का बोनस देना चाहता है।
हैरानी तब और बढ़ गयी जब पता चला कि वो तीन चार एकदम नए लोगों को भी ये भारी भरकम बोनस देना चाहता है, जिसमें मैं भी शामिल था और निर्वासन झेल रहे सज्जन भी। मैंने बहुत विरोध किया। अपना ही नहीं, सभी का। मेरा तर्क बस इतना था कि नया चैनल शुरू कर रहे हैं। पैसा Surplus है तो बचा लो। अभी जरूरत पड़ेगी। एक बार चैनल गति पकड़ ले तो जो सोचा है कर लेना। लेकिन रवि नहीं माना। वो बोला कि मुझे नहीं पता था कि तू दिमाग़ से भी सोचता है।
और फिर मुझे याद है पिछले साल TV9 के सैकड़ों घरों में क्या ख़ूब दिवाली मनी। एक दो नहीं, दर्जनों भी नहीं, सैकड़ों परिवार और सैकड़ों मौक़े ऐसे रहे जब अपने 16 साल के टीवी 9 के सफ़र में रवि ने सब कुछ out of the way जा कर किया। ये बात ग़ौर करने वाली है कि टीवी 9 के नए मालिकों ने बाद में इसी बोनस मामले में रवि पर फ़र्ज़ी मुक़दमा करके उसे जेल में डाला। जबकि रवि जितना ही करोड़ों का बोनस पाया हुआ एक डायरेक्टर अभी भी टीवी 9 का हिस्सा बना हुआ है।
एक बेहद साधारण परिवार का रवि असाधारण सफलता और पैसा हासिल करने के बाद भी साधारण ही बना रहा। मुझे याद है कि हिंदी टीवी और अख़बारों में संपादकों को पैर छुआने का रोग है। रवि इससे कोसों दूर रहा। मुझे याद है कि रवि को खुश करने के लिए लोग क्या क्या नहीं जतन करते रहे पर रवि इससे भी कोसों दूर रहा। वो बस एक ही बात कहता था कि हिंदी वाले इतना ख़ुश करने में क्यों लगे रहते हैं? तुम यार इन सब बातों से अलग हो कर बस एक ऐसे चैनल की कल्पना करो, जो भारत में कभी ना हुआ हो। और हमने वो कल्पना की और उसे ज़मीनी तौर पर साकार भी किया। लेकिन चैनल के लॉंच होते ही सब बदल गया। रवि चला गया और उसके बाद की कहानी सब जानते हैं।
कोई बात नहीं।
रवि का अपने पार्टनर से झगड़ा हुआ। कोई सामने नहीं आया। कोई बात नहीं।
रवि को उसके उस चैनल से हटाया गया जहां जिसे उसने पैदा किया था। कोई बात नहीं।
रवि पर झूठे मुक़दमे दायर किए गए। कोई सामने नहीं आया। कोई बात नहीं।
लेकिन फिर राज्य की मशीनरी का सहारा लेकर रवि को गिरफ़्तार किया गया। तब भी कोई सामने नहीं आया। ये बात कम से कम मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता।
ये कोई बात नहीं, नहीं है।
रवि को फ़र्ज़ी मुक़दमे में ज़मानत मिली। वो जेल से बाहर आने ही वाला था। उस पर एक और फ़र्ज़ी मुक़दमा करके फिर जेल में डाल दिया गया।
ये कोई बात नहीं, नहीं है।
यहाँ ये बताना ज़रूरी है कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव की पार्टी TRS को सारी फ़ंडिंग टीवी 9 के यही नए मालिक करते आए हैं।
मुझे साफ़ दिख रहा था कि कैसे पूरे राज्य की मशीनरी टीवी 9 के मालिकों के इशारे पर रवि को प्रताड़ित कर रही है। मैंने टीवी 9 समूह के पुराने नए पत्रकारों को व्यक्तिगत तौर पर मैसेज भेजे .. उन लोगों को मैसेज भेजे जो मोटा मोटा बोनस लेकर अपनी दिवाली रंगीन कर चुके थे , सबसे कहा कि कुछ करो .. कम से कम अपने मैनेजमेंट से बात करो कि ये सब बदले की कार्रवाई ना करें। रवि के दो छोटे बच्चे हैं। सात और पाँच साल के बच्चे। मुझे लगा कि एक दो लोग भी थोड़ा रीढ़ दिखाएँगे तो मालिकों को सदबुद्वि आएगी। यहाँ तक लिखा कि बोनस के लाखों रूपए तो आप लोगों को भी मिले थे। कम से कम बोनस पर ही बोल दो।
पर मजाल है कि एक भी व्यक्ति ने पलट कर जवाब दिया हो। एक भी नहीं , मतलब एक भी नहीं। ये सारे के सारे वही लोग थे जिनकी रवि ने उनके मुश्किल वक्त में मदद की। उन्हें मौक़ा दिया। आगे बढ़ाया और जब पैसा आया तो उनके हक़ का खूब पैसा भी दिया । रवि जेल से बाहर होता तो कभी इनसे मदद नहीं माँगता।लेकिन दिल्ली में अकेला बैठा मैं क्या करता ? मैंने सबसे मदद माँगी। ताने उलाहने सब दिए कि तुम लोग सो कैसे सकते हो ? तुम्हें नींद कैसे आती है ? तुम ये दिवाली रवि के बिना कैसे मना सकते हो ?
