Satya Prakash यहाँ तो रविश कुमार का नाम आया ही नहीं है पर शायद दो दिन पहले लड़की ने अपने बयान में एक कांग्रेस नेता का नाम लिया था हाँ अगर ट्रोलिंग चल रही हो सोशल मीडिया पर तो अलग बात है
Nitin Thakur कांग्रेस नेता का नाम ब्रजेश पांडे है जो रवीश के भाई हैं। कल तक कांग्रेस के बिहार उपाध्यक्ष थे। अब इस्तीफा हो चुका।
Satya Prakash मामला कुछ है बना कुछ देना है !!!
Nitin Thakur मामला उन्हें वो बनाना है जिसमें रवीश कुमार का चरित्र दागदार हो सके। आखिर किसी तरह तो ज़मीन में मिलाया जाए।
Satya Prakash खैर ये ट्रोल भी दो दिन से ज्यादा नहीं चलेगा ट्रोलर लोग को ये भी नहीं पता रविश कुमार नहीं नीतिश कुमार बिहार के सीएम हैं..
विशाल जायसवाल हम तो बस आपके इसी पोस्ट के इंतजार में थे, जवाब देना बहुत जरुरी हो गया था!
Indra Mani Upadhyay जब गायत्री प्रजापति बच सकते हैं, निहालचंद मंत्री हो सकते हैं… तो ब्रजेश कौन सा पाप किये हैं
अजात अभिषेक एक बडे़ टीवी पत्रकार ने तो मोर्चा ही खोल दिया और तमाम गिद्ध जैसी वेबसाइटों ने उसे ऐसा लपका की इससे बडी बात आजतक लिखी ही नहीं गयी थी
Nitin Thakur अभी दो-एक महाने पुरानी बात है। गृहराज्यमंत्री किरण रिजीजू का भाई करप्शन के एक मामले में फंस गया। 450 करोड़ रुपए के उस घोटाले के दाग रिजीजू पर भी हैं। आरोप लगा कि एक ठेका भाई को रिजीजू की बदौलत मिला है। पत्रकारों ने मामला सामने आने के बाद चार दिन बाद गृहराज्यमंत्री जी को कहीं पकड़ा। उनसे सवाल पूछा। रिजीजू ने लगभग घूरते हुए पत्रकार को देखा और लताडते हुए कहा कि भाई है तो क्या वो काम करना छोड़ देगा.. मेरा क्या लेना देना है उसके काम से…. बताने की ज़रूरत नहीं कि आगे पत्रकार महोदय से काउंटर क्वेश्चन पूछते नहीं बना।
Nitin Thakur यहां ये भी याद रखा जाए कि रवीश प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले एंप्लाई हैं जो शाम को नौकरी बजाकर घर लौटते हैं… जबकि रिजीजू साहब देश के कर्ता धर्ताओं में से एक हैं और आरोप अकेले उनके भाई पर नहीं बल्कि उन पर भी हैं।
जावेद रंगरेज TV स्क्रीन को काला कराने के लिए तो भक्तों ने आँखें लाल पिला कर अभियान चला रखा है ।
Nitin Thakur रवीश से मुझे ईर्ष्या होती है.. हर तरह की तारीफ बटोरने के बाद अब सारी आलोचनाएं भी वो ही अपने हिस्से में लिए जा रहे हैं। कुछ तो छोड़ दो सर।
Jashwant Singh कल को मैं ब्रजेश पांडेय डाल रहा था गूगल पे तो पूरे रिजल्ट ऐसे आ रहे थे ‘brother of Ravish Kumar in sex scandal’. सारे रिजल्ट प्रो बीजेपी / फर्जी न्यूज़ वेबसाइट्स के थे।
Manoj Dixit बहुत लम्बा लेख था। बहुत सी बातें सही हैं। पर इसमें बिहार सरकार या केंद्र सरकार ने रवीश को कब और क्या कहा। उसके भाई ने जो करा कानून अपना करेगा। रवीश को कब सम्मन दिया या पूछताछ के लिये बुलाया बिहार पुलिस ने। वहाँ तो वैसे भी टालरेंट सेक्यूलर सरकार है।
Nitin Thakur सर, भोले भाले लोगों के लिए नहीं लिखा है।
रीटू खान केकड़ा मानसिकता से ग्रस्त कई पत्रकार महोदय हमेशा रवीश कुमार के पीछे नहा धो कर पड़े रहते हैं और इन्हीं कारनामों की वजह से उनकी विश्वसनीयता संदिग्ध बनी रहती है। 🙂
Yuvraj Singh सच्चे किस्से शराबखाने में सुने, वो भी हाथ मे जाम लेकर,
झूठे किस्से दुनिया की अदालत में सुने, वो भी हाथ मे गीता, कुरान लेकर।
Manoj Dixit इसमें। बीजेपी कहाँ से आ गयी बिहार पुलिस ने केस दर्ज किया है।
Hitesh Motwani शुक्रिया सर इस समय में यह बेहद जरुरी पोस्टलिखने के लिये … हमें रविश के साथ खड़ा होने की जरुरत हैं, इसलिए नहीं कि हम उन्हें पसंद करते हैं बल्कि उनके या किसी के भी खिलाफ चल रहे प्रोपेगेंडा के विरोध में..
