Sanjaya Kumar Singh : मुझे नहीं लगता कि कोई मालिक एंकर अपने चैनल पर ऐसा लिख-बोल पाएगा। लेकिन रवीश कुमार ने कल कर दिखाया। इसके लिए खुद को बनाना पड़ता है। एक कद हासिल करना पड़ता है और यह कद पुरस्कारों या सस्ती लोकप्रियता के साथ नहीं मिल सकता है। मोटी तनख्वाह के साथ तो नहीं ही मिलेगा। तय आपको करना है कि क्या चाहिए। लगे रहिए भक्ति में या फिर पैसे ही कमा लीजिए। रवीश ने जो कमाया है वह गालियों से बहुत आगे की चीज है। गाली देने वाले क्या जानें। रवीश कुमार को नहीं देखने वालों के पास दर्शक के रूप में रवीश का जवाब तो नहीं ही होगा।
Jyotika Patteson : रवीश, आप वाकई एक बेमिसाल पत्रकार हैं. हर रोज इन डिबेट शो से हम सब ऊब चुके हैं. सच है, कभी कभी एंकर इस तरह से चीखते हैं जैसे अभी ये इन सबको सजा ही दे देंगे. पत्रकार अपना काम भूल कर प्रवक्ता से न्यायी बन चुके हैं. शायद यही वजह है आज बहुत से लोग समाचारों से बेजार हो रहे हैं.. आपका ये शो वाकई काबिले तारीफ है…. जिन लोगों ने कल रात ये शो नही देखा वो इस लिंक को जरूर देखें : Ravish Prime Time Show
प्रकाश कुकरेती : कल जिसने भी रविश कुमार का प्राइम टाइम देखा होगा, सबने उसको अपने अपने नजरिये से देखा होगा. पहली बार किसी चैनल ने दूसरे चैनलों की खबर ली, भारत की मीडिया में यह पहली बार हुआ कि एक चैनल ने दूसरे चैनलों को आईना दिखाया. नहीं तो अब तक सब चैनल अंदरखाने एक दूसरे का समर्थन करते थे. इण्डिया टीवी में एक महिला एंकर ने उत्पीड़न से तंग आकर आत्महत्या की कोशिश की, मगर किसी भी चैनल पर यह खबर नहीं चली. नोएडा में आईबीएन7 से रातोंरात दर्जनों पत्रकार बाहर कर दिए, गए मगर किसी चैनल ने इसे खबर नहीं बनाया. जी न्यूज के 100 करोड़ी तिहाड़ी रिटर्न सुधीर चौधरी ने उमा खुराना नाम की एक महिला का फर्जी स्टिंग चलाया, पर किसी चैनल पर कोई खबर नहीं चली. यहाँ तक कि 100 करोड़ की दलाली की खबर भी किसी चैनल ने उस तरह नहीं दिखाई जिस तरह दिखानी चाहिए थी. मेरे हिसाब से कल एक पत्रकार ने मोदिया हो रहे मीडिया को आईना दिखाने का काम किया. इसका स्वागत किया जाना चाहिए. पर एक बात समझ में नहीं आई कि संघी और भाजपाई ही इस प्राइम टाइम का सबसे ज्यादा विरोध क्यों कर रहे हैं. शायद मोदिया की पोल पट्टी खुल जाने के डर से? मेरा उन सबसे यही कहना है जो रविश प्रोग्राम के अंत मैं कहते हैं, तब जब आखिरी एक मिनट के लिए स्क्रीन चमकती है और रवीश दिखाई देते हैं, यह कहते हैं- ”रात बहुत हो गई है, अब सो जाइए, धन्यवाद.”
पत्रकार संजय कुमार सिंह, ज्योतिका पैटरसन और प्रकाश कुकरेती के फेसबुक वॉल से.
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February 26, 2016 at 5:54 am
रवीश कुमार का कोई जवाब नहीं है कैसा भी है लेकिन यह हर कोई नहीं दिखा पाया है किसी ने हिम्मत तो की आज कल की मीडिया पर बोलना भी बेकार है सब जानते है