लेकिन ….
कोई जवाब नहीं आया। कोई जवाब नहीं।
यही है इस मीडिया और यहाँ काम करने वालो का सच। रवि के इस एपिसोड के बाद मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि पत्रकारों से आत्ममुग्ध, अहंकारी, लालची, निकृष्ट, स्वार्थी, वीभत्स, कायर, लिजलिजी, घिनौनी, एहसानफरामोश, डरी हुई क़ौम इस पूरी दुनिया में नहीं है। एक दो फ़ीसदी अपवाद हैं जो आज भी इंसान बने हुए हैं। जो आज भी दूसरे के दर्द को महसूस करना जानते हैं लेकिन 99 फ़ीसदी को इंसान कहना भी ग़लत होगा। और मुझे गर्व है कि ऐसे सारे लोगों को मैंने अपनी ज़िंदगी और contact list से ब्लॉक या डिलीट कर दिया है। मुझे ख़ुद पर शर्म आती है कि ऐसी डरी हुई स्वार्थी क़ौम के साथ मैंने अपनी ज़िंदगी के 25 साल गुज़ारे।
और मैं माफ़ी भी नहीं चाहूँगा, ना मुझे अफ़सोस है कि मैंने इतने कठोर शब्दों का इस्तेमाल किया.. क्योंकि मैंने देखा है इन सब लोगों को रवि के सामने नतमस्तक होते हुए … कोई खाना ला रहा है .. कोई खाना लगा रहा है .. कोई दरवाज़ा खोल रहा है .. तो कोई हाथ जोड़े खड़ा है। मैं कभी नहीं कहता और ना मानता हूँ कि ये सब ज़रूरी है .. बिल्कुल ज़रूरी नहीं है। लेकिन अगर आपने अच्छे दिनों में ये सब किया है तो बुरे दिनों में कम से कम एक बार तो रवि के साथ खड़े हो कर दिखाते।
रवि घर आ गया है। उसका हौसला बरकरार है। वो शून्य से फिर शुरू करने जा रहा है। मैं जानता हूँ कि उसे इनमें से किसी से भी शिकायत नहीं होगी। पर मुझे है क्योंकि मैं रवि जितना बड़ा नहीं पाया हूँ, शायद बन भी नहीं पाऊँगा और मुझे बनना भी नहीं है।
PS :
इसी दौरान एक वक्त ऐसा भी आया जब उसी TV9 में रवि के ख़िलाफ़ ख़बरें चलने लगी, जिसे रवि ने जन्म दिया था। इन ख़बरों को लेकर भी लाखों का बोनस खा चुके लोगों को मैंने मैसेज भेजे कि कुछ तो रीढ़ दिखाओ पर कोई जवाब नहीं।
वरिष्ठ पत्रकार और फिल्मकार विनोद कापड़ी की एफबी वॉल से.
विजय सिंह
October 26, 2019 at 4:37 pm
यही जीवन की सच्चाई है । मुसीबत में कम लोग ही साथ निभाते हैं । रवि को मैं व्यक्तिगत रूप से न ही जानता हूँ न कभी मिला पर आपकी लेखनी से जान पाया। रवि प्रकाश के आनेवाले कल के लिए शुभकामनायें ।हौसला बुलंद हो तो मंज़िल जरूर मिलती है ।
दीपावली की शुभकामनायें ।