Abhishek Sharma So anyone who goes against the trend and fights an election with an unpopular party has to be absolved from any charges of corruption and social malice because he is supposed to be doing a brave work? According to you all the arguments against Pandey ji already loose their steam because he fought with a Congress ticket (an unpopular abd unreliable party) now if he run a sex racquet, a mafia gand or drug business all things are inferior to his brave work to stand against the BJP? To be fair dragging Ravish Kumar in his brother’s controversy is incorrect and unfair but this is the price which a person in public life, unfortunately pays..When you reach to a position where you have been taking stand on all and sundry issues and have assumed a position to make and alter an opinion you can not escape the fire of what your close relatives and friends have been doing. This is not compatible with the law but society programs it so. Not only Ravish but these men and women too faced the similar things:
– When a close relative of former CJI KG Balakrishnan was accused of corruption everyone in the Media highlighted his relation with the judge more than his name and the actual corruption case.
-When foster son in law of Atal Bihari Vajpayee was found taking money from people seeking benefits from PMO and BJP, no one treated him as an individual person and his relation with ABV was the most important talking point.
-Sonia Gandhi faces the ire for all the misdoing of her son in law, who is not even a primary member of Congress party and she is discredited because she has not taken a stand against the alleged corruption even once.
-Sushma Swaraj was forced to give a clarification in the Parliament on her daughter who worked in a legal team who addicted Lalit Modi.
And there are many more examples but as I said this is the price one has to pay for being a public figure. Face it , don’t crib about it.
ndra Mani Upadhyay इस नाजुक केस के जांचकर्ता पुलिस अधिकारी पर ऊपर से भारी दबाव है। इस अधिकारी को फरवरी 21 को दोपहर 3 बजे “साहब” के दाहिने अंग का फोन आया, ‘‘अरे भाई, ऐसा है कि पाण्डेय जी देश के एक बहुत भारी कलमजीवी के भाई हैं, डायन भी पांच घर बचाती है। मतलब तो आप समझ गए होगे कुमार साहब।’’
Nitin Thakur रवीश कुमार से ब्रजेश पांडे के मामले में प्राइम टाइम की मांग करनेवालों ने ना कभी निहालचंद पर प्राइम टाइम की मांग की और ना ही कच्छ के उन बीजेपी नेताओं पर कार्यक्रम मांगा जिन पर लड़कियां सप्लाई करने का सबूत लेकर एक पीड़िता यहां से वहां भटक रही है। एक शो करके जवाब दे देना सबसे ज़्यादा आसान काम है। दुनिया जानती है कि इस काम में फिलहाल रवीश कुमार का कोई सानी भी नहीं है। जब-जब उन्होंने जवाब दिए हैं तब-तब भक्त मंडली झेल नहीं सकी है। काली स्क्रीन की कालिख तो आज भी कई के चेहरे पर पुती दिखती है। आलोचना सुनकर चुप रहना और कछुआ चाल वाली अदालती प्रक्रिया में भरोसा रखना सबसे ज़्यादा मुश्किल काम है और रवीश कुमार इस राह पर चलते हुए अपने संयम और साहस का शानदार परिचय दे रहे हैं। जिन्हें ना मालूम हो उन्हें बताया जाए कि इस प्रक्रिया को अदालती कार्यवाही को प्रभावित ना करना कहा जाता है।
Abhishek Sharma And is this supposed to be answer to my comment?
Nitin Thakur ब्रजेश पांडे का मामला अलग है Abhishek Sharma अभिषेक भाई, जिसमें कार्रवाई चल रही है उस पर नहीं लिखूंगा क्योंकि ऐसा करना लड़की के साथ भी नाइंसाफी है। उस मामले में मुख्य अभियुक्त निखिल नाम का लड़का है जो फरार है। हां जो बात दूसरी है कि रवीश को इसमें घसीटा जा रहा है तो ये बात तुमने मानी है कि सार्वजनिक जीवन में ऐसा होता ही है, वही रवीश के साथ हो रहा है.. लेकिन सुषमा ने खत लिखा था.. पवन बंसल का भतीजा फंसा था वो उसी विभाग में हेराफेरी कर रहा था जहां खुद बंसल मंत्री थे.. तो कुछ मामलों की तुलना इस मामले से नहीं की जा सकती। लड़की मामले को प्रभावित करने में रवीश का नाम भी लेती तो बेशक उनसे जवाब की अपेक्षा थी… हालांकि उसमें भी दिक्कत ये है कि अगर वो टीवी पर जवाब देते तो मैं भी शायद मानता कि वो अपने माध्यम का फायदा उठा रहे हैं जैसे ज़ी के सुधीर चौधरी एंड पार्टी अपने स्टिंग पर जेल जाने के पहले और बाद में सफाई देते रहे थे।
Akash Sharma Prime time ki maang karna sahi nhi hai aur jo kar rhe hain unko kaun rok sakta hai. Lekin is topic pe ek bhi NEWS nhi aai NDTV pe. aisa q? Ab aap kahoge ki abhi aarop sirf lge hain saabit nhi huye. Toh kya pehle news nhi aai kbhi b kisi pe aarop lgne gi? Maine khud 10 baar dekha hai Ravish ko kehte huye ki फलाना साहब पे फलाना आरोप है hum is aarop ki pushti nhi kar sakte, but news hmesa dikhai jaati hai. Aur is genuine question se ye tark deke nhi bacha ja sakta ki ye log nihalchand k time par kahan the…..
Binod Kumar Singh आज मालुम हुआ pande जी रविसजी के भाए है पर इसका ढ़ोल क्यों पीटा जा रहा है समझ से परे है.. रविशजी अपना काम कर रहे है pandeji अपना. और ना ही rvishji ऊंके बचाव मे आगे आये फिर ये रक्षा मे हत्या करने का औचित्या पर कोई गुनी जन प्रकाश डाले तो कृपा होगी
Nitin Thakur पूरी ज़िंदगी रिस्क लेकर और दुश्मनी उठाकर पत्रकारिता करने का कोई मतलब नहीं बचा है। कल परसों भाई, भतीजा, भांजा, जीजा, साला कुछ कर बैठे तो उसका जवाब भी देना ही है।
पूरे मामले को समझने के लिए इन्हें भी पढ़ सकते हैं….
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ज़बरदस्ती में भाई लोग एनडीटीवी वाले रवीश पांडेय के पीछे पड़ गए हैं!
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नितिन ठाकुर का लिखा ये भी पढ़ सकते हैं…
क्या रवीश के शो की टीआरपी ना आने की वजह से किसी को दस्त लग सकते हैं?
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रवीश के इस प्राइम टाइम शो को हम सभी पत्रकारों को देखना चाहिए